June 10, 2025 7:16 am
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पंजाब

विजिलेंस की नजरें अब Smart City घोटाले पर, कई अधिकारियों की संपत्तियां जांच के घेरे में

जालंधर: विजिलेंस द्वारा गत दिनों विधायक रमन अरोड़ा की गिरफ्तारी के बाद मामले में उस समय नया मोड़ आ गया जब विजिलेंस द्वारा स्मार्ट सिटी घोटाले संबंधी भी जांच तेज कर दी गई है। विजिलेंस अब स्मार्ट सिटी के हुए घोटाले की भी जांच करने के लिए निगम के अधिकारियों को कभी भी बुला सकती है। विजिलेंस को पता चला है कि सत्ताधारी नेताओं द्वारा जांच में शामिल नगर निगम के ठेकेदार और कई अधिकारियों को बचाने के लिए विधायक रमन अरोड़ा ने सिफारिश की थी। हैरानी की बात है 3 साल के अंतराल में विजिलेंस की जांच किसी नतीजे पर नहीं पहुंच पाई है। इसी के चलते अब मुख्यमंत्री भगवंत मान की भ्रष्टाचार को लेकर जीरो टॉलरेंस नीति के तहत अब विजिलेंस नगर निगम अधिकारियों की संपत्तियां भी जांच करेगी।

दरअसल 3 साल पहले पंजाब में आम आदमी पार्टी की सरकार बनने के बाद मुख्यमंत्री द्वारा स्मार्ट सिटी में हुए घोटाले की जांच विजिलेंस को सौंपी थी और विजिलेंस द्वारा उक्त सारे मामले में शहर के नवीनीकरण करने के लिए केंद्र सरकार द्वारा जारी हुए फंड को लेकर नगर निगम के अधिकारियों और ठेकेदारों द्वारा काफी बड़े स्तर पर स्मार्ट सिटी के नाम पर फर्जीवाड़ा कर बड़ा घोटाला किया था। केंद्र की मोदी सरकार ने जालंधर को सम्राट सिटी बनाने के लिए 1000 करोड़ रुपए जारी किए थे और इन पैसों को अफसरों ने पानी की तरह बहाकर जमकर भ्रष्टाचार किया था। विजिलेंस जांच के लिए नगर निगम से स्मार्ट सिटी के टैंडरों की सैंकड़ों फाइलें की जांच में जुटी है। इस जांच में नगर निगम के तत्कालीन और वर्तमान अधिराकिरयों पर भी गाज गिर सकती है।

तीन सालों के अंतराल दौरान कितने ही एस.एस.पी. बदल गए, लेकिन जांच अधर में ही लटक गई थी और अब विधायक रमन अरोड़ा की गिरफ्तारी के बाद दोबारा उक्त मामला खुल गया है, क्योंकि उन्हें पता चला है कि नगर निगम के ठेकेदारों की सिफारिशें विधायक द्वारा की गई थी, जोकि खुद उक्त घोटाले में संलिप्त थे। दूसरी ओर उक्त घोटाला कांग्रेस सरकार के वक्त हुआ था, इस मामले में उस वक्त कई अधिकारियों सहित नेताओं के नाम उछले थे।

60 प्रोजेक्टों की फाइलें धूल फांक रही विजिलेंस के पास

वहीं स्मार्ट सिटी प्रोजेक्ट में कुल 60 प्रोजेक्ट थे, जिसमें काफी टैंडर ठेकेदारों को अलॉट किए थे, इन 60 प्रोजेक्टों की फाइलें विजिलेंस के पास पिछले 3 साल से धूल फांक रही हैं, इस सारे मामले में इतनी देरी होने के पीछे के क्या कारण यह तो अब जांच का विषय है। सूत्रों की मानें तो उक्त मामले में ठेकेदारों और निगम अधिकारियों को बचाने के लिए कई तरीके के दबाव बने होंगे। अब विधायक की गिरफ्तारी के बाद विजीलैंस का एक्शन में है और किसी भी को बख्शने के मूड में नहीं है।

पूर्व मंत्री सिद्धू के वक्त नगर निगम के बर्खास्त किए अफसरों की भी हो सकती है जांच

वहीं बता दें कि पूर्व लोकल बॉडीज मंत्री रहे नवजोत सिंह सिद्धू द्वारा जिस तरह नगर निगम के भ्रष्ट अधिकारियों को सस्पेंड किया गया था, उन्हें बाद में सरकार बदलने के बाद बहाल भी कर दिया था। विजीलैंस को शक है कि आप नेताओं द्वारा उन्हें बहाल भी करवाया गया था। अब अशंका जताई जा रही है कि कहीं आप विधायक रमन अरोड़ा द्वारा इन अफसरों से साथ मिलकर बड़े स्तर पर भ्रष्टाचार किया है। इस के चलते पूर्व और वर्तमान अफसरों की संपत्तियां की जांच विजिलेंस जांच कर सकती है।

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