August 10, 2025 12:08 am
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राहुल गांधी ने जिस सीट पर दिए ‘वोट चोरी’ के सबूत वहां कभी नहीं जीती कांग्रेस, आरोप के पीछे कहीं ये वजह तो नहीं

लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी ने सबूतों के साथ चुनाव आयोग और बीजेपी पर ‘वोट चोरी’ करने का आरोप लगाया. साथ ही उन्होंने बेंगलुरु के महादेवपुरा विधानसभा क्षेत्र के आंकड़े भी रखे जिसके जरिए उन्होंने दावा किया कि किस तरह से वहां पर चुनाव में हेराफेरी की गई. खास बात यह है कि जिस क्षेत्र का जिक्र कांग्रेस नेता ने किया वहां पर उसे अभी तक जीत भी नसीब नहीं हुई है.

चुनाव आयोग पर आरोप लगाने के बाद राहुल गांधी आज शुक्रवार को बेंगलुरु जाएंगे और वहां पर विरोध प्रदर्शन का नेतृत्व करेंगे. माना जा रहा है कि इस दौरान वे चुनाव में धोखाधड़ी को लेकर चुनाव आयोग पर निशाना साधेंगे. कांग्रेस की कोशिश बिहार में चुनाव से पहले केंद्र में सत्तारुढ़ भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) को बेनकाब करने की होगी.

शुरुआती दौर में कांग्रेस ने बनाई थी बढ़त

राहुल गांधी ने जिस महादेवपुरा विधानसभा क्षेत्र का जिक्र किया वो बेंगलुरु सेंट्रल लोकसभा सीट के तहत आता है. कर्नाटक की राजधानी बेंगलुरु में लोकसभा की 3 सीटें आती हैं जिसमें बेंगलुरु सेंट्रल सीट भी शामिल है. पिछले साल हुए लोकसभा चुनाव के दौरान बेंगलुरु सेंट्रल लोकसभा सीट पर कड़ा मुकाबला देखने को मिला था. चुनाव के दौरान इस सीट से कांग्रेस प्रत्याशी मंसूर अली खान ने बीजेपी के प्रत्याशी और 3 बार के मौजूदा सांसद पीसी मोहन को कड़ी टक्कर दी. मोहन इस सीट से 2009 से ही लगातार चुनाव जीतते आ रहे थे. लेकिन इस बार मुकाबला बेहद कड़ा हो गया था.

लोकसभा चुनाव 2024 में 4 जून को मतगणना कराई गई. मतगणना से पहले वहां पर सियासी हलके में यह कहा जा रहा था वर्तमान सांसद मोहन को चुनाव जीतने के लिए पसीना बहाना पड़ सकता है और जीत कांग्रेस के खाते में जा सकती है. कांटे की टक्कर में शुरुआती दौर में कांग्रेस प्रत्याशी खान आगे निकल भी गए थे.

80 हजार वोटों के बढ़त के बाद मिली हार

मतगणना जारी थी, शुरुआती दौर की गिनती के बाद मंसूर खान को 80 हजार से अधिक वोटों की बढ़त हासिल हो गई थी. पार्टी के अंदर जीत को लेकर जश्न का माहौल बन गया था, लेकिन दोपहर के 3 बजे तक रुझान बदलने लगा. वहीं चुनाव आयोग की वेबसाइट पर मंसूर खान को बढ़त दिखाया जा रहा था. थोड़ी देर बाद बीजेपी प्रत्याशी मोहन ने आत्मविश्वास के साथ अपनी जीत का ऐलान किया, साथ ही कहा कि चुनाव आयोग की वेबसाइट पर नतीजे अपलोड होने में देरी हो रही है, लेकिन वे चुनाव जीत गए हैं.

साथ ही मोहन ने बताया कि उन्हें चामराजपेट और शिवाजीनगर विधानसभा क्षेत्रों पर कड़ी टक्कर मिली (इन दोनों ही सीटों पर कांग्रेस का कब्जा है और 2023 के चुनाव में उन्हें जीत मिली थी) और महादेवपुरा, सीवी रमन नगर तथा गांधीनगर के वोटर्स ने उन्हें जीत दिलाने में मदद की. सीवी रमन नगर और महादेवपुरा विधानसभा सीट पर बीजेपी को जीत मिली थी. लेकिन गांधीनगर सीट से कांग्रेस के प्रत्याशी दिनेश गुंडू राव विधायक बने और वह मंत्री भी बनाए गए.

