July 8, 2025 8:12 pm
ब्रेकिंग
11 तारीख…11.30 बजे, सरकारी कर्मचारियों को मिल सकती है महंगाई भत्ते में बढ़ोतरी की सौगात 1 करोड़ 70 लाख रुपए का साइबर फ्रॉड कर चुके आरोपी प्रयागराज एयरपोर्ट से गिरफ्तार, 11 राज्यों में दर्ज ... “बंदूक छोड़िए, नहीं तो होगी सख्त कार्रवाई”, जंगलों में छिपे नक्सलियों को उपमुख्यमंत्री विजय शर्मा की... ’10 साल में एक बाल उखाड़ नहीं पाए तो आगे क्या…’ दीपक बैज पर पलटवार करते हुए ये क्या बोल गए सांसद बृज... नैनो डीएपी किसानों के लिए वरदान, ठोस डीएपी उर्वरक का स्मार्ट विकल्प नशे में धुत महिला का हाईवोल्टेज ड्रामा! नेशनल हाईवे पर लगा लंबा जाम, वीडियो हुआ वायरल 20 पेटी एमपी की शराब के साथ तीन तस्कर गिरफ्तार, पुलिस ने जब्त किया 17 लाख का सामान कवर्धा में नौकरी से अचानक हटाए गए 250 से अधिक लोग, कलेक्टर कार्यालय का घेराव कर की नारेबाजी शहर के बीच चौराहे में कार चालक का आतंक! आधा दर्जन से अधिक दुकानों को उड़ाया, पूर्व विधायक के ऑफिस से... शिवराज सिंह बनेंगे भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष? केंद्रीय कृषि मंत्री ने कहा कि वे सौभाग्यशाली है कि उ...
सरगुजा संभाग

ऐतिहासिक उपलब्धिः नवापारा यूसीएचसी में पहली बार मूत्राशय में सीधे कीमोथेरेपी, कैंसर देखभाल में नया कीर्तिमान

अम्बिकापुर 22 अप्रैल 2025/ छत्तीसगढ़ के सरगुजा जिले के नवापारा सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र (यूसीएचसी) ने ग्रामीण स्वास्थ्य सेवाओं में एक नया इतिहास रचते हुए पहली बार मूत्राशय में सीधे कीमोथेरेपी (इंट्रावेसिकल कीमोथेरेपी) का सफलतापूर्वक संचालन किया है। यह चिकित्सा पद्धति अब तक केवल बड़े कैंसर हॉस्पिटल तक ही सीमित थी, लेकिन अब यह सुविधा नवापारा के स्थानीय नागरिकों को भी उपलब्ध हो गई है।

क्या है इंट्रावेसिकल कीमोथेरेपी?
इंट्रावेसिकल कीमोथेरेपी में कीमोथेरेपी की दवाओं को सीधे मूत्राशय में डाला जाता है, जिससे दवाएं कैंसर की कोशिकाओं पर सीधे असर डालती हैं और शरीर के अन्य हिस्सों पर दुष्प्रभाव नहीं पड़ते। यह विधि विशेष रूप से उन मरीजों के लिए कारगर है जिनका कैंसर मूत्राशय की भीतरी सतह तक सीमित होता है।

पारंपरिक कीमोथेरेपी से कैसे है अलग?
पारंपरिक कीमोथेरेपी में दवाएं नसों के माध्यम से शरीर में पहुंचाई जाती हैं जिससे वे पूरे शरीर में फैलती हैं और स्वस्थ कोशिकाओं को भी नुकसान पहुंचा सकती हैं। इसके परिणामस्वरूप थकान, उल्टी, बाल झड़ना और संक्रमण जैसी समस्याएं उत्पन्न होती हैं। इसके विपरीत, इंट्रावेसिकल कीमोथेरेपी में दवाएं केवल प्रभावित अंग तक सीमित रहती हैं जिससे अधिक लक्षित और सुरक्षित इलाज संभव होता है।

कीमोथेरेपी का अन्य बीमारियों में भी उपयोग
नवापारा यूसीएचसी ने अपनी चिकित्सकीय क्षमता का प्रदर्शन करते हुए एक ऑटोइम्यून बीमारी, सिस्टमिक ल्यूपस एरिथेमेटोसस (SLE) से पीड़ित मरीज को भी कीमोथेरेपी दी है। यह एक जटिल बीमारी है जिसमें जब सामान्य दवाएं जैसे स्टेरॉयड प्रभावी नहीं होतीं, तब कीमोथेरेपी का सहारा लिया जाता है। लखनपुर से आए इस मरीज को ड्रम्स योजना के तहत इलाज मुहैया कराया जा रहा है।

स्थानीय सुविधा, बड़ी राहत
अब मरीजों को रायपुर जैसे दूर के शहरों की यात्रा नहीं करनी पड़ेगी, जिससे समय, धन और शारीरिक श्रम की बचत होगी। नवापारा यूसीएचसी के डे केयर कैंसर सेंटर के प्रभारी डॉ. हिमांशु गुप्ता ने कहा, “हमारे जैसे दूरस्थ क्षेत्र में यह एक अनूठा प्रयास है। हम कैंसर जैसी गंभीर बीमारियों का इलाज अब स्थानीय स्तर पर कर पा रहे हैं।”

जागरूकता और मरीजों की बढ़ती संख्या
इस वर्ष नवापारा यूसीएचसी में 50 से अधिक नए कैंसर मरीजों ने पंजीकरण कराया है और कुल मिलाकर 560 से ज्यादा लोग कैंसर से संबंधित परामर्श के लिए केंद्र आ चुके हैं। यह आंकड़ा ग्रामीण क्षेत्रों में स्वास्थ्य के प्रति बढ़ती जागरूकता और भरोसे को दर्शाता है।

सफलता के पीछे सामूहिक प्रयास
इस उपलब्धि का श्रेय कलेक्टर श्री विलास भोसकर के कैंसर पीड़ित मरीजों की देखभाल के प्रति समर्पण, जनप्रतिनिधियों के निरंतर प्रयास, मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी द्वारा दवाओं की उपलब्धता सुनिश्चित करने एवं केंद्र प्रभारी डॉ. शीला नेताम, डॉ. हिमांशु गुप्ता और समस्त स्टाफ नर्सों की प्रतिबद्ध सेवा भावना को जाता है।

नवीन आयाम की ओर कदम
यह सफलता नवापारा यूसीएचसी के लिए ही नहीं, बल्कि पूरे छत्तीसगढ़ के ग्रामीण क्षेत्र के लिए एक नई उम्मीद लेकर आई है। छत्तीसगढ़ शासन के समर्पित प्रयासों और सही दिशा-निर्देशों से आज प्रदेश में भी विश्वस्तरीय की स्वास्थ्य सेवाएं उपलब्ध हो रही हैं।

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button