पेंड्रा में सड़क निर्माण से किसान परेशान; कहा खेत में मिट्टी डालकर पाट दिए हैं, 2 साल से फसल नहीं ले पाए

गौरेला पेंड्रा मरवाही: सड़क निर्माण से परेशानी नहीं है साहब..लेकिन मेरे खेत को मिट्टी डालकर पाट दिए हैं…पूरा फसल बर्बाद हो रहा है….ये 1-2 नहीं कई किसानों का कहना है.. दरअसल, रतनपुर से केंदा, पेंड्रा अमरकंटक होते हुए मध्यप्रदेश के डिंडोरी जबलपुर तक नेशनल हाईवे का निर्माण हो रहा है. इससे प्रभावित किसान अब मुआवजे की गुहार लगा रहे हैं,
क्या है मामला समझिएः नेशनल हाईवे-45 में निर्माणाधीन सड़क के पास डायवर्सन रोड बनाया गया है. अस्थाई सड़क के लिए ठेका कंपनी ने 2 साल से किसानों के खेतों में सैकड़ों ट्रॉली मिट्टी डाल दी है. मिट्टी की वजह से किसान खेती नहीं कर पा रहे हैं और उनका लगातार आर्थिक नुकसान हो रहा है. वहीं सड़क अस्थाई होने की वजह से नेशनल हाईवे अथॉरिटी उस भूमि का अधिग्रहण नहीं कर रहा है. इसके चलते मुआवजा की पात्रता भी नहीं है. ऐसे में किसान परेशान हैं और शासन प्रशासन से न्याय की गुहार लगा रहे हैं.
आगे और समय लग सकता है: वैसे तो नियमतः सड़क निर्माण के पहले भूमि अधिग्रहण एवं मुआवजा वितरण हो जाना चाहिए. बावजूद लेटलतीफी और एवं मार्किंग में गड़बड़ी की वजह से भूस्वामी परेशान हो रहे हैं. पेंड्रारोड अनुविभाग के तहत आने वाले NH 45 से गुजरने वाली सड़क में कई जगह बड़े-बड़े पुल पुलिया का निर्माण चल रहा है. कई जगह तो सिर्फ गड्ढा खोदकर बेस्ट डालकर छोड़ दिया गया है. ऐसे में यह तय है कि इन पुल पुलिया के निर्माण में बड़े आराम से 1-2 साल लग जाएंगे.
वाहनों के लिए सुविधा लेकिन किसानों का क्या?: इन सड़कों को चालू रखने के लिए जगह-जगह डायवर्सन किया गया है. डायवर्सन के लिए किसानों की जमीन पर कई-कई जगह अस्थाई सड़क का निर्माण किया गया है. इससे बड़े वाहन भी बिना किसी परेशानी के आसानी से निकल तो रहे हैं लेकिन किसानों की इस भूमि का नेशनल हाईवे या शासन की ओर से अधिग्रहण नहीं किया गया है.
मुझे मुआवजा नहीं मिल रहा है, पटवारी-तहसीलदार आकर नाप-झोंक भी किए हैं. 2-3 बार एप्लीकेशन भी दिए हैं लेकिन फिर भी कुछ नहीं हुआ– पीड़ित किसान
पिछले साल भी फसल नहीं ले पाए थे. मुआवजा दें इसका निराकरण करें या फिर इस सड़क को हटाएं, पूरा पट्टा है हमारे पास फिर भी इसे बेजा कब्जा बता रहे— पीड़ित किसान
कुछ किसानों के आवेदन हमें मिले हैं, इसकी जांच हमने करवाई है साथ ही NHAI को लिखा है कि इसका पूरक प्रकरण बनवाएं, और भी किसानों के नाम भी एड करवाएंगे– ऋचा चंद्राकर, SDM
इस तरह हो रही परेशानी: अस्थाई सड़कों की वजह से किसानों के खेतों में पानी जमा हो रहा है. डायवर्सन सड़कों में लाई गई मिट्टी एवं उसे बनाने के लिए चलाई गई बड़ी-बड़ी मशीनों की वजह से खेत दलदल में तब्दील हो गए हैं. किसान धान की खेती नहीं कर पा रहे हैं.
विकास कार्यों का निर्माण जरूरी है लेकिन साथ ही गांव और किसानों अगर उससे प्रभावित हो रहे तो उसे भी ध्यान शासन-प्रशासन को देना चाहिए. गौरेला पेंड्रा मरवाही जिला में सिंचाई की सुविधा कम होने की वजह से ज्यादातर किसान वर्ष भर में एक ही खेती करते हैं. धान की खेती से उनका सारा घर-खर्च चलता है. नेशनल हाईवे में जिन किसानों की भूमि दबी है वह ज्यादातर आदिवासी हैं. ऐसे में राष्ट्रीय राजमार्ग अथॉरिटी एवं राजस्व विभाग की जिम्मेदारी है कि ऐसी किसानों के नुकसान का सही आंकलन हो.