July 1, 2025 12:33 am
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साइबर अपराधियों के ‘मंसूबे’ पूरे कर रहा AI, भारतीयों ने 1 साल में गंवा दिए 23000 करोड़

Cyber Fraud की घटनाएं दिनोदिन बढ़ती जा रही है, आए दिन कोई न कोई धोखाधड़ी का शिकार हो रहा है. ठगी करने वालों की नजरें हमेशा आपके पैसों पर बनी रहती है, यही वजह है कि साइबर अपराधी आप लोगों को फंसाने के लिए नए-नए पैंतरे ढूंढकर लाते हैं. अब हाल ही में सामने आई एक नई रिपोर्ट में न केवल साइबर अपराध के बढ़ते मामलों को लेकर चेतावनी दी गई है बल्कि इस रिपोर्ट में ये भी बताया गया है कि AI अब ठगी करने वालों का नया ‘हथियार’ बन गया है.

2024 में डिजिटल धोखाधड़ी के कारण 22 हजार 812 करोड़ रुपए (2.78 बिलियन डॉलर) का नुकसान हुआ, जिसमें से ज्यादातर धोखाधड़ी AI के कारण हुई है. GIREM (ग्लोबल इनिशिएटिव फॉर रिस्ट्रक्चरिंग एनवायरनमेंट एंड मैनेजमेंट) और ऑटोमोटिव टेक फर्म Tekion द्वारा संयुक्त रूप से जारी की गई द स्टेट ऑफ एआई पावर्ड साइबर क्राइम: थ्रेट एंड मिटिगेशन रिपोर्ट 2025 में इस बात की जानकारी दी गई है.

10 में से 8 स्कैम में AI का हाथ

रिपोर्ट में इस बात पर रोशनी डाली गई है कि साइबर अपराधी फिशिंग ईमेल, नकली वेबसाइट और डीपफेक जैसे घोटाले करने के लिए एआई का इस्तेमाल कर रहे हैं। 80 प्रतिशत फ़िशिंग मेल में एआई टूल्स का इस्तेमाल हुआ है जिसका मतलब ये है कि हर 10 फ़िशिंग स्कैम में से 8 में एआई की भूमिका रही है. Tekion के संस्थापक और सीईओ जय विजयन ने कहा, ये रिपोर्ट एक चेतावनी है, ये सिर्फ साइबर खतरों के बारे में बताने वाला डॉक्यूमेट नहीं है बल्कि ये रिपोर्ट इस बात को उजागर करती है कि लोगों ने एआई की वजह से कितना नुकसान उठाया है.

10 गुना बढ़ गए मामले

भारत में 2024 में साइबर अपराध की 1.91 मिलियन (लगभग 19 लाख 10 हजार) शिकायतें दर्ज की गईं जो 2023 की तुलना 1.55 मिलियन से अधिक है और 2019 से लगभग दस गुना वृद्धि हुई है. रिपोर्ट में कई और भी चौंकाने वाले खुलासे हुए हैं जैसे कि केवल 1 साल में फाइनेंशियल फ्रॉड से जुड़े मामले तीन गुना बढ़ गए हैं. पिछले साल (2024) भारतीयों ने डिजिटल अरेस्ट स्कैम में फंसकर 1936 करोड़ रुपए गंवाए हैं और पिछले चार सालों में साइबर अपराधियों ने कंपनियों और लोगों से कुल मिलाकर 33000 करोड़ रपए की ठगी को अंजाम दिया है.

साइबर अपराधी एआई का इस्तेमाल कर नकली ऐप्स बना रहे हैं जो ऑरिजनल ऐप्स की तरह दिखते हैं और इन फेक ऐप्स के जरिए मैलवेयर को आपके फोन में डाला जाता है. ऐप इंस्टॉल होने के बाद जैसे ही आप ऐप को चलाते हैं, ये मैलवेय आपकी निजी जानकारी चुरा लेता है.

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