June 9, 2025 3:13 am
ब्रेकिंग
कौन हैं मैतेई नेता कानन सिंह, जिसकी गिरफ्तारी के बाद जल उठा मणिपुर जयमाला की प्रथा नहीं… सुनते ही भड़के बाराती, लड़की वालों का पीट-पीटकर किया ये हाल तमिलनाडु के लोग DMK सरकार के भ्रष्टाचार से हैं तंग… अमित शाह का स्टालिन सरकार पर हमला केंद्र का शासन होने के बावजूद मणिपुर में क्यों बहाल नहीं हो रही शांति? प्रियंका गांधी का बड़ा हमला मंगलुरु में बजरंग दल के पूर्व सदस्य सुहास शेट्टी की हत्या की NIA करेगी जांच, MHA ने जारी किया आदेश कानपुर के इस गांव में 34 परिवारों ने क्यों लगाए मकान बिक्री के पोस्टर? मंत्री तक पहुंची बात, फिर जो ... बरेली: IVRI के डॉक्टरों ने कर दिया कमाल, देसी तकनीक से कुत्ते का किया हिप रिप्लेसमेंट; पुलिस का डॉग ... हिंदू से लेकर मुस्लिम तक… 20 शादियां कीं, जो मिला उसी से विवाह, कहानी लुटेरी दुल्हन की जो साथ लेकर च... ‘गांव वालों कूद जाऊंगा…’ 100 फीट ऊंचे टावर पर चढ़ा युवक, 3 घंटे तक काटा बवाल, पुलिस भी पहुंची दिल्ली में झुग्गियों पर बुलडोजर चलने पर संजय सिंह बिफरे, रेखा सरकार पर बोला हमला
विदेश

एक महीने में ही ट्रूडो से बड़ी जीत हासिल करने वाले मार्क कार्नी कौन हैं? बन गए कनाडा के PM

कनाडा के नए प्रधानमंत्री मार्क कार्नी ने एक महीने पहले ही जस्टिन ट्रूडो से सत्ता की बागडोर संभाली थी और अब उन्होंने आम चुनाव में शानदार जीत दर्ज की है. लिबरल पार्टी की इस वापसी को ‘असंभव सी जीत’ कहा जा रहा है, खासकर तब जब आर्थिक अस्थिरता और अमेरिका से बिगड़ते रिश्ते चुनाव के केंद्र में थे.

इस जीत के बाद कार्नी ने अपने समर्थकों को संबोधित किया और अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप पर निशाना साधा. प्रधानमंत्री कार्नी ने कहा कि राष्ट्रपति ट्रंप हमें तोड़ने की कोशिश कर रहे हैं ताकि अमेरिका हम पर अपना अधिकार जमा सके- ऐसा कभी नहीं होगा

राजनीति में नया नाम, लेकिन बड़ी जिम्मेदारी

मार्क कार्नी मार्च में प्रधानमंत्री बने, जब ट्रूडो ने इस्तीफा दिया था. खास बात यह रही कि उस वक्त उनके पास संसद में कोई सीट नहीं थी. वो कनाडा के इतिहास में ऐसे केवल दूसरे प्रधानमंत्री बने जिनके पास हाउस ऑफ कॉमन्स की सदस्यता नहीं थी. लेकिन इस चुनाव में उन्होंने ओटावा के पास नेपियन सीट से चुनाव लड़ा और जीत हासिल की.

एक अर्थशास्त्री का लंबा करियर

कार्नी मूल रूप से राजनेता नहीं हैं, बल्कि पेशे से अर्थशास्त्री रहे हैं. उन्होंने 2008 से 2013 तक बैंक ऑफ कनाडा के गवर्नर के तौर पर काम किया, जब दुनिया आर्थिक संकट से जूझ रही थी. इसके बाद वे बैंक ऑफ इंग्लैंड के गवर्नर बने और वहाँ 2020 तक अपनी सेवाएं दीं. वे इस पद पर पहुंचने वाले पहले गैर-ब्रिटिश व्यक्ति थे.

कार्नी ने 2011 से 2018 तक फाइनेंशियल स्टेबिलिटी बोर्ड के चेयर के तौर पर वैश्विक आर्थिक नीतियों में भी अहम भूमिका निभाई. इसके अलावा, वे 2019 से 2025 तक संयुक्त राष्ट्र के स्पेशल एनवॉय फॉर क्लाइमेट एक्शन एंड फाइनेंस भी रहे.

शुरुआती जीवन के बारे में जानिए

मार्क कार्नी का जन्म कनाडा के नॉर्थवेस्ट टेरिटरीज़ के एक छोटे से कस्बे फोर्ट स्मिथ में हुआ. उनके तीन दादा-दादी आयरलैंड के काउंटी मेयो से थे. उनके पास कनाडा और आयरलैंड की दोहरी नागरिकता थी, लेकिन हाल ही में उन्होंने कहा कि वे अब केवल कनाडाई नागरिक रहेंगे. हावर्ड यूनिवर्सिटी से स्कॉलरशिप पर पढ़ाई करने के दौरान उन्होंने आइस हॉकी खेली और फिर ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी से इकोनॉमिक्स में पीएचडी की डिग्री ली.

अमेरिका और ट्रंप पर सख्त रुख

इस चुनाव में अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की टिप्पणियां बड़ा मुद्दा रहीं. ट्रंप ने न सिर्फ कनाडाई वस्तुओं पर भारी शुल्क लगाया, बल्कि यहां तक कह दिया कि कनाडा को अमेरिका का ’51वां राज्य’ बना देना चाहिए. कार्नी ने इन बयानों पर कड़ी प्रतिक्रिया दी. बतौर केंद्रीय बैंकर और G20 सदस्य, वे पहले ट्रंप कार्यकाल के दौरान उनके आर्थिक फैसलों के प्रत्यक्ष गवाह रह चुके हैं.

वातावरण और आंतरिक मुद्दों पर कैसा रुख?

कार्नी पर्यावरण संरक्षण के बड़े पैरोकार माने जाते हैं. 2021 में उन्होंने ग्लासगो फाइनेंशियल अलायंस फॉर नेट ज़ीरो की शुरुआत की थी. ट्रूडो सरकार की विवादित कार्बन टैक्स नीति को उन्होंने प्रधानमंत्री बनने के बाद 1 अप्रैल से समाप्त कर दिया, हालांकि पहले वे इस तरह की नीतियों के पक्षधर रहे हैं.

Related Articles

Back to top button