June 8, 2025 7:14 pm
ब्रेकिंग
कौन हैं मैतेई नेता कानन सिंह, जिसकी गिरफ्तारी के बाद जल उठा मणिपुर जयमाला की प्रथा नहीं… सुनते ही भड़के बाराती, लड़की वालों का पीट-पीटकर किया ये हाल तमिलनाडु के लोग DMK सरकार के भ्रष्टाचार से हैं तंग… अमित शाह का स्टालिन सरकार पर हमला केंद्र का शासन होने के बावजूद मणिपुर में क्यों बहाल नहीं हो रही शांति? प्रियंका गांधी का बड़ा हमला मंगलुरु में बजरंग दल के पूर्व सदस्य सुहास शेट्टी की हत्या की NIA करेगी जांच, MHA ने जारी किया आदेश कानपुर के इस गांव में 34 परिवारों ने क्यों लगाए मकान बिक्री के पोस्टर? मंत्री तक पहुंची बात, फिर जो ... बरेली: IVRI के डॉक्टरों ने कर दिया कमाल, देसी तकनीक से कुत्ते का किया हिप रिप्लेसमेंट; पुलिस का डॉग ... हिंदू से लेकर मुस्लिम तक… 20 शादियां कीं, जो मिला उसी से विवाह, कहानी लुटेरी दुल्हन की जो साथ लेकर च... ‘गांव वालों कूद जाऊंगा…’ 100 फीट ऊंचे टावर पर चढ़ा युवक, 3 घंटे तक काटा बवाल, पुलिस भी पहुंची दिल्ली में झुग्गियों पर बुलडोजर चलने पर संजय सिंह बिफरे, रेखा सरकार पर बोला हमला
मनोरंजन

वो फिल्म जिसने सिनेमाघरों को मंदिर बना दिया, अमिताभ बच्चन को भी छोड़ा पीछे!

भारतीय सिनेमा के इतिहास में ऐसी फिल्में शायद ही बनती हैं, जो सिर्फ़ पर्दे पर नहीं, बल्कि सीधे लाखों दिलों में उतर जाती हैं. आज से 50 साल पहले यानी 30 मई 1975 को रिलीज हुई ‘जय संतोषी मां’ एक ऐसी ही फिल्म थी, जिसने बॉक्स ऑफिस पर इतिहास रचा. आज भी जब इस फिल्म का ज़िक्र होता है, तो सिर्फ इस फिल्म के कमाई के आंकड़े नहीं, बल्कि इस फिल्म से जुड़ी उस ‘अभूतपूर्व’ क्रेज को याद किया जाता है, जिसने सिनेमाघरों को मंदिर बना दिया था.

जानकारों का कहना है कि आज शायद ये कल्पना करना मुश्किल होगा, लेकिन ‘जय संतोषी मां’ के दौर में यही हकीकत थी. ये सिर्फ एक फिल्म नहीं, बल्कि लोगों के लिए आस्था का नया केंद्र बन गई थी.

सिनेमाघर बने थे भक्ति धाम

कई सिनेमाघरों में जैसे मंदिर में प्रवेश करते हैं, वैसे ही दर्शक फिल्म शुरू होने से पहले ही अपने जूते-चप्पल बाहर उतार देते थे. फिल्म में जब संतोषी मां की स्क्रीन पर एंट्री होते ही लोग खड़े होकर हाथ जोड़ लेते थे, कुछ लोग तो उनकी आरती उतारने लगते थे, तो कुछ लोग तो इस मौके पर फूल और सिक्के भी बरसाते थे.

प्रसाद और आरती की थालियां

कई दर्शक अपने साथ पूजा की थालियां और प्रसाद लेकर ‘जय संतोषी मां’ देखने पहुंच जाते थे. फिल्म खत्म होने के बाद थिएटर के बाहर प्रसाद बांटा जाता था, जैसे किसी धार्मिक आयोजन के बाद होता है. इस फिल्म को लोगों ने एक त्योहार की तरह सेलिब्रेट किया. फिल्म देखकर संतोषी माता के भक्त बने दर्शक हर शुक्रवार को ये फिल्म देखने थिएटर आते थे.

बैलगाड़ियों में आते थे दर्शक

‘जय संतोषी मां’ देखने के लिए गांवों और कस्बों से लोग इसको देखने के लिए बैलगाड़ियों और ट्रकों में भरकर शहरों तक आते थे. टिकट खिड़की पर मीलों लंबी कतारें लगती थीं और ब्लैक में टिकट बिकना आम बात हो गई थी.

अमिताभ बच्चन की फिल्म को छोड़ दिया पीछे

1975 का साल हिंदी सिनेमा में ‘शोले’ और ‘दीवार’ जैसी बड़ी फिल्मों के लिए जाना जाता है. ऐसे में महज 5 लाख रुपये के छोटे बजट में बनी ‘जय संतोषी मां’ ने जो कमाल किया, वो किसी चमत्कार से कम नहीं था. लेकिन, आपको जानकर हैरानी होगी कि इस फिल्म ने पहले दिन केवल 56 रुपये की कमाई की थी और इसलिए इसे फ्लॉप मान लिया गया था, लेकिन जनता की ‘माउथ पब्लिसिटी’ (एक-दूसरे को बताना) ने सब कुछ बदल दिया. देखते ही देखते फिल्म ने बॉक्स ऑफिस पर तहलका मचा दिया. रिपोर्ट्स के मुताबिक, इसने 5 से 10 करोड़ रुपये की कमाई की, जो उस दौर में अपने बजट का 100 गुना से भी ज्यादा था. शोले के बाद ‘जय संतोषी मां’ साल 1975 की दूसरी सबसे ज्यादा कमाई करने वाली फिल्म बनी. यानी इस फिल्म ने अमिताभ बच्चन की ‘दीवार’ को भी पीछे छोड़ दिया.

50 हफ्तों तक हाउसफुल

‘जय संतोषी मां’ कई सिनेमाघरों में 50 हफ्तों तक हाउसफुल चली, जो अपने आप में एक रिकॉर्ड था. इसने साबित कर दिया कि कहानी और आस्था की शक्ति, बड़े सितारों और भव्य बजट पर भारी पड़ सकती है.

अनीता गुहा बन गईं ‘साक्षात संतोषी मां’

फिल्म में संतोषी मां का दिव्य किरदार निभाने वाली एक्ट्रेस अनीता गुहा की एक्टिंग से लोग इतने ज्यादा प्रभावित हुए कि वे उन्हें सचमुच देवी मानने लगे थे. अनीता गुहा जहां भी जाती थीं, लोग उनके पैर छूकर आशीर्वाद लेते थे और उन्हें ‘संतोषी मां’ कहकर बुलाने लगे थे. बच्चों को उनकी गोद में आशीर्वाद के लिए रखा जाता था.

व्रत रखकर हुई शूटिंग

बताया जाता है कि अनीता गुहा ने फिल्म के पूरे शूट के दौरान उपवास रखा था, जिससे उनके किरदार में एक अलग ही पवित्रता और गहराई आ गई थी.

Related Articles

Back to top button