August 10, 2025 11:21 pm
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बिहार

SIR में कटे जिनके नाम, उनकी नहीं निकलेगी लिस्ट… चुनाव आयोग ने सुप्रीम कोर्ट में क्या कहा?

बिहार विधानसभा चुनाव से पहले SIR का मुद्दा थमने का नाम नहीं ले रहा है. विपक्ष की तरफ से सरकार और चुनाव आयोग पर कई तरह के आरोप लगाए जा रहे हैं. इसके साथ ही जबरदस्ती नामों को काटने का आरोप भी लगाया गया है. इस मामले पर अब चुनाव आयोग की तरफ से सुप्रीम कोर्ट में जवाब दिया गया है. इसमें बताया गया है कि बिहार एसआईआर मामले में कहा है कि वह मसौदा मतदाता सूची से बाहर किए गए व्यक्तियों की अलग सूची प्रकाशित करने के लिए बाध्य नहीं है.

बिहार एसआईआर मामले में, चुनाव आयोग ने सुप्रीम कोर्ट को बताया कि वह मसौदा मतदाता सूची में शामिल न किए गए व्यक्तियों की अलग सूची प्रकाशित करने के लिए नियमों के तहत बाध्य नहीं है. आयोग ने साफ कहा कि उनकी अलग से कोई लिस्ट ननहीं निकाली जाएगी. चुनाव आयोग ने यह भी कहा कि नियमों के तहत उसे मसौदा मतदाता सूची में शामिल न किए गए व्यक्तियों के कारण बताने की भी आवश्यकता नहीं है.

किस संबंध में चुनाव आयोग ने दिया जवाब

चुनाव आयोग ने यह भी कहा कि उसने मसौदा मतदाता सूची राजनीतिक दलों के साथ शेयर की गई है. निर्वाचन आयोग ने बताया कि जिन व्यक्तियों को मसौदा मतदाता सूची में शामिल नहीं किया गया है, उनके पास शामिल किए जाने के लिए घोषणा पत्र प्रस्तुत करने का विकल्प है. निर्वाचन आयोग एडीआर द्वारा दायर उस आवेदन का विरोध किया है, जिसमें मसौदा मतदाता सूची में शामिल न किए गए व्यक्तियों की सूची प्रकाशित करने और उन्हें शामिल न किए जाने के कारण बताने की मांग की गई है.

चुनाव आयोग ने दायर किया हलफनामा

बिहार SIR मामले में चुनाव आयोग ने SC में हलफनामा दाखिल किया है. हलफनामे में चुनाव आयोग ने सुप्रीम कोर्ट को बताया बिहार में किसी भी पात्र मतदाता का नाम मतदाता सूची से नहीं हटाया जाएगा. बिना पूर्व सूचना, सुनवाई का अवसर और तर्कपूर्ण आदेश के मतदाता सूची से नाम नहीं हटाया जाएगा. सभी योग्य मतदाता का नाम फाइनल मतदाता सूची में शामिल कराने के लिए सभी संभव कदम उठाए जा रहे हैं.

नाम हटाने को लेकर क्या बोला चुनाव आयोग

राज्य में चल रहे SIR के दौरान गलत तरीके से नाम हटाए जाने को रोकने के लिए सख्त निर्देश जारी किए गए हैं. चुनाव आयोग ने सुप्रीम कोर्ट को बताया कि 7.89 करोड़ मतदाताओं में से 7.24 करोड़ लोगों ने अपने नामों की पुष्टि या फार्म जमा किए. इसके लिए बिहार के मुख्य निर्वाचन पदाधिकारी, 38 जिला निर्वाचन पदाधिकारी, 243 निर्वाचन पंजीकरण पदाधिकारी, 77,895 BLO, 2.45 लाख स्वयंसेवक और 1.60 लाख बूथ स्तर एजेंट सक्रिय रहे.

राजनीतिक दलों को समय-समय पर छूटे हुए मतदाताओं की सूची दी गई ताकि समय रहते नाम जोड़े जा सके. प्रवासी मजदूरों के लिए 246 अखबारों में हिंदी में विज्ञापन, ऑनलाइन और ऑफलाइन दोनों माध्यमों से फॉर्म भरने की सुविधा है . शहरी निकायों में विशेष कैंप, युवाओं के पंजीकरण के लिए अग्रिम आवेदन की व्यवस्था की है.

दरअसल, ADR ने गलत तरीके से 65 लाख मतदाताओं को बाहर करने का आरोप लगाया है. 6 अगस्त को सुप्रीम कोर्ट ने चुनाव आयोग को हलफनामा दाखिल करने को कहा था. इस मामले में अब 13 अगस्त को सुनवाई होनी है. चुनाव आयोग ने सुप्रीम कोर्ट में दायर अतिरिक्त हलफनामे में कहा है. 1 अगस्त 2025 को प्रारूप मतदाता सूची प्रकाशित कर दी गई है. यह चरण बूथ स्तर अधिकारियों (BLOs) द्वारा घर-घर जाकर मतदाताओं के नाम और फॉर्म जुटाने के बाद पूरा हुआ.

किसी ने दर्ज नहीं कराईआपत्ति

चुनाव आयोग पर विपक्ष शुरुआत से ही कई तरह के सवाल खड़े कर रहा है. 1 अगस्त को चुनाव आयोग ने ड्राफ्ट वोटर लिस्ट जारी की थी. इसके साथ ही आपत्ति दर्ज कराने की बात भी कही थी. हालांकि विपक्ष इस मामले पर भले ही चुनाव आयोग पर कई आरोप लगा रहा है. इसके बाद भी अब तक किसी भी राजनीतिक दल की तरफ से कोई आपत्ति दर्ज नहीं कराई गई है.

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