एक कमरे में स्कूल, कोरबा में प्राइमरी स्कूल के एक रूम में एक साथ बैठते हैं पहली से 5वीं तक के बच्चे –

कोरबा: कोरबा जिले के प्राथमिक स्कूल गोकुलनगर की एक क्लास में कुछ बच्चे पांचवी की किताबें पढ़ते हैं तो उसी दौरान कुछ बच्चे पहली, दूसरी, तीसरी और चौथी की पढ़ाई करते हैं. सुनने में जरूर अटपटा लग रहा है लेकिन ये सच्चाई है. एक कमरे में अलग अलग क्लास के बच्चों की पढ़ाई कैसे होती है ये देखने ETV भारत गोकुलनगर के प्राइमरी स्कूल पहुंचा.
एक कमरे में स्कूल: गोकुलनगर के प्राइमरी स्कूल में अलग अलग क्लास के छात्रों को बैठने के लिए कमरे ही नहीं है. स्कूल में सिर्फ तीन कमरे हैं. जिनमे से एक कमरा जर्जर है. जिसे स्टोर रूम के तौर पर इस्तेमाल किया जाता गै. ऐसे में बाकी के बचे दो कमरों में से एक में पहली से पांचवी तक के छात्रों को एक साथ बैठाया जाता है. शिक्षक इसे बहुकक्षा कहते हैं. यानि एक क्लास में कई कक्षाएं.
बरसात में बच्चे कम, इसलिए एक कमरे में एडजस्ट: बरसात के मौसम में सामान्य तौर पर बच्चों की उपस्थिति कुछ कम रहती है. जिसके कारण फिलहाल बच्चों की उपस्थिति फिलहाल कम है. ऐसे में जो एक कमरा ठीक-ठाक है. उसी में पहली से पांचवी कक्षा तक के सभी बच्चों को एक साथ बिठाया गया है. जहां एक शिक्षक पांचों कक्षा के बच्चों को एक साथ पढ़ाते हुए दिखे.
स्टाफ रूम में लगती है क्लास: वर्तमान में स्कूल में बच्चों की दर्ज संख्या 83 है. लेकिन पिछले वर्ष बच्चों की संख्या 100 थी. प्रधानपाठक रजनी पाटिल जोशी बताती है कि सितंबर तक एडमिशन का दौर चलेगा. तब संख्या 100 के पास जाने की भी उम्मीद है. प्रधानपाठक कहती है कि सितंबर के बाद बच्चों की संख्या बढ़ जाती है. तब स्कूल में स्थित दूसरा कमरा जो फिलहाल स्टाफ रूम है, वहां भी कक्षा लगाई जाती है. ताकि एक ही कमरे में 100 बच्चों को ना बैठना पड़े.
“पढ़ाने में दिक्कत तो होती है, उच्च अधिकारियों को दे चुके हैं जानकारी”: शिक्षक भी स्वीकार करते हैं कि टाइम टेबल के अनुसार एक साथ पांचों कक्षाओं को पढ़ाना संभव नहीं हो पता. एक कमरे में जब एक कक्षा की पढ़ाई होती है. तो दूसरे कक्षा के बच्चे या तो चुपचाप बैठे रहते हैं, या तो उन्हें कोई काम दे दिया जाता है. लेकिन इन परिस्थितियों को कम से कम गुणवत्तापूर्ण शिक्षा की संज्ञा तो नहीं दी जा सकती. वहीं स्कूल का किचन शेड हो या बच्चों के द्वारा इस्तेमाल किए जाने वाला टॉयलेट, दोनों ही की स्थिति भी संतोषजनक नहीं दिखी. हालांकि शिक्षकों ने इसके लिए उच्च अधिकारियों को अवगत करा देने की बात कही है.
टाइम टेबल के हिसाब से उन्हें अध्यापन कार्य करवाने में दिक्कत होती है. इन सभी परिस्थितियों से हमने उच्च अधिकारियों को अवगत करवा दिया है. उम्मीद है कि जल्द ही हमें अतिरिक्त कक्ष मिल जाएगा. जिससे कि बच्चों को अलग-अलग बिठाकर पढ़ाया जा सके- रजनी पाटिल जोशी, प्रधानपाठक, प्राथमिक शाला, गोकुल नगर
645 से अधिक स्कूलों के जर्जर होने की है जानकारी : कोरबा जिले में कुल मिलाकर 2226 स्कूल संचालित हैं. इनमें प्राथमिक से लेकर हाई और हायर सेकेंडरी भी शामिल हैं. पिछले वर्ष तक की जानकारी के अनुसार शिक्षा विभाग के 645 स्कूल भवन काफी जर्जर हैं. स्कूल जतन योजना के तहत मरम्मत भी करवाया गया था. कुछ स्कूलों में जर्जर भवन के कारण बच्चों को वहां नहीं बिठाया जा सकता, ऐसे स्कूलों में अधिक कक्षा की मांग की जाती है. लेकिन यह मांग पूरी नहीं होती. बरसात के मौसम में कुछ स्कूलों की छत टपक रही है. लेकिन यहां भी मरम्मत नहीं हुई है. जिसका खामियाजा स्कूलों में पढ़ने वाले बच्चों को भी भुगतना पड़ता है. खास तौर पर प्राथमिक स्तर की पढ़ाई का सबसे बुरा हाल है. इन स्कूलों में प्यून तक का पद नहीं होता. शिक्षकों पर गैरशिक्षकीय जिम्मेदारियां भी होती है.