पुलिस मुठभेड़ में नक्सली कोटला गंगा ढेर, 5 लाख का था इनाम, मौके से भारी मात्रा में विस्फोटक बरामद

सुकमा : सुकमा जिले में सुरक्षाबलों को एक बार फिर बड़ी कामयाबी मिली है. सुकमा और दंतेवाड़ा जिले की सीमा पर स्थित केरलापाल थाना अंतर्गत डोंगिनपारा के जंगलों में हुए मुठभेड़ में सुरक्षाबलों ने एक वर्दीधारी नक्सली को मार गिराया.जिसकी पहचान 5 लाख के इनामी और केरलापाल एरिया कमेटी सदस्य (ACM) कोटला गंगा उर्फ मुचाकी गंगा, निवासी गोगुंडा (सुकमा) के रूप में हुई है.
डोंगिनपारा के जंगल में हुई मुठभेड़ : पुलिस अधीक्षक किरण चव्हाण ने जानकारी देते हुए बताया कि सुकमा DRG, STF और CRPF की संयुक्त टीम ने डोंगिनपारा के जंगलों में नक्सलियों की मौजूदगी की सूचना पर सर्च ऑपरेशन चलाया. 29 जुलाई की सुबह से नक्सलियों और सुरक्षाबलों के बीच रुक-रुक कर मुठभेड़ हुई. जवाबी कार्रवाई में एक नक्सली मारा गया, जिसके पास से हथियार और नक्सली सामग्री बरामद की गई.
नक्सलियों के नापाक मंसूबे हुए फेल : मुठभेड़ स्थल की तलाशी के दौरान सुरक्षाबलों को एक BGL लॉन्चर रायफल, BGL पोज, 9 BGL लॉन्चर कॉटेज, 9 BGL सेल, वायरलेस सेट मय चार्जर, 11 डेटोनेटर, जिलेटिन रॉड, कोर्डेक्स वायर की गांठें, लगभग 10 मीटर बिजली वायर, पिट्ठू, एलीमीटर, नक्सली साहित्य और अन्य दैनिक उपयोगी सामग्री बरामद हुई. इतनी बड़ी मात्रा में विस्फोटक और हथियारों की बरामदगी से सुरक्षा एजेंसियों को यह संकेत मिला है कि माओवादी किसी बड़ी घटना की फिराक में थे.
ऑपरेशन में तीन जवान हुए घायल : इस कार्रवाई में सुरक्षा बलों को भी नुकसान झेलना पड़ा.ऑपरेशन के दौरान IED ब्लास्ट की चपेट में आकर DRG के तीन जवान घायल हो गए. घायलों को सुरक्षित रूप से बाहर निकालकर बेहतर इलाज के लिए भेजा गया है. सभी की स्थिति फिलहाल स्थिर बताई जा रही है.बस्तर रेंज के पुलिस महानिरीक्षक सुन्दरराज पी. ने मुठभेड़ की पुष्टि करते हुए सुरक्षाबलों की कार्रवाई की सराहना की.
बस्तर की विषम भौगोलिक परिस्थितियों और कठिन मौसम के बावजूद सुरक्षाबल पूर्ण निष्ठा और समर्पण के साथ माओवादियों के खिलाफ अभियान चला रहे हैं. यह कार्रवाई सरकार की नक्सलमुक्त बस्तर की नीति के तहत एक और महत्वपूर्ण उपलब्धि है- सुंदरराज पी, आईजी
बस्तर आईजी पी सुंदरराज ने नक्सली कैडर्स से मुख्यधारा में लौटने की अपील की. उन्होंने कहा कि नक्सली ये समझ लें कि उनकी विचारधारा अब जनता में स्वीकार नहीं की जा रही है. हिंसा से कोई समाधान नहीं निकलता. अगर वे आत्मसमर्पण कर सरकार की पुनर्वास नीति से जुड़ते हैं, तो उन्हें बेहतर भविष्य मिल सकता है. लेकिन यदि वे हिंसा की राह पर चलते रहे, तो उन्हें कड़ी कार्रवाई का सामना करना पड़ेगा.