August 3, 2025 6:21 am
ब्रेकिंग
भाजपा के पूर्व जिलाध्यक्ष सुनील गुप्ता रायपुर में हुए सम्मानित विश्व स्तनपान सप्ताह 2025के संबंध में चिराग सोशल वेलफेयर सोसायटी ने किया कार्यशाला रायपुर-बिलासपुर में खुलेंगे मेडिकल और नर्सिंग कॉलेज, प्रदेश को मिले 3 विशेषज्ञ डॉक्टर 20वीं किस्त में कटे बिलासपुर के तीन हजार किसानों के नाम, पति-पत्नी ले रहे थे दोहरा लाभ सुकमा में सुरक्षाबलों को मिली बड़ी कामयाबी, दो लाख के इनामी समेत तीन माओवादी गिरफ्तार तलाकशुदा महिला ने गार्ड का बनाया अश्लील वीडियो, फिर करने लगी ऐसा गंदा काम जिसकी इजाजत कानून भी नहीं ... देश के 79वें स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर किया जा रहा ‘‘हर घर तिरंगा‘‘ कार्यक्रम का आयोजन, 2 से 15 अगस... मानव तस्करी के आरोप में जेल में बंद नन को मिली जमानत, दुर्ग केंद्रीय जेल से रिहा आठ साल बाद हुई कौशल प्रतियोगिताएं, ढाई हजार से अधिक युवाओं ने दिखाई अपनी प्रतिभा छत्तीसगढ़ के किसानों को सावन के महीने में बड़ा तोहफा, पीएम मोदी ने 25.47 लाख लोगों के खाते में भेजे ...
मुख्य समाचार

लकड़ी का तकिया, जमीन ही बेड, उबला खाना…128 साल तक NO बीमारी; बाबा शिवानंद का डेली रुटीन ही था लंबी उम्र का राज

योग गुरु पद्मश्री शिवानंद बाबा का 128 साल की उम्र में शनिवार की रात उत्तर प्रदेश के वाराणसी में निधन हो गया. निधन के बाद देर रात उनका शव दुर्गाकुंड स्थित आश्रम पर लाया गया. आज उनका अंतिम संस्कार हरिश्चन्द्र घाट पर किया जाएगा. बाबा शिवानंद संयम के पर्याय थे. शिवानंद बाबा ने जिंदगीभर कभी भरपेट खाना नहीं खाया और वह हमेशा ब्रह्म मुहूर्त में ही सोकर उठ जाते थे.

126 साल की उम्र में जब वो पद्मश्री अवार्ड लेने पहुंचे तो नंदी मुद्रा में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और तत्कालीन राष्ट्रपति राम नाथ कोविंद का अभिवादन किया. इतनी उम्र में भी उनकी चुस्ती फुर्ती देखते ही बनती थी. वह दुर्गाकुण्ड स्थित अपने आश्रम की तीसरी मंजिल पर रहते थे, जहां वह कई बार सीढ़ियों से ऊपर नीचे बिना किसी सहारे के आते-जाते थे. उन्होंने प्रयागराज में आयोजित हुए महाकुंभ में भी अपना शिविर लगाया था और संगम में स्नान किया था.

कौन थे बाबा शिवानंद?

बाबा शिवानंद चार साल की उम्र में ही अपने परिवार से अलग हो गए थे और छह साल की उम्र से ही योग को अपने जीवन का अहम हिस्सा बना लिया था. बाबा शिवानंद का जन्म 8 अगस्त 1896 को अविभाजित बंगाल के श्रीहट्ट जिले के हरिपुर गांव में एक गोस्वामी ब्राह्मण परिवार में हुआ था. बाबा शिवानंद ने बाबा ओंकारानंद गोस्वामी से दीक्षा और योग की शिक्षा ली थी. योग आखिरी वक्त तक उनके साथ रहा और योग को ही उन्होंने अपनी लंबी उम्र का आधार बताया था.

भूख का मतलब क्या होता है

बाबा शिवानंद ने बताया था कि उनके माता-पिता और बहन की मौत भूख से हुई थी. बचपन में उन्हें खुद चावल के मांड पर निर्भर रहना पड़ता था. जब वो अपने गुरु जी के सानिध्य में आए. तब उन्हें भोजन और योग की अहमियत समझ में आई. उन्होंने तय किया कि अब वो आधा पेट ही भोजन करेंगे. ताकि लोगों को बता सकें कि खाने और भूख का मतलब क्या होता है. दुनिया भर में घूमने के बाद भी उन्हें शांति नहीं मिली. काशी आने के बाद उनके जीवन में ठहराव आया.

कई लोगों को बनाया अपना मुरीद

उबला खाना खाने और लकड़ी के तिकए के साथ चटाई पर सोने वाले बाबा शिवानंद ने योग के बल पर न सिर्फ 128 साल का जीवन जिया. बल्कि पीएम मोदी समेत दुनिया के कई देशों के लोगों को अपना मुरीद भी बनाया. शिवानंद बाबा को 21 मार्च 2022 को पद्मश्री से सम्मानित किया गया था. जब वह पद्मश्री लेने पहुंचे तो उन्होंने पीएम मोदी को प्रणाम किया,जहां पीएम मोदी ने भी अपनी कुर्सी से खड़े होकर शिवानंद बाबा को हाथ जोड़कर और झुककर प्रणाम किया था. उन्हें राष्ट्रपति कोविंद ने अपने हाथों से पद्मश्री पुरस्कार से सम्मानित किया था. उनके बारे में बताया जाता है कि वह कभी बीमार नहीं पड़े. यहां तक की इस उम्र में भी वह योगाभ्यास करते थे.

Related Articles

Back to top button