भारत की सोने की भूख को पूरी करता है घाना, क्यों अहम है पीएम मोदी का ये दौरा?

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 5 देशों के दौरे पर जा रहे हैं. पीएम मोदी के दौरे की शुरुआत 2 जुलाई से होगी. वह अपनी इस यात्रा का आगाज पश्चिम अफ्रीका के देश घाना से करेंगे. इसके बाद वह त्रिनिदाद एंड टोबैगो, अर्जेंटीना, ब्राजील और नामीबिया जाएंगे. पीएम मोदी दो दिन घाना में रहेंगे. किसी भारतीय पीएम का तीन दशक में ये पहला घाना दौरा होगा.
पीएम मोदी घाना के राष्ट्रपति से मुलाकात और द्विपक्षीय बातचीत के अलावा वहां की संसद को भी संबोधित करेंगे. पीएम मोदी भारतीय समुदाय के लोगों से भी बातचीत करेंगे.
घाना भारत के लिए क्यों अहम?
घाना भारत की अफ्रीका रणनीति में प्रमुख खिलाड़ी बनकर उभरा है. घाना सोना, बॉक्साइट, लकड़ी, कोको और काजू की आपूर्ति करता है, जो औद्योगिक विकास और खाद्य सुरक्षा के लिए आवश्यक हैं. जबकि भारत घाना को फार्मास्यूटिकल्स, अनाज, मशीनरी, इस्पात और वस्त्र देता है. भारत पहले ही घाना को 450 मिलियन डॉलर से अधिक का अनुदान और रियायती ऋण दे चुका है. भारत और घाना के बीच द्विपक्षीय व्यापार वर्तमान में लगभग 3 बिलियन डॉलर है. भारत घाना से सबसे ज्यादा सोना आयात करता है, ये घाना से कुल आयात का 70 प्रतिशत से अधिक है.
बता दें कि घाना अफ्रीका का सबसे बड़ा सोना उत्पादक है और दुनिया का छठा सबसे बड़ा उत्पादक है, लेकिन यह बड़े पैमाने पर अवैध सोने के खनन, जिसे स्थानीय रूप से गैलामसी कहा जाता है, उसे रोकने के लिए संघर्ष कर रहा है. सोने की बढ़ती कीमतों और युवा बेरोज़गारी के कारण घाना में अवैध सोने का खनन बढ़ रहा है, जबकि गैलामसी गतिविधियों को बंद करने के लिए सैन्य अभियान चलाए जा रहे हैं.
भारत और घाना द्विपक्षीय संबंधों को बढ़ाने पर जोर दे रहे हैं. प्रधानमंत्री मोदी की यात्रा इसलिए भी महत्वपूर्ण है क्योंकि यह घाना के राष्ट्रपति जॉन ड्रामानी महामा के कार्यकाल के शुरुआती दौर में हो रही है. महामा ने जनवरी में भारी जीत के बाद पदभार संभाला था.
भारत और घाना में 70 साल की दोस्ती
भारत-घाना के संबंध पारंपरिक रूप से मधुर रहे हैं. दोनों के रिश्ते ऐतिहासिक हैं. ये साझेदारी सात दशकों की है. भारत ने घाना की स्वतंत्रता से पहले 1953 में अकरा में अपना प्रतिनिधि कार्यालय खोला और स्वतंत्रता प्राप्त करने के तुरंत बाद 1957 में घाना के साथ पूर्ण राजनयिक संबंध स्थापित किए. द्विपक्षीय संबंधों की विशेषता मजबूत और विस्तारित व्यापार और निवेश साझेदारी है. भारत घाना के शीर्ष व्यापारिक साझेदारों में से एक है और घाना के निर्यात के लिए सबसे बड़ा गंतव्य है.
भारत ने कहा कि हमने घाना के मुद्दे को 1957 में स्वतंत्रता मिलने से बहुत पहले ही संयुक्त राष्ट्र में उठाया था. हमने वैश्विक दक्षिण के लिए महत्वपूर्ण विभिन्न मुद्दों पर विभिन्न बहुपक्षीय मंचों पर घनिष्ठ संबंध बनाए रखे हैं. दोनों देश आर्थिक सहयोग बढ़ाने की दिशा में काम कर रहे हैं, क्योंकि घाना गहन आर्थिक पुनर्गठन के दौर से गुजर रहा है.
घाना में 15,000 से ज़्यादा की संख्या में भारतीय समुदाय के लोग हैं. उनमें से कुछ 70 साल से ज़्यादा समय से घाना में रह रहे हैं. कुछ परिवार अब घाना में अपनी चौथी पीढ़ी में हैं और उनमें से ज़्यादातर ने घाना की नागरिकता हासिल कर ली है.
अफ्रीका पर मोदी सरकार का रहा है फोकस
पिछले 11 साल में भारत ने अफ्रीका के सदाबहार मित्र के रूप में अपनी स्थिति मजबूत की है. प्रधानमंत्री मोदी ने इस महाद्वीप के भारत की प्रतिबद्धता पर जोर दिया है. पीएम मोदी की घाना यात्रा के दौरान कुछ चीजों पर खास फोकस रहेगा. जैसे कृषि को लेकर घाना के राष्ट्रपति भारत के साथ जुड़ने के इच्छुक हैं. वह वैक्सीन डेवेलपमेंट के लिए भी उत्सुक हैं. वह घाना को पश्चिम अफ्रीका के लिए वैक्सीन हब बनाना चाहते हैं. एजेंडा में रक्षा सहयोग भी होगा. इसके अलावा महत्वपूर्ण खनिज और डिजिटल को लेकर दोनों देशों की बातचीत का एजेंडा है.
प्रधानमंत्री मोदी के इस ऐतिहासिक दौरे के साथ ही भारत और घाना के बीच साझेदारी एक नए चरण में प्रवेश करने के लिए तैयार है. भारत के लिए घाना न केवल एक द्विपक्षीय साझेदार है, बल्कि पश्चिमी अफ्रीका के लिए एक रणनीतिक प्रवेश द्वार है.