August 12, 2025 5:48 pm
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सरगुजा संभाग

स्व. पद्मश्री सुरेंद्र दुबे की अंतिम कृति ‘मैं छत्तीसगढ़ बोलता हूं’ का मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय ने किया विमोचन

# रायगढ़ से महावीर अग्रवाल भी हुए विमोचन समारोह में शामिल, कहा- छत्तीसगढ़ के जनकवि थे डॉ. दुबे

रायगढ़। छत्तीसगढ़ के प्रसिद्ध हास्य कवि स्व. पद्मश्री डॉ. सुरेन्द्र दुबे की जयंती पर शुक्रवार को उनकी अंतिम कृति ‘मैं छत्तीसगढ़ बोलता हूं’ पुस्तक का विमोचन समारोह हुआ। मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय, विधानसभा अध्यक्ष डॉ. रमन सिंह, स्व. पं. सुरेंद्र दुबे की धर्मपत्नी शशि दुबे सहित अन्य अतिथियों ने परिवारजनों व स्नेहीजनों की उपस्थिति में ‘मैं छत्तीसगढ़ बोलता हूं” पुस्तक का विमोचन किया। विमोचन समारोह में रायगढ़ से महावीर अग्रवाल भी शामिल हुए।
कार्यक्रम को संबोधित करते हुए सीएम साय ने पद्मश्री स्वर्गीय सुरेन्द्र दुबे की जयंती पर उन्हें नमन करते हुए कहा कि पं. सुरेंद्र दुबे ऐसे कवि थे, जिन्होंने छत्तीसगढ़ी भाषा का मान सम्मान बढ़ाया। उनकी कविता में शिक्षा होती थी, जिसे हंसाते हुए वे लोगों तक पहुंचाने का काम करते थे। आज भले ही डॉ. सुरेंद्र दुबे हमारे बीच नहीं है, लेकिन उनकी यादें हमेशा हमारे बीच ताजा रहेगी।
विमोचन समारोह में शामिल होकर शहर लौटे महावीर अग्रवाल ने बताया कि पं. दुबे के साथ हमारा पारिवारिक संबंध रहा है। रायगढ़ प्रवास के दौरान वे हमारे निवास स्थान पर भी आते थे। मुझे भी वे रायपुर में अपने निवास पर ही ठहरने की जिद करते थे। रायगढ़ जिले में कहीं भी उनका कवि सम्मेलन या कार्यक्रम निर्धारित होता था, वे मुझसे एक बार जरूर बात करते थे। उनका स्नेह मुझे मिलता रहा है। छत्तीसगढ़ ने अपना एक हीरा तो खोया ही है, उससे अलग उनका जाना मेरे लिए व्यक्तिगत क्षति भी है। सही मायने में वे छत्तीसगढ़ के जनकवि थे, जिन्होंने अपनी रचनाओं में गंभीर से गंभीर व शिक्षाप्रद बात को हंसी-ठिठौली के बीच रखा। दशकों तक लोगों को हंसाने वाले आज हमको रुला चल चले गए। उनकी कमी हमेशा हमें खलती रहेगी। वे हमेशा हमारे दिल में मौजूद रहेंगे। उनकी अंतिम कृति के विमोचन समारोह में मुझे कवि डॉ. सुरेंद्र दुबे फाउंडेशन एवं दुबे परिवार की ओर से विशेष रूप से आमंत्रित किया गया था। कार्यक्रम में मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय के साथ विधानसभा अध्यक्ष डॉ. रमन सिंह, मंत्री लखन लाल देवांगन, सांसद विजय बघेल, पूर्व मंत्री सत्यनारायण शर्मा, विधायक गुरु खुशवंत साहेब सहित परिवार के लोग, साहित्यकार व स्नेहीजन बड़ी संख्या में मौजूद रहे।

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