June 11, 2025 7:04 am
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भारत विरोधी तुर्की के राष्ट्रपति बना रहे ऐसा संविधान, जिनपिंग से लेकर किम जोंग उन तक पकड़ लेंगे माथा

तुर्की के राष्ट्रपति रेसेप तैय्यप एर्दोआन लोकतंत्र की बात करते हैं, लेकिन उनके कदम तानाशाही की तरफ बढ़ते दिख रहे हैं. भारत और पश्चिम के कई मुद्दों पर मुखर विरोध करने वाले एर्दोआन अब अपने लिए एक ऐसा संविधान लिखवाना चाहते हैं जो उन्हें 2028 के बाद भी सत्ता में टिकाए रखे. जिस तरह से वे विरोधियों को जेल भेज रहे हैं और सोशल मीडिया पर सेंसरशिप लगा रहे हैं, उससे ये कहना गलत नहीं होगा कि एर्दोआन अब जिनपिंग और किम जोंग उन जैसी आजन्म सत्ता की तैयारी में हैं.

एर्दोआन का दावा है कि वे जो संविधान में बदलाव चाहते हैं, वह देश की जरूरतों को देखते हुए है. लेकिन उनके हालिया बयानों और राजनीतिक गतिविधियों से ऐसा लगता है कि वे 2028 के बाद भी सत्ता में बने रहना चाहते हैं. एर्दोआन 2003 से पहले प्रधानमंत्री रहे और 2014 से राष्ट्रपति हैं. मौजूदा संविधान के अनुसार वे 2028 में तीसरा कार्यकाल पूरा कर लेंगे, लेकिन उसके बाद चुनाव नहीं लड़ सकते जब तक कि या तो संविधान ना बदले या जल्दी चुनाव ना हों.

विपक्षी नेता जेल में, समर्थन में उबाल

जनवरी में जब एक सिंगर ने एर्दोआन से पूछा कि क्या वो फिर से चुनाव लड़ने को तैयार हैं, तो उन्होंने मुस्कराकर कहा, “मैं हूं, अगर तुम हो. इसके अगले ही दिन उनकी पार्टी ने भी संकेत दिया कि यह मुद्दा चर्चा में है. पार्टी प्रवक्ता ने कहा, जो जनता चाहेगी, वही होगा. इस्तांबुल के मेयर और एर्दोआन के संभावित प्रतिद्वंद्वी, एकरेम इमामओग्लू, फिलहाल जेल में हैं. उन पर भ्रष्टाचार के आरोप लगे हैं, जिनसे वे इनकार करते हैं.

विपक्ष और समर्थकों का मानना है कि गिरफ्तारी राजनीतिक बदले की भावना से की गई है. गिरफ्तारी के बाद से इस्तांबुल में बड़े पैमाने पर प्रदर्शन हो रहे हैं और सर्वे बताते हैं कि इमामओग्लू की लोकप्रियता और बढ़ी है. तुर्की में इमामओग्लू का X (पूर्व ट्विटर) अकाउंट ब्लॉक कर दिया गया है. वहीं, उनकी नगरपालिका की टीम के 18 सदस्य भी हाल ही में भ्रष्टाचार के आरोप में गिरफ्तार किए गए हैं.

संविधान पर एर्दोआन की दलील क्या है?

एर्दोआन का तर्क है कि मौजूदा संविधान 1980 की सैन्य बगावत के बाद बना था और आज की जरूरतों को पूरा नहीं करता. वे कहते हैं कि क्या तानाशाही के दौर का संविधान आज के दौर में चल सकता है?. संविधान बदलने के लिए संसद में 360 वोट चाहिए, लेकिन एर्दोआन के पास फिलहाल सिर्फ 321 हैं.

अगर उन्हें 400 वोट मिलते हैं तो वो सीधे संविधान बदल सकते हैं. यही वजह है कि उन्होंने PKK (कुर्द विद्रोही संगठन) के साथ शांति की बात छेड़ी है. उनका कहना है कि अगर PKK हथियार छोड़ दे तो कुर्द समर्थित DEM पार्टी राजनीति में और मजबूत हो सकती है. DEM के पास संसद में 56 सीटें हैं, जो एर्दोआन के लिए गेमचेंजर हो सकती हैं.

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