लोकसभा चुनाव में तीसरे नंबर पर रहा NOTA

चुनाव आयोग ने जब अंतिम परिणाम जारी किया तो मोहन चुनाव जीत गए थे. कड़े मुकाबले में मोहन को 6,58,915 वोट मिले, जबकि मंसूर खान के खाते में 6,26,208 वोट आए थे और इस तरह से हार-जीत का अंतर 32,707 वोटों का ही रहा. हालत यह रही कि नोटा चुनाव में तीसरे स्थान पर रहा और उसे कुल 12126 वोट मिले थे. लगातार 4 चुनाव जीतने वाले मोहन की यह सबसे कम अंतर वाली जीत रही.

जीत की ओर बढ़ रही कांग्रेस बेंगलुरु सेंट्रल सीट पर मिली हार को पचा नहीं सकी. इस परिणाम पर उसे विश्वास भी नहीं हुआ. पार्टी नेताओं ने चुनाव में गड़बड़ी के आरोप लगाए. फिर कांग्रेस की इंटरनल टीम ‘वोट चोरी’ को लेकर आंकड़े जुटाने के मुहिम में लग गई. राहुल पहले भी ‘वोट चोरी’ को लेकर हमले करते रहे हैं. उन्होंने एक बार संसद के बाहर कहा था, “हमने कर्नाटक के एक लोकसभा क्षेत्र की वोटर लिस्ट की पड़ताल की है, जहां ‘वोट चोरी’ के 100 फीसदी सबूत मिले हैं. तब वो महादेवपुरा का ही जिक्र कर रहे थे.

कभी झीलों वाला क्षेत्र रहा महादेवपुरा

राहुल गांधी ने कल गुरुवार को यह दावा किया था कि 3.25 लाख वोटर्स वाले कर्नाटक के महादेवपुरा विधानसभा सीट पर 1,00,250 वोटों की चोरी की गई, और इसी वजह से लोकसभा चुनाव 2024 में बीजेपी को बेंगलुरु सेंट्रल सीट पर 32,707 मतों के अंतर से जीत हासिल हुई थी.

बात अब महादेवपुरा विधानसभा क्षेत्र की करते हैं जिसका जिक्र राहुल गांधी ने किया. बेंगलुरु का यह क्षेत्र अस्थायी प्रवासी आबादी की वजह से जानी जाती है और यहां पर बड़ी संख्या में झुग्गियां देखने को मिल जाएंगी, साथ ही हाई राइज इमारतें भी यहां बनी हुई हैं.

2008 में अस्तित्व में आई महादेवपुरा सीट

महादेवपुरा विधानसभा सीट का इतिहास पुराना नहीं है, साल 2008 तक अस्तित्व में नहीं थी, फिर इसे केआर. पुरा के साथ तत्कालीन वरथुर निर्वाचन क्षेत्र से अलग करके बनाया गया. विधानसभा सीट के रूप में अस्तित्व में आने से पहले, दर्जनों झीलों वाले महादेवपुरा की संरक्षित जमीन को अचल संपत्ति के रूप में बदल दिया गया. इमारतें बनाई जाने लगीं. 2000 के दशक की शुरुआत में प्राइवेट सेक्टर खासकर टेक क्षेत्र में बूम आने के बाद बेंगलुरु का यह क्षेत्र प्रवासियों के लिए खास जगह बन गई.

महादेवपुरा और केआर. पुरा क्षेत्र (जिनमें बेंगलुरु के सभी विधानसभा क्षेत्रों में सबसे अधिक आबादी 3.25 लाख से अधिक है) ने नए प्रवासियों को अपने यहां बसाया. पिछले 2 दशकों में उनके लिए किफायती आवास के साथ-साथ और जीवनयापन की जरूरतें पूरी कीं.

2008 में अस्तित्व में आने के बाद महादेवपुरा सीट अनुसूचित जातियों के लिए रिजर्व है. यहां पर बीजेपी के अरविंद लिंबावली का दबदबा रहा है. 2008 के पहले चुनाव में उन्हें यहां से जीत मिली, इसके बाद वह 2013 और 2018 में भी विजयी हुए थे. 2023 के चुनाव में लिंबावली की पत्नी मंजुला एस मैदान में उतरीं और वह भी विजयी रहीं.

