April 25, 2025 1:02 am
ब्रेकिंग
लू के लक्षण एवं बचाव के संबंध में स्वास्थ्य विभाग ने दी जानकारी नगरपालिका परिषद की पीआईसी बैठक में 02 करोड़ के विकास कार्यों को मिली मंजूरी - पहलगाम में आतंकवादी हमले में मृतक पर्यटकों को दी गई भावपूर्ण श्रद्धांजलि | नव पदस्थ पुलिस महानिरीक्षक दीपक कुमार झा द्वारा सरगुजा रेंज का पदभार ग्रहण किया गया दक्षिण पूर्व मध्य रेलवे सुरक्षा बल के द्वारा “ऑपरेशन महिला सुरक्षा” एवं अन्य विशेष अभियान के तहत किए... बागबहार ग्राम सभा में गूंजा जल जीवन मिशन का मामला बागबहार ग्राम सभा में गूंजा जल जीवन मिशन का मामला पति - पत्नी का झगड़ा छुड़ाने गये बड़े भाई की छोटे भाई ने कर दी हत्या स्थाई शिक्षा समिति की प्रथम बैठक सम्पन्न, शिक्षा, पेयजल सहित अनेक मुद्दों पर हुई चर्चा...दैनिक समाचा... पहलगाम हमले से बैकफुट पर मुस्लिम संगठन, क्या कमजोर पड़ जाएगा वक्फ कानून के खिलाफ आंदोलन?
मध्यप्रदेश

मजदूरों से भरी ट्रैक्टर – ट्रॉली को ट्रक ने मारी टक्कर, 12 साल के अनिल की दर्दनाक मौत

गुना। कभी-कभी जिंदगी इतनी बेरहमी से थप्पड़ मारती है कि इंसान को खुद के जिंदा होने पर अफसोस होने लगता है। और खुद को दिलासा देने के लिए आखिरकार उसके मुंह से बेसाख़्ता यही निकलता है कि शायद कुदरत को यही मंजूर था। गुना जिले में एक मासूम की मौत ने मजदूरों की मजबूरी, सिस्टम की लाचारी और म्याना से गुना के बीच ख़ूनी हाइवे की सड़क पर मौत के खुले खेल को एक साथ सामने ला दिया। आपको बता दें कि यह उसी ख़ूनी हाइवे पर एक्सीडेंट हुआ है जो हर थोड़े समय मे एक न एक बलि लगातार ले रहा है। लेकिन इस ब्लैक डेथ पॉइंट बन चुके ख़ूनी हाइवे पर कितनी मौतों के बाद सिलसिला रुकेगा यह कोई नहीं जानता।

शायद टोल नाकों से हो रही पैसों की बरसात के चश्मे से खून का लाल रंग जिम्मेदारों को दिख नहीं पा रहा। शाम के 5:30 बजे, जब गुना जिले के म्याना क्षेत्र में ग्राम खेराई के पास ट्रैक्टर ट्रॉली में बैठकर मजदूरों का दल अपने गांव रायपुर चक लौट रहा था, तब किसी ने नहीं सोचा था कि यह सफर किसी की जिंदगी का आखिरी सफर बन जाएगा। गांव दुनाई से प्याज खोदकर लौट रहे करीब 20 से 25 महिला, पुरुष और बच्चे ट्रॉली में बैठे थे। मजदूरी खत्म कर सभी थक हारकर अपने लौट रहे थे, तभी एक अनियंत्रित आयशर ट्रक ने ट्रॉली को पीछे से इतनी जोरदार टक्कर मारी कि ट्रैक्टर-ट्रॉली सड़क किनारे गड्ढे में पलट गई।

हवा में उछलते मजदूर, चीखते बच्चे, और लहूलुहान चेहरे… कुछ ही सेकंड में जिंदा इंसानों का कारवां, खामोश कराहों में बदल गया। 12 वर्षीय अनिल भील, जो अपनी मजदूरी की पहली कमाई के ख्वाब लिए खेत से लौट रहा था, घटनास्थल पर ही दम तोड़ गया। उसके माता-पिता किसी घरेलू काम में उलझे थे, इसलिए बेटे को मजदूरी पर अकेले भेजा था।

जब खबर मिली… तो माँ अस्पताल दौड़ी चली आई। पर जो देखा… उसने उसके जीवन को ही तोड़ दिया। खून से लथपथ बेटे का शरीर स्ट्रेचर पर पड़ा था। माँ ने शव से लिपटकर खुद को पटक-पटककर कहा — काश हम घर पर न रुकते… अपने बेटे के साथ होते… तो उसे बचा लेते…वो विलाप… वो चीख… वो पछतावा… पूरा अस्पताल स्तब्ध था। डॉक्टर, नर्सें, मरीज… सबकी आंखें नम थीं। किसी की हिम्मत नहीं थी उस मां की आंखों में आंखें डालने की। घटना में 20 से ज्यादा मजदूर घायल हुए हैं। गनीमत सिर्फ इतनी रही कि ट्रॉली उलटी नहीं हुई, वरना शवों की संख्या कहीं ज्यादा होती। जैसे ही सूचना प्रशासन को मिली, कलेक्टर किशोर कुमार कन्याल, एसपी संजीव कुमार सिन्हा, एसडीएम शिवानी पाठक, तहसीलदार गौरी शंकर बेरवा, मौके पर पहुंचे। अस्पताल में हर कोने से सिर्फ रुदन, चीख और मातम की आवाज़ें आ रही थीं। पुलिस ने ट्रक को जब्त कर लिया है।

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button