जशपुर में श्रीराम कथा का भव्य आयोजन
श्रीराम की लीला से भावविभोर हुए श्रोता, पटनायक बोले – जशपुर की धरती रत्नगर्भा है -

वृन्दावन इम्पीरियल होटल में गूंजे श्रीराम के जयकारे, गोकुलानंद पटनायक ने भाव-विभोर होकर सुनाई प्रभु की लीलाएं
जशपुरनगर – जशपुर के हृदयस्थल वृन्दावन इम्पीरियल होटल में रविवार को एक दिवसीय श्रीराम कथा का आयोजन श्रद्धा और भक्ति के भावों से सराबोर वातावरण में सम्पन्न हुआ। छत्तीसगढ़ के प्रसिद्ध रामकथा वाचक गोकुलानंद पटनायक ने श्रोताओं को प्रभु श्रीराम के जन्म से लेकर वनवास, सीता हरण और हनुमान जी के अद्भुत कार्यों की गाथा सुनाकर भक्तिभाव से अभिभूत कर दिया।
श्री पटनायक ने कथा की शुरुआत भगवान श्रीराम के जन्म से करते हुए क्रमशः उनकी शिक्षा-दीक्षा, गुरु वशिष्ठ की शिक्षाओं, विश्वामित्र के साथ जनकपुर यात्रा, माता सीता से विवाह, लक्ष्मण-परशुराम संवाद और फिर 14 वर्षों के वनवास की व्याख्या की। उन्होंने वनगमन के समय राम से मिले वनवासियों के प्रेम को अत्यंत मार्मिक ढंग से प्रस्तुत किया। कथा के दौरान शबरी प्रसंग, सीता हरण, हनुमान जी की लीलाएं, तथा सतयुग से द्वापर युग तक उनके कार्यों की व्याख्या ने श्रद्धालुओं को भाव-विभोर कर दिया।
जशपुर की पुण्यभूमि को किया नमन –
श्री पटनायक ने कथा के बीच में जशपुर की धरती को “रत्नगर्भा” बताते हुए उसे भगवान श्रीराम की कृपा से पावन भूमि कहा। उन्होंने स्वर्गीय कुमार दिलीप सिंह जूदेव को स्मरण करते हुए कहा कि “वे युगपुरुष थे, जिन्होंने धर्म, संस्कृति और वनवासियों के उत्थान के लिए अपना जीवन समर्पित किया।” इस प्रसंग को सुनाते समय वे अत्यंत भावुक हो उठे।
*संतों की परंपरा और सनातन का संदेश -*
उन्होंने कहा कि इस क्षेत्र को संत गहिरा गुरु और बाला साहब देशपांडे जैसे संतों का मार्गदर्शन मिला है, जिन्होंने यहाँ सनातन धर्म की चेतना को जागृत किया। रामकथा सिर्फ एक धार्मिक आयोजन नहीं बल्कि आत्मा को झंकृत करने वाली प्रेरणा है, जो जीवन के हर मोड़ पर मार्गदर्शन देती है।
दो रुद्राक्ष पौधों का रोपण
कार्यक्रम की स्मृति में स्वर्गीय रामचंद्र मिश्र ‘पौराणिक’ को श्रद्धांजलि स्वरूप दो रुद्राक्ष के पौधों का वृक्षारोपण भी किया गया, जिसे सभी श्रद्धालुओं ने पवित्र कर्म मानते हुए भावपूर्वक देखा।
गणमान्य अतिथियों की उपस्थिति
इस अवसर पर जिला पंचायत अध्यक्ष कुमार शौर्य प्रताप सिंह जूदेव विशेष रूप से उपस्थित रहे। आयोजन को सफल बनाने में केदार मिश्रा की महत्वपूर्ण भूमिका रही। कार्यक्रम में बड़ी संख्या में महिलाओं सहित स्थानीय श्रद्धालु, संतगण और गणमान्य नागरिक शामिल हुए।रामकथा का यह आयोजन न केवल धार्मिक दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण रहा, बल्कि जयपुरवासियों के लिए एक आध्यात्मिक अनुभव भी बन गया, जिसने हर मन को भक्ति से भर दिया।