June 9, 2025 3:42 am
ब्रेकिंग
कौन हैं मैतेई नेता कानन सिंह, जिसकी गिरफ्तारी के बाद जल उठा मणिपुर जयमाला की प्रथा नहीं… सुनते ही भड़के बाराती, लड़की वालों का पीट-पीटकर किया ये हाल तमिलनाडु के लोग DMK सरकार के भ्रष्टाचार से हैं तंग… अमित शाह का स्टालिन सरकार पर हमला केंद्र का शासन होने के बावजूद मणिपुर में क्यों बहाल नहीं हो रही शांति? प्रियंका गांधी का बड़ा हमला मंगलुरु में बजरंग दल के पूर्व सदस्य सुहास शेट्टी की हत्या की NIA करेगी जांच, MHA ने जारी किया आदेश कानपुर के इस गांव में 34 परिवारों ने क्यों लगाए मकान बिक्री के पोस्टर? मंत्री तक पहुंची बात, फिर जो ... बरेली: IVRI के डॉक्टरों ने कर दिया कमाल, देसी तकनीक से कुत्ते का किया हिप रिप्लेसमेंट; पुलिस का डॉग ... हिंदू से लेकर मुस्लिम तक… 20 शादियां कीं, जो मिला उसी से विवाह, कहानी लुटेरी दुल्हन की जो साथ लेकर च... ‘गांव वालों कूद जाऊंगा…’ 100 फीट ऊंचे टावर पर चढ़ा युवक, 3 घंटे तक काटा बवाल, पुलिस भी पहुंची दिल्ली में झुग्गियों पर बुलडोजर चलने पर संजय सिंह बिफरे, रेखा सरकार पर बोला हमला
उत्तराखंड

चारधाम यात्रा में मौत… परिवार तक कैसे पहुंचेगा शव, क्या है प्रोसेस? यहां जानिए सभी सवालों के जवाब

उत्तराखंड में चारधाम यात्रा अपने शबाब पर है. पिछले महीने एक महीने से शुरू हुई इस चारधाम यात्रा में अब तक लाखों श्रद्धालुओं ने बदरीनाथ, केदारनाथ, गंगोत्री व यमुनोत्री आदि तीर्थस्थलों पर जाकर दर्शन पूजन किए हैं. अक्सर कथा कहानियों में सुनने को मिलता है कि जो बड़े भाग्यशाली होते हैं, वहीं चारधाम यात्रा के बाद जिंदा अपने घर लौटते हैं. यही वजह है कि सनातन धर्म में आम तौर पर सभी जिम्मेदारियों के निर्वहन के बाद चारधाम यात्रा की परंपरा रही है. अब बड़ा सवाल यह है कि चारधाम यात्रा के दौरान किसी की मौत हो जाए तो उसका शव परिवार तक पहुंचता है कि नहीं, यदि पहुंचता है तो कैसे और इसमें आने वाला खर्च कौन वहन करता है?

इसके साथ ही एक सवाल के साथ एक और सवाल कि ऐसा होने पर श्रद्धालु के परिजनों को कोई क्षतिपूर्ति भी मिलती है क्या? चूंकि इस साल चारधाम यात्रा शुरू होने के बाद इसी एक महीने के अंदर 73 श्रद्धालुओं की मौत हो चुकी है. इसलिए ये सवाल लाजमी भी हैं. आइए, इस प्रसंग में हम इन्हीं सवालों के जवाब ढूंढने और जानने की कोशिश करते हैं. शुरूआत शुरू से ही करते हैं. उत्तराखंड सरकार चारधाम यात्रा के लिए जाने वाले सभी श्रद्धालुओं और पर्यटकों का रजिस्ट्रेशन करती है. इस दौरान सभी को दुर्घटना बीमा का विकल्प दिया जाता है. जो यात्री इस विकल्प को चुनते हैं, वह एक लाख के बीमे से कवर हो जाते हैं और यात्रा के दौरान मौत होने पर उनके परिवार को एक लाख रुपये का दुर्घटना क्लेम मिल जाता है.

उत्तराखंड सरकार भी देती है मुआवजा

चारधाम यात्रा के लिए उत्तराखंड सरकार ने भी मुआवजा नीति बनाई है. इस नीति के तहत यात्रा के दौरान यदि किसी तीर्थयात्री की मृत्यु होती है तो सरकार उसके परिजनों के नाम कुछ मुआवजा राशि जारी करती है. हालांकि इसके लिए कुछ नियम बनाए गए हैं. इसमें तुरंत प्रशासन को सूचित करना होता है. इसके बाद प्रशासन शव का पोस्टमार्टम कराता है और सरकार को रिपोर्ट भेजी जाती है. इसके बाद मुआवजा राशि तय की जाती है. पोस्टमार्टम के बाद शव को परिजनों तक भिजवाने की व्यवस्था भी स्थानीय प्रशासन करता है. पड़ोसी राज्यों में तो सड़क मार्ग से शव को भेजा जाता है, लेकिन सुदूर के राज्यों में हवाई मार्ग से शव भेजने की व्यवस्था है. हालांकि कई बार सूचना मिलने पर परिजन खुद मौके पर पहुंच जाते हैं और वहीं पर अंतिम संस्कार करते हैं. इसके लिए भी जरूरी इंतजाम लोकल प्रशासन करता है.

शव की पहचान महत्वपूर्ण

वैसे तो तीर्थ यात्रा पर जाने वाले सभी श्रद्धालुओं और पर्यटकों का रजिस्ट्रेशन होता है. इसके उनके बैकग्राउंड और परिवार के बारे में पूरी जानकारी होती है. बावजूद इसके शव की पहचान लोकल प्रशासन और पुलिस के लिए बड़ी चुनौती होती है. कई बार लोग अकेले ही यात्रा पर निकल पड़ते हैं. इस स्थिति में यह चुनौती और भी मुश्किल हो जाती है. जिन मामलों में मृतक बीमा कवर होता है, उसमें परिजनों को खुद ही मृत्यु प्रमाण पत्र एवं अन्य जरूरी दस्तावेज लगाते हुए बीमा कंपनी में क्लेम करना होता है. हालांकि इस प्रक्रिया को असान बनाने के लिए कुछ एनजीओ भी सक्रिय हैं. परिजन इन एनजीओ के पदाधिकारियों के साथ मिलकर जरूरी औपचारिकताओं को पूरा कर सकते हैं.

Related Articles

Back to top button