हालांकि अरविंद लिंबावली अब बीजेपी के एक गुट से नाराज चल रहे हैं, वह पार्टी के प्रदेश राज्य अध्यक्ष बीवाई. विजयेंद्र के खिलाफ पार्टी पर नियंत्रण को लेकर अंदरूनी लड़ाई में उलझे हुए हैं. इस सीट की खासियत यह है कि बीजेपी की जीत का दायरा लगातार बढ़ता ही गया है. 2008 के चुनाव में अरविंद लिंबावली को 13,358 वोटों से जीत मिली थी जबकि 2013 में उन्हें 6,149 वोटों से जीत हासिल हुई.

इसके बाद केंद्र में नरेंद्र मोदी का दौर शुरू होता है और बीजेपी को ज्यादातर राज्यों में जीत हासिल होती है. इसका असर कर्नाटक में विधानसभा चुनाव में भी दिखा. साल 2018 के चुनाव लिंबावली को इस सीट पर 17,784 वोटों से जीत हासिल हुई और वोटों के लिहाज से उनकी सबसे बड़ी जीत थी. फिर 2023 के चुनाव में जब उनकी पत्नी मंजुला मैदान में उतरीं तो उन्हें 44,501 वोटों के बड़े अंतर से जीत हासिल हुई.

लोकसभा चुनाव में भी बीजेपी अजेय

इस तरह से लिंबावली अपनी जमीनी राजनीति और रसूख की वजह से यहां पर अपना कंट्रोल बनाए हुए हैं. साल 2008 में जिस समय महादेवपुरा विधानसभा सीट अस्तित्व में आई, उसी समय परिसीमन के बाद बेंगलुरु सेंट्रल संसदीय सीट भी अस्तित्व में आ गई. तब से बीजेपी के पीसी मोहन लगातार चुनाव जीतते रहे. वह यहां हुए सभी 4 लोकसभा चुनावों (2009, 2014, 2019 और 2024) में जीत हासिल कर चुके हैं.

पिछले साल लोकसभा चुनावों में यहां पर बीजेपी की जीत का अंतर (32,707 वोट) सबसे कम रहा. साल 2009 में उसे 35,218 वोटों से जीत मिली थी, जबकि 2014 में यह आंकड़ा बढ़कर 1.37 लाख वोटों का हो गया जबकि 2019 में उसे 70,968 वोटों से जीत हासिल हुई थी. बीजेपी की इन चारों जीतों में, महादेवपुरा और केआर. पुरा से मिले वोटों का अहम योगदान रहा.

2022 में बीजेपी पर लगे आरोप

दावा किया जाता है कि लिंबावली और केआर. पुरा के पूर्व विधायक नंदीश रेड्डी ने लंबे समय से प्रवासी लोगों को बीजेपी के पाले में लाने के लिए निजी एजेंसियों की सेवाएं ली हैं.

इंडियन एक्सप्रेस के अनुसार, कांग्रेस सूत्रों ने बताया कि चुनाव में धोखाधड़ी के पैटर्न को जानने के लिए महादेवपुरा की वोटर लिस्ट का चयन किया गया, क्योंकि साल 2022 में निर्वाचन क्षेत्र में वोटर्स का डेटा एकत्र किए जाने को लेकर की गई प्रोसेस पर विवाद हुआ था. एक कांग्रेस नेता ने कहा, “2022 में हुई चिलुमे की घटना के कारण ही यह आरोप लगाया गया.” कहा गया कि बीजेपी तब सत्ता में थी और शहर के नगर निगम, बीबीएमपी द्वारा महादेवपुरा और 2 अन्य सीटों पर वोटर्स का डेटा जुटाने का ठेका “चिलुमे ग्रुप” (Chilume Group) नामक एक निजी फर्म को दिए जाने पर विवाद छिड़ गया था. तब कांग्रेस के राज्य प्रभारी रणदीप सिंह सुरजेवाला ने वोटर लिस्ट में हेराफेरी करने की कोशिश का आरोप लगाया था.

मामले के तूल पकड़ने पर तब चुनाव आयोग ने बेंगलुरु के तत्कालीन क्षेत्रीय आयुक्त, अमलान आदित्य बिस्वास को जांच करने का निर्देश दिया. अपनी रिपोर्ट में, इस वरिष्ठ आईएएस अधिकारी बिस्वास ने कहा कि शिवाजीनगर, चिकपेट और महादेवपुरा में “वोटर लिस्ट में कोई धोखाधड़ी या हेरफेर” नहीं पाया गया और ईआरओ नेट, जिसे चुनाव आयोग ने वोटर लिस्ट के मैनेजमेंट के लिए तैयार किया था, या गरुड़ ऐप पर “डेटा में किसी भी तरह की घुसपैठ या छेड़छाड़ के कोई सबूत नहीं मिले थे.”

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