कुनकुरी में किडनी मरीजों के लिए वरदान बना डायलिसिस सेंटर, अब तक 315 सेशन पूरे – मरीजों ने जताया सरकार के प्रति आभार

कुनकुरी।मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय की पहल पर कुनकुरी सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में 21 फरवरी 2025 से शुरू हुआ किडनी डायलिसिस सेंटर अब मरीजों के लिए जीवनदायिनी साबित हो रहा है। राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन और पीएमएनडीपी के अंतर्गत दीपचंद्र डायलिसिस सेंटर, दिल्ली के सहयोग से संचालित यह केंद्र अत्याधुनिक सुविधाओं से लैस है और अब तक कुल 315 डायलिसिस सेशन हो चुके हैं।
सेंटर मैनेजर अभिषेक कुमार गिरी ने बताया कि 21 से 28 फरवरी तक 14 डायलिसिस सेशन किए गए। मार्च में 17 सक्रिय मरीजों के लिए 185 सेशन हुए और 1 से 18 अप्रैल तक 116 सेशन पूरे किए गए हैं। सेंटर में प्रतिदिन सुबह 7:30 बजे से शाम 4:30 बजे तक सेवाएं दी जा रही हैं। प्रत्येक डायलिसिस सेशन में लगभग चार घंटे का समय लगता है।
मरीजों को मिली राहत, जीवन हुआ आसान
फरसाबहार के देवरी गांव से आए रिटायर्ड फौजी विजय कुमार एक्का ने बताया कि उन्हें क्रॉनिक किडनी डिजीज (CKD) स्टेज-5 है। पहले उन्हें रांची और अंबिकापुर जाकर डायलिसिस कराना पड़ता था, जिससे काफी कठिनाई होती थी। अब कुनकुरी में सुविधा शुरू होने से वे साप्ताहिक इलाज आसानी से करा पा रहे हैं। उन्होंने शासन से मांग की है कि अस्पताल में ब्लड बैंक की सुविधा भी शुरू की जाए, ताकि मरीजों को जशपुर न जाना पड़े।
बेमताटोली, कुनकुरी निवासी प्रदीप पाल ने बताया कि शुरुआत में रायपुर जाना पड़ता था, जिससे हर बार 8-10 हजार रुपये का खर्च आता था। अब कुनकुरी में यह सुविधा मिलने से उन्हें राहत मिली है और इलाज पूरी तरह निशुल्क है।
दुलदुला के चटकपुर गांव से आए लाल बहादुर सिंह की एक किडनी फेल है और दूसरी सिकुड़ गई है। वे सप्ताह में चार बार डायलिसिस के लिए आते हैं। उनका कहना है कि आने-जाने में केवल 50 रुपये का खर्च आता है, बाकी सबकुछ सरकार की ओर से मुफ्त है।
उन्नत मशीनों से महानगरों जैसी सुविधा
मरीजों से बातचीत में पता चला कि कुनकुरी अस्पताल में स्थापित डायलिसिस यूनिट में महानगरों के अस्पतालों जैसी उन्नत मशीनें हैं। सेंटर में तैनात सीनियर टेक्नीशियन सुमित मिश्रा और उनकी टीम मरीजों को न सिर्फ सेवा दे रही है बल्कि उन्हें बेहतर जीवन के लिए प्रेरित भी कर रही है।
ब्लड बैंक की दरकार, जागरूकता की जरूरत
मरीजों ने बताया कि डायलिसिस से पूर्व ब्लड की आवश्यकता पड़ती है, लेकिन ब्लड बैंक न होने के कारण उन्हें जशपुर जाना पड़ता है। इससे आर्थिक, शारीरिक और मानसिक रूप से उन्हें परेशानी होती है। इसके अलावा दुलदुला, कांसाबेल, बगीचा, फरसाबहार जैसे विकासखंडों के किडनी मरीजों को अभी इस सुविधा की जानकारी नहीं है। प्रशासन द्वारा इन क्षेत्रों में प्रचार-प्रसार की आवश्यकता बताई जा रही है.