दंतेवाड़ा : ‘हमें हमारी मैडम कुछ नहीं देती,हमको जो मिलना चाहिए वो हम सभी को नहीं मिलता.हम जब शिकायत करते हैं तो हमें डांटते हैं.मेरे भैया को भी खूब डांटे बोले कि तुम बच्चियों को सीखाते हो.मेरे भैया तो कुछ नहीं करते तो उसको क्यों डांट रही मैडम.हमको हमारी पुरानी मैडम लाकर दो’. ये शब्द उस आदिवासी बालिका आश्रम की बच्ची का है.जो अपने घर से दूर रहकर शासन के भरोसे शिक्षा के मंदिर में रह रही हैं. इस बच्ची जैसी 100 छात्राओं की भी यही कहानी है कि हॉस्टल में वो सुविधाएं नहीं मिल रही जैसे पहले मिलती थी.जब हॉस्टल अधीक्षक के सामने फरियाद लगाकर बच्चियां थक गई तो शनिवार सुबह साढ़े सात बचे कलेक्टर बंगले में भींगते हुए छात्राएं पहुंच गईं.
कलेक्टर बंगले में भींगते हुए पहुंची छात्राएं : आपको बता दें कि दंतेवाड़ा जिले में कस्तूरबा गांधी बालिका आवासीय विद्यालय की 100 से ज्यादा छात्राएं भारी बारिश में कलेक्टर बंगले पहुंची. इस दौरान छात्राओं ने आवासीय विद्यालय में सुविधाओं की कमी, भोजन, किताब और ड्रेस की कमी की समस्या के बारे में शिकायत की.साथ ही साथ आश्रम अधीक्षक पर दुर्व्यवहार का आरोप छात्राओं ने लगाए हैं.
मौके पर नहीं मिला कोई जिम्मेदार : छात्राओं का कहना है कि उन्हें समय पर भोजन और पानी नहीं मिलता. स्कूल ड्रेस, किताबें और स्टेशनरी अब तक नहीं बांटी गईं. साथ ही, आश्रम अधीक्षक बच्चों से दुर्व्यवहार करता है, जिससे वे मानसिक रूप से भी परेशान हैं. हैरानी की बात ये रही कि जब बच्चियां अपना दर्द लेकर कलेक्टर के पास पहुंची तो कोई भी जिम्मेदार अधिकारी मौके पर नहीं पहुंचा.इस दौरान पूर्व जिला पंचायत अध्यक्ष तूलिका कर्मा मौके पर पहुंची और बच्चियों को शांत कराते हुए उनकी समस्याएं पूछी.
‘दंतेवाड़ा के इतिहास में पहली बार ऐसी तस्वीर’- बच्चियों के कलेक्टर बंगले पर इकट्ठा होने की बात जब पूर्व जिला पंचायत अध्यक्ष तूलिका कर्मा को लगी तो वो मौके पर पहुंची.इस दौरान उन्होंने रो रही बच्चियों को शांत करवाया.साथ ही साथ उन्हें ये भरोसा दिया कि जैसी व्यवस्था पहले थी,वैसी ही व्यवस्था कलेक्टर के साथ मिलकर वापस से आश्रम में शुरु की जाएगी. तूलिका कर्मा ने कहा कि एक तरफ सरकार ‘बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ’ का नारा दे रही है. दूसरी ओर नक्सल प्रभावित क्षेत्रों में शिक्षा सुधार के लिए करोड़ों रुपए खर्च किए जा रहे हैं. लेकिन हकीकत ये है कि इन आवासीय विद्यालयों में व्यवस्थाएं दिन-ब-दिन बदतर होती जा रही हैं.
कस्तूरबा आवासीय विद्यालय की छात्राएं सुबह साढ़े 7 बजे भारी बारिश में भींगते हुए कलेक्टर बंगले में पहुंची थी.इन बच्चियों का आरोप है कि हॉस्टल में जो भी जरुरी चीजें उन्हें पहले मिलती थी वो अब नहीं मिल रही.साथ ही साथ जब बच्चियां इस बात की शिकायत करती हैं तो उनके साथ दुर्व्यवहार किया जाता है. आप देख सकते हैं कि बच्चियों के पैरों में जूते की जगह चप्पल हैं.सुबह समय पर ब्रेकफास्ट नहीं मिलता.अब तक पढ़ाई की सामग्री नहीं बांटी गई. ऐसी व्यवस्थाओं को सही समय में दुरुस्त करना होगा.दंतेवाड़ा के अब तक के इतिहास में ऐसी चीजें पहले कभी नहीं हुईं हैं.हम कलेक्टर के साथ बातचीत करके आश्रम में जैसी व्यवस्था चाहिए वैसी करनी की कोशिश करेंगे- तूलिका कर्मा, पूर्व जिला पंचायत अध्यक्ष
आश्रम में 200 छात्राएं करती हैं निवास : कस्तूरबा गांधी बालिका आवासीय विद्यालय में इस समय 200 से अधिक छात्राएं रह रही हैं, जो शिक्षा के साथ-साथ सुरक्षा और सुविधाओं की उम्मीद लेकर वहां पहुंची थीं. लेकिन हालात देखकर अब वे खुद संघर्ष करने को मजबूर हैं. बच्चियों और पूर्व जनप्रतिनिधियों ने प्रशासन से आश्रम अधीक्षक को तत्काल हटाने, सुविधाओं में सुधार, और नियमित निगरानी की मांग की है. फिलहाल जिला प्रशासन ने अब तक इस मामले पर कोई आधिकारिक बयान नहीं दिया है.
“छू लो आसमान” आवासीय विद्यालय का भी यही हाल : आपको बता दें कि कुछ दिन पहले ही “छू लो आसमान” आवासीय विद्यालय की छात्राएं भी सड़कों पर उतरी थीं, और अब कस्तूरबा विद्यालय की बच्चियां भी प्रशासनिक अनदेखी के खिलाफ मुखर हो गई हैं. छात्राओं ने कहा कि बार-बार शिकायत करने के बावजूद कोई सुनवाई नहीं होती, इसलिए अब उन्हें खुद आगे आकर आवाज उठानी पड़ी.