कम लागत में अधिक लाभ: संतुलित उर्वरक के उपयोग पर सहकार भारती का जोर

रायपुर–/ छत्तीसगढ़ के किसानों के लिए राहत और जानकारी का सशक्त संदेश लेकर आई है सहकार भारती छत्तीसगढ़ की एक महत्त्वपूर्ण पहल। प्रदेश के किसानों को वैज्ञानिक ढंग से खेती करने और अपनी भूमि की उर्वरता को बनाए रखते हुए अधिक उपज प्राप्त करने के लिए संतुलित उर्वरकों के उपयोग की विस्तृत जानकारी जारी की गई है। यह जानकारी इफको तथा इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय रायपुर के वैज्ञानिकों की अनुशंसा पर आधारित है। इस दिशा में किसानों को जागरूक करने हेतु एक स्पष्ट, रंगीन और उपयोगी चार्ट तैयार किया गया है, जिसे विभिन्न गांवों और समितियों में प्रसारित किया जा रहा है।
सहकार भारती छत्तीसगढ़ के प्रदेश संयोजक (पैक्स प्रकोष्ठ) घनश्याम तिवारी ने बताया कि आज के समय में अधिक उत्पादन की होड़ में किसान प्रायः उर्वरकों का असंतुलित और अंधाधुंध उपयोग करते हैं, जिससे मिट्टी की उर्वरता नष्ट होती जा रही है। उन्होंने कहा कि यदि किसान वैज्ञानिक पद्धति से, संतुलित मात्रा में उर्वरकों का उपयोग करें, तो न केवल उपज में वृद्धि होगी, बल्कि खेत की मिट्टी की सेहत भी बरकरार रहेगी। इसी क्रम में प्रदेश कोषाध्यक्ष रामप्रकाश केशरवानी ने कहा कि सहकार भारती का उद्देश्य किसानों को जानकारी देकर आत्मनिर्भर और जागरूक बनाना है।
इस चार्ट में धान, गेहूं, चना, अरहर, सरसों, मक्का और सोयाबीन जैसी फसलों के लिए आवश्यक पोषक तत्वों—नत्रजन (N), फास्फोरस (P), और पोटाश (K)—की मात्रा को स्पष्ट किया गया है। उदाहरण के तौर पर धान (सामान्य किस्म) के लिए 24 किग्रा नत्रजन, 16 किग्रा फास्फोरस और 52 किग्रा पोटाश की आवश्यकता बताई गई है। इसी तरह, गेहूं के लिए 52:20:20, मक्का के लिए 64:24:24, सोयाबीन के लिए 32:32:32 की मात्रा अनुशंसित की गई है। यह जानकारी किसानों को सटीक मात्रा में उर्वरक देने हेतु प्रेरित करती है।
जानकारी में यह भी बताया गया है कि एक ही पोषक तत्व की पूर्ति विभिन्न उर्वरक संयोजनों से की जा सकती है। इसमें चार प्रमुख उर्वरक समूह दर्शाए गए हैं, जैसे समूह 1 (यूरिया 46%, डीएपी, एमओपी), समूह 2 (यूरिया, सिंगल सुपर फॉस्फेट, एमओपी), समूह 3 (कॉम्प्लेक्स फर्टिलाइज़र 12:32:16), और समूह 4 (कॉम्प्लेक्स 20:20:0:13)। किसान अपनी आवश्यकता, उपलब्धता और बजट के अनुसार किसी भी समूह को चुन सकते हैं। इससे उनके लिए उर्वरक प्रबंधन आसान हो जाता है।
सहकार भारती द्वारा विशेष रूप से यह भी अपील की गई है कि किसान मृदा परीक्षण अवश्य करवाएं। मृदा परीक्षण से यह स्पष्ट हो जाता है कि खेत में किस पोषक तत्व की अधिकता या कमी है। इससे उर्वरकों का अनावश्यक व्यय रुकता है, उत्पादन बढ़ता है और लागत में भी कमी आती है। मृदा परीक्षण के अनुसार उर्वरकों का चयन सबसे सटीक और लाभदायक होता है। यह अभ्यास छोटे किसानों के लिए विशेष रूप से मददगार सिद्ध हो सकता है।
इफको और कृषि विज्ञान केंद्रों द्वारा अनुशंसित इस जानकारी में इफको के उर्वरक उत्पादों जैसे नैनो यूरिया, डीएपी, सिंगल सुपर फॉस्फेट, पोटाश और सल्फर को प्राथमिकता दी गई है। ये उर्वरक गुणवत्ता में उच्च होते हैं और फसल के लिए आवश्यक सूक्ष्म पोषक तत्व भी प्रदान करते हैं। इन उत्पादों को छत्तीसगढ़ की सहकारी समितियों, PACS और कृषक सेवा केंद्रों से प्राप्त किया जा सकता है।
इस अभियान को गांव-गांव तक पहुँचाने के लिए सहकार भारती की टीम ग्राम पंचायतों, कृषि समितियों और कृषक समूहों के साथ मिलकर कार्य कर रही है। किसानों को जानकारी देने के लिए पोस्टर, पुस्तिकाएं, प्रशिक्षण सत्र और कृषक जागरूकता कार्यक्रम भी चलाए जा रहे हैं। प्रदेश में कृषि शिक्षा और वैज्ञानिक खेती के प्रति रुचि को बढ़ावा देने हेतु यह एक मजबूत कदम माना जा रहा है।
सहकार भारती ने किसानों से अपील की है कि वे वैज्ञानिक पद्धतियों को अपनाएं, मृदा परीक्षण कराएं और संतुलित उर्वरकों का सही समय पर उपयोग करें। अधिक जानकारी हेतु किसान संचालक (कृषि) छत्तीसगढ़ शासन, इफको कार्यालय रायपुर या अपने जिले के सहकार भारती पदाधिकारियों से संपर्क कर सकते हैं। यह अभियान निश्चित रूप से प्रदेश के कृषि परिदृश्य में एक सकारात्मक परिवर्तन की नींव रखेगा।
घनश्याम तिवारी प्रदेश संयोजक पैक्स प्रकोष्ठ सहकार भारती छत्तीसगढ़ एवं रामप्रकाश केशरवानी प्रदेश कोषाध्यक्ष सहकार भारती छत्तीसगढ़ ने लखुर्री में ग्राम चौपाल लगाकर किसानों को जानकारी दी।
इस अवसर पर बड़ी संख्या में ग्रामीण किसान, महिला कृषक और युवा उपस्थित रहे। चौपाल में फसलवार उर्वरक चार्ट, मृदा परीक्षण की उपयोगिता, और इफको द्वारा उत्पादित उर्वरकों की जानकारी साझा की गई। कार्यक्रम के दौरान किसानों को जागरूकता पुस्तिकाएं वितरित की गईं और उनके प्रश्नों का समाधान भी किया गया। किसानों ने इस प्रकार की जानकारी को अत्यंत उपयोगी बताते हुए सहकार भारती की सराहना की और वैज्ञानिक खेती की दिशा में आगे बढ़ने का संकल्प लिया।