August 3, 2025 10:57 pm
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भूकंप के झटकों से थर्राया अफगानिस्तान, कश्मीर तक कांपी धरती; रिक्टर पैमाने पर 5.9 रही तीव्रता

अफगानिस्तान के तजाकिस्तान बॉर्डर के पास की धरती शनिवार सुबह भूकंप के झटकों से कांप उठी. भूकंप के तेज झटकों ने इलाके में दहशत फैला दी. रिक्टर स्केल पर इसकी तीव्रता 5.9 मापी गई. इसका असर सिर्फ अफगानिस्तान तक ही सीमित नहीं रहा, बल्कि उत्तरी भारत के जम्मू-कश्मीर तक झटके महसूस किए गए. सुबह-सुबह धरती हिलते ही लोग घरों से बाहर निकल आए और कई इलाकों में अफरा-तफरी का माहौल बन गया.

European Mediterranean Seismological Centre (EMSC) के अनुसार, यह भूकंप शनिवार, 19 अप्रैल 2025 को सुबह 6 बजकर 47 मिनट और 55 सेकंड (UTC समयानुसार) पर आया. इसका केंद्र अफगानिस्तान-ताजिकिस्तान सीमा क्षेत्र पर था. भूकंप की गहराई करीब 86 किलोमीटर मापी गई, जो इसे एक मध्यम-गहराई वाला भूकंप बनाती है.

पहाड़ी इलाका रहा भूकंप का केंद्र

भूकंप की वजह से अफगानिस्तान के बदख्शान और आसपास के इलाकों में झटके अधिक तीव्रता से महसूस किए गए. हालांकि अब तक किसी जानमाल के नुकसान की आधिकारिक पुष्टि नहीं हुई है, लेकिन स्थानीय मीडिया रिपोर्ट्स में लोगों के घरों से बाहर भागने और डर के माहौल की खबरें सामने आ रही हैं. भूकंप का केंद्रवर्ती क्षेत्र काफी पहाड़ी और कठिन भूगोल वाला है, जिससे वहां राहत और रेस्क्यू ऑपरेशन्स में चुनौती आ सकती है.

जम्मू कश्मीर महसूस किए गए झटके

भारत के जम्मू-कश्मीर में भी भूकंप के झटके महसूस किए गए. श्रीनगर, बारामूला और अनंतनाग जैसे इलाकों में सुबह-सुबह धरती हिलते ही लोग सहम गए और बड़ी संख्या में लोग घरों से बाहर निकलकर सुरक्षित स्थानों पर पहुंच गए. स्थानीय प्रशासन ने सतर्कता बरतते हुए किसी भी प्रकार की आपात स्थिति से निपटने की तैयारी शुरू कर दी है. मौसम विभाग और राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन एजेंसी (NDMA) स्थिति पर नजर बनाए हुए हैं.

भयानक तबाही की आशंका कम

गौरतलब है कि यह इलाका भूकंपीय दृष्टि से संवेदनशील जोन में आता है. हिंदूकुश पर्वतीय क्षेत्र में टेक्टॉनिक प्लेटों की हलचल अक्सर भूकंप का कारण बनती है. विशेषज्ञों के अनुसार, चूंकि भूकंप की गहराई 86 किलोमीटर थी, इसलिए इसका असर दूर-दराज के इलाकों में भी महसूस किया गया, लेकिन इससे सतह पर भारी तबाही की आशंका कम रहती है. फिर भी प्रशासन ने जनता से सतर्क रहने और अफवाहों से बचने की अपील की है.

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