August 4, 2025 7:29 pm
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पहलगाम पर पछताएगा पाकिस्तान, सिंधु जल समझौता सस्पेंड होने से पानी को तरसेगा पड़ोसी, हजारों MW बिजली बनाने में जुटा भारत

पहलगाम आतंकी हमले के बाद भारत सरकार की ओर से पाकिस्तान के खिलाफ लगातार कड़े कदम उठाए जा रहे हैं. सबसे बड़ा फैसला सिंधु जल समझौते को सस्पेंड करना था, इसके बाद पड़ोसी मुल्क में स्थिति बेहद खराब होती जा रही है. दोनों के बीच दबाव भी बढ़ता जा रहा है. यह फैसला भारत के हित में भी माना जा रहा है क्योंकि समझौते को सस्पेंड करने के बाद देश में रुकी जलविद्युत परियोजनाओं में तेजी लाने की कोशिश की जाएगी.

सिंधु जल समझौते को सस्पेंड करने के बाद से केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह और जल शक्ति मंत्री सीआर पाटिल की दो बड़ी बैठकें हो चुकी हैं. इसी हफ्ते गृह मंत्री अमित शाह के साथ एक और बड़ी बैठक होने की संभावना जताई जा रही है.

अहम बैठक में कई अन्य मंत्रालय भी होंगे शामिल

इस हफ्ते होने वाली बैठक में कुछ अन्य जुड़े हुए अहम मंत्रालयों जैसे विदेश, ऊर्जा, कृषि मंत्रालयों के मंत्रियों और अधिकारियों के भी शामिल होने की संभावना जताई गई है. सूत्रों के मुताबिक केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार ने जम्मू- कश्मीर में उन जलविद्युत परियोजनाओं (Hydroelectric Projects) का ब्योरा मांगा था जो रूकी हुई हैं, साथ ही जो सिंधु जल संधि के निलंबन से प्रभावित होंगी.

पाकिस्तान के साथ तनावपूर्ण हालात के बीच भारत की कोशिश है कि जम्मू कश्मीर में रुकी हुई पनबिजली परियोजनाओं में तेजी लाई जाए. सिंधु जल संधि के सस्पेंड होने से इस तरह की परियोजनाओं में तेजी लाई जा सकेगी. ऐसे कई प्रोजेक्ट पिछले चार साल से रुके हुए हैं.

सिंधु जल संधि सस्पेंड होने से मिल सकता है फायदा

सिंधु जल संधि के अनुसार भारत की ओर से कोई भी नया प्रोजेक्ट शुरू करने से पहले पाकिस्तान को छह महीने का नोटिस देना जरूरी था, लेकिन अब संधि को निलंबित किए जाने के बाद से ऐसा करना जरूरी नहीं रह गया है. साथ ही अब डेटा शेयर करने की भी बाध्यता नहीं रही.

अब बदले हालात में चेनाब और झेलम पर नए प्रोजेक्ट बनाना और वूलर झील को पुनर्जीवित करना संभव हो सकेगा. इस काम में सिंधु जल संधि ही आड़े आ रही थी. माना जा रहा है कि जम्मू- कश्मीर में कम से कम 6 पनबिजली परियोजनाओं के काम में तेजी आने की उम्मीद है.

10 हजार मेगावॉट बिजली उत्पादन की संभावना

ये पनबिजली परियोजनाएं हैं, सावलकोट परियोजना (1,856 मेगावाट) जो चिनाब नदी पर बन रही है. इसी तरह जम्मू-कश्मीर के रामबन और उधमपुर जिलों में प्रस्तावित पाकल दुल (1,000 मेगावाट) परियोजना के साथ-साथ रतले (850 मेगावाट), बर्सर (800 मेगावाट), किरू (624 मेगावाट) किर्थाई-I और II (कुल 1,320 मेगावाट) परियोजनाएं शामिल हैं.

इस तरह की परियोजनाओं से केंद्र शासित प्रदेश जम्मू- कश्मीर से 10 हजार मेगावॉट तक बिजली उत्पादन होने की संभवना है. साथ ही, मैदानी राज्यों में सिंचाई और पेयजल के लिए पानी की उपलब्धता कई गुना बढ़ सकती है.

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