August 3, 2025 1:03 pm
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बहन को डांटने से रोका, तो बेटे ने 70 साल के बुजुर्ग की कर दी पिटाई, इलाज के दौरान मौत, अब 5 साल की सजा

अंबिकापुर: आपसी विवाद के बाद अपने बुजुर्ग पिता के साथ मारपीट कर घायल करने और मृत्यु के मामले में कोर्ट ने सुनवाई की है। प्रथम अपर सत्र न्यायाधीश ममता पटेल ने मारपीट से आई चोटों के कारण पिता की मृत्यु के प्रकरण में बेटे को धारा 304 के तहत 5 साल के कारावास और 5000 रुपये अर्थदंड से दंडित किया है। अर्थदंड की राशि अदा नहीं करने पर आरोपी को छह माह अतिरिक्त कारावास भुगतना होगा। घटना लखनपुर थाना क्षेत्र के ग्राम गुमगराखुर्द की है।

क्या है मामला

अतिरिक्त लोक अभियोजक विवेक सिंह ने बताया कि घटना 3 नवंबर 2018 की है। आरोपी चन्देश्वर दुबे किसी बात को लेकर अपनी बहन को डांट रहा था। बुजुर्ग पिता वेदप्रकाश दुबे ने इसका किया, तो पुत्र चन्देश्वर उनसे उलझ गया। आरोपी ने मृतक पिता पर आरोप लगाया कि आपके कारण ही बहन का मन बढ़ा हुआ है। इसके बाद आक्रोशित बेटे ने पिता की हाथ-मुक्के से पिटाई कर दी थी।

इस मारपीट में पिता को आंतरिक चोटें आई। उन्हें इलाज के लिए जिला अस्पताल अंबिकापुर में भर्ती किया गया था। वहां 7 नवंबर 2018 को वेदप्रकाश दुबे की मौत हो गई थी। जांच के बाद पुलिस ने हत्या (धारा 302) के आरोप पर पुत्र को गिरफ्तार कर न्यायालय के आदेश पर जेल भेज दिया था।

हत्या के नीयत से नहीं की मारपीट

आरोपी के विरुद्ध प्रस्तुत अभियोग पत्र के आधार पर न्यायालय ने प्रकरण की सुनवाई की। प्रकरण के सारे तथ्यों की सुनवाई के बाद प्रथम अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश ममता पटेल के न्यायालय ने पाया कि हत्या की नीयत से बेटे ने पिता की पिटाई नहीं की थी।

पिता को मारना सामाजिक रूप से क्षम्य नहीं: कोर्ट

हालांकि, अदालत ने कहा है कि 70 वर्षीय वृद्ध पिता के साथ इस बुरी तरह मारपीट करते समय आरोपी निश्चित ही यह जानता था कि उसके कृत्य से उसके पिता वेद प्रकाश दुबे को सांघातिक चोटें आना अथवा उनकी मृत्यु होना संभव है। पुत्र द्वारा वृद्ध पिता के साथ इस प्रकार मारपीट किए जाने की घटना, विधि के साथ-साथ, नैतिक एवं सामाजिक रूप से भी क्षम्य नहीं है।

फरार हो गया था आरोपी

आरोपी ने अपने वृद्ध पिता को शारीरिक चोटों के साथ-साथ, मानसिक चोट भी दी।अतः समस्त तथ्यों और परिस्थितियों को देखते हुये, अभियुक्त चन्देश्वर दुबे को धारा 304 (भाग-दो) के अपराध के लिए पांच वर्ष के सश्रम कारावास तथा 5,000 रूपये के अर्थदण्ड से दंडित किया गया है। अभियुक्त पूर्व में नियत निर्णय तिथि 29 मार्च से फरार हो गया था, जिसके उपरांत गिरफ्तारी वारंट की तामीली में 4 जुलाई से न्यायिक अभिरक्षा में निरूद्ध हुआ है। उसके बाद प्रकरण में फैसला सुनाया गया।

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