June 9, 2025 1:19 pm
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मध्यप्रदेश

‘मुझे सरहद पर भेजा जाए…’ भारत-PAK तनाव के बीच हाई कोर्ट के जज ने की मांग, ले चुके हैं आर्मी की ट्रेनिंग

भारत और पाकिस्तान के बीच जारी संघर्ष के माहौल में जब पूरा देश एकजुट होकर सेना के साथ खड़ा है. तब मध्य प्रदेश हाई कोर्ट की ग्वालियर पीठ में पदस्थ न्यायमूर्ति अनिल वर्मा ने देश सेवा की एक अनूठी मिसाल पेश की है. उन्होंने हाई कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश सुरेश कुमार कैत को एक पत्र लिखकर आग्रह किया है कि उन्हें अदालत की बेंच से मुक्त कर सेना या प्रशासनिक सेवाओं के जरिए सीमा पर देश की सेवा का अवसर दिया जाए.

जस्टिस वर्मा का यह अनुरोध सिर्फ भावनात्मक नहीं है, बल्कि उनकी पृष्ठभूमि और प्रशिक्षण इसे पूरी तरह से समर्थ बनाते हैं. न्यायमूर्ति वर्मा अपनी पढ़ाई के दौरान तीन सालों तक एनसीसी में रहे. इस दौरान उन्होंने सैन्य प्रशिक्षण भी लिया. साल 1986 में उन्होंने इलाहाबाद स्थित आर्मी बैरक में ग्रुप टेस्टिंग ऑफिसर की परीक्षा और इंटरव्यू पास किया था. सिर्फ 23 साल की उम्र में उन्होंने सिविल जज के रूप में सेवा शुरू की और साल 2021 में उच्च न्यायालय के न्यायाधीश बने. इसके अलावा वह इतिहास और स्वतंत्रता संग्राम पर आधारित दर्जनों पुस्तकें भी लिख चुके हैं, जिससे उनकी राष्ट्रभक्ति साफ झलकती है.

पारिवारिक रहा है देशभक्ति का जज्बा

न्यायमूर्ति वर्मा का देशभक्ति का जज्बा उनके पारिवारिक इतिहास में भी रचा-बसा है. उनके दादा, स्वर्गीय मोतीलाल वर्मा स्वतंत्रता संग्राम सेनानी थे, जिन्होंने 1931 के ‘जंगल सत्याग्रह’ और 1942 के ‘भारत छोड़ो आंदोलन’ में सक्रिय भागीदारी दी थी. वह चंद्रशेखर आजाद जैसे क्रांतिकारियों के साथ भी स्वतंत्रता के लिए संघर्ष कर चुके हैं. इसके बाद वह भी देश के लिए कुछ करना चाहते हैं और इसलिए उन्होंने यह इच्छा जताई है.

कारगिल युद्ध के दौरान भी भेजा था आवेदन

अपने पत्र में न्यायमूर्ति अनिल वर्मा ने लिखा कि वह शारीरिक और मानसिक रूप से पूरी तरह से स्वस्थ हैं और सीमा पर जाकर देश के लिए कुछ कर गुजरने की बहुत इच्छा रखते हैं. यह कोई पहली बार नहीं है, जब उन्होंने सेना में सेवा देने की इच्छा जताई हो. 1998 के कारगिल युद्ध के दौरान भी उन्होंने भारतीय सेना में सेवा के लिए आवेदन भेजा था. देशभर में इस समय सिविल डिफेंस के लिए वालंटियरों की भर्ती हो रही है, जिसके तहत पुलिस थानों में आवेदन लिए जा रहे हैं. ऐसे में न्यायमूर्ति वर्मा का यह कदम लाखों युवाओं के लिए प्रेरणा बन सकता है.

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