रामचरितमानस का सूत्र: ये 8 अहंकार कर सकते हैं आपका सर्वनाश!

भारतीय धर्मग्रंथों में अहंकार को मानव जीवन का सबसे बड़ा शत्रु बताया गया है. श्रीरामचरितमानस में गोस्वामी तुलसीदास ने विस्तार से बताया है कि किस तरह से अहंकार इंसान की बुद्धि को ढक लेता है और उसके विनाश का कारण बनता है. तुलसीदास जी के अनुसार, अहंकार केवल बाहरी दिखावे या गर्व तक सीमित नहीं है, बल्कि यह मन के भीतर छिपी आठ तरह की प्रवृत्तियों का रूप है, जो व्यक्ति को धर्म, सद्गुण और सुख से दूर कर देती हैं. ये आठ अहंकार कौन से हैं और इनसे बचने के उपाय क्या हैं?
रामचरितमानस का यह संदेश है कि अहंकार चाहे किसी भी रूप में हो विनाश का कारण बनता है. श्रीराम जैसे मर्यादा पुरुषोत्तम हमें सिखाते हैं कि विनम्रता, भक्ति और सेवा ही जीवन की सच्ची शक्ति हैं. रामचरितमानस के आठ अहंकार हमारे मन की बाधाएं हैं, जो हमें सही रास्ते से भटकाने की कोशिश करते हैं. इन्हें पहचान कर और सही आचरण अपनाकर हम न केवल अपने जीवन को सुखमय बना सकते हैं, बल्कि समाज में भी एक बेहतर स्थान पा सकते हैं.