August 6, 2025 5:56 pm
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RJD ने ‘मनोज झा’ फॉर्मूले को किया 8 गुना, दिल्ली में मुखर आवाज से बिहार में इमेज करेक्शन का प्लान?

बिहार की सत्ता में वापसी को बेताब आरजेडी ने अपनी यादव-मुस्लिम परस्त छवि को ही बदलने में नहीं जुटी बल्कि इमेज करेक्शन की दिशा में भी कदम बढ़ा दिया है. दिल्ली विश्वविद्यालय को प्रोफेसर मनोज झा आरजेडी के तेज तर्रार नेता हैं, पार्टी की सियासी पहचान को नया मुकाम देने में जुटे हैं. सामाजिक न्याय और धर्म निरपेक्षता की प्रति अटूट प्रतिबद्धता मनोज झा की जगजाहिर है और संसद में बोलते हैं तो आरजेडी की छवि में चार चांद लगा देते हैं.

आरजेडी के राज्यसभा सांसद मनोज झा पार्टी के राष्ट्रीय प्रवक्ता हैं, बिहार की राजनीतिक परिदृश्य में सबसे ज़्यादा चर्चित चेहरा हैं. आरजेडी के प्रमुख लालू प्रसाद यादव ने मनोज झा की तरह आठ प्रोफेसरों को पार्टी का राष्ट्रीय प्रवक्ता नियुक्ति किया है. आरजेडी ये सभी आठों प्रवक्ता देश के अलग-अलग विश्वविद्यालय में प्रोफेसर हैं, जो पार्टी के पक्ष में मजबूती के साथ सियासी बैटिंग करते हुए नजर आएंगे. इस तरह दिल्ली-पटना से आरजेडी की मुखर आवाज बिहार चुनाव में पार्टी की इमेज करेक्शन के तौर पर देखी जा रही?

आरजेडी ने 8 प्रोफेसर को प्रवक्ता बनाया

बिहार विधानसभा चुनाव की सियासी तपिश के बीच आरजेडी ने 8 प्रोफेसरों को राष्ट्रीय प्रवक्ता बनाया है. इनमें डॉ श्याम कुमार, डॉ राज कुमार रंजन, डॉ दिनेश पाल, डॉ अनुज कुमार तरुण, डॉ राकेश रंजन, डॉ उत्पल बल्लभ, डॉ रवि शंकर और डॉ बादशाह आलम हैं. आरजेडी ने इन्हें सभी नए प्रवक्ता के बारे में जानकारी भी दी गई है, जिसमें चार प्रवक्ता दिल्ली के अलग-अलग विश्वविद्यालय से हैं तो चार प्रवक्ता पटना की यूनिवर्सिटी से बनाए गए हैं.

डॉ श्याम कुमार दिल्ली यूनिवर्सिटी के किरोड़ी मल कॉलेज में राजनीति विभाग में एसोसिएट प्रोफेसर हैं. डॉ राज कुमार रंजन दिल्ली यूनिवर्सिटी के शहीद भगत सिंह कॉलेज के हिंदी विभाग में एसोसिएट प्रोफेसर हैं. रवि शंकर दिल्ली यूनिवर्सिटी के बीआर आंबेडकर कॉलेज में साइकोलॉजी विभाग में एसोसिएट प्रोफेसर हैं. डॉ बादशाह आलम को राष्ट्रीय प्रवक्ता बनाया है, जो दिल्ली में जामिया मिलिया इस्लामी यूनिवर्सिटी के फैकल्टी ऑफ इंजीनियरिंग एंड टेक्नोलॉजी डिपार्टमेंट में एसोसिएट प्रोफेसर पद पर कार्यरत है.

बिहार के आठ प्रोफेसर को बनाया प्रवक्ता

आरजेडी के आठ नए प्रवक्ताओं में चार बिहार के अलग-अलग विश्वविद्यालय से जुड़े हुए हैं. डॉ उत्पल बल्लभ पटना यूनिवर्सिटी के जियोग्राफी डिपार्टमेंट से जुड़े हैं. डॉ दिनेश पाल छपरा में जय प्रकाश यूनिवर्सिटी के जगलाल चौधरी कॉलेज के हिंदी विभाग में एसोसिएट प्रोफेसर हैं. ऐसे ही डॉ अनुज कुमार तरुण बोधगया की मगध यूनिवर्सिटी के पीजी कैंपस के हिंदी विभाग में असिस्टेंट प्रोफेसर हैं और डॉ राकेश रंजन बीआरए बिहार यूनिवर्सिटी के गवर्नमेंट डिग्री कॉलेज पकड़ीदयाल (मधुबन) पूर्वी चंपारण के राजनीति विज्ञान विभाग में असिस्टेंट प्रोफेसर पद पर नौकरी कर रहे हैं.

मनोज झा आरजेडी की आवाज

बिहार के रहने वाले डॉ मनोज कुमार झा को आरजेडी ने पहले से ही राष्ट्रीय प्रवक्ता बना रखा है, जिनको पार्टी ने 2018 में पहली बार राज्यसभा में भेजा. इसके बाद 2024 में आरजेडी ने रिपीट किया. मनोज झा दिल्ली विश्वविद्यालय के सामाजिक कार्य विश्वविद्यालय विभाग में प्रोफेसर रहे हैं. आरजेडी के पक्ष में मजबूती और तार्किक तरीके से बात रखने के लिए मनोज झा को जाना जाता है. दलित, पिछड़े और अल्पसंख्यकों समाज से जुड़े मुद्दों पर मुखर होकर बोलते हैं. सामाजिक न्याय के प्रति उनकी प्रतिबद्धता जगजाहिर है और सलीके के साथ अपनी बातों को राजनीतिक मंचों पर रखते हैं.

आरजेडी की इमेज करेक्शन का दांव

मनोज झा ने आरजेडी की छवि को दिल्ली की सियासत में बेहतर बनाने की कोशिश की है. आरजेडी की छवि राष्ट्रीय राजनीति में बेहतर नहीं रही है, उसे जातिवादी पार्टी के तौर पर देखा जाता था. इसके अलावा आरजेडी को गुंडे और दबंग नेताओं की पार्टी मानी जाती थी, लेकिन मनोज झा ने उसे बदलने की पूरी कोशिश की है. इसी का नतीजा है कि लालू यादव ने मनोज झा जैसे आठ प्रोफेसरों को आरजेडी का राष्ट्रीय प्रवक्ता बनाने का दांव चला है.

आरजेडी के इन 8 नए प्रवक्ताओं में से 5 पीएचडी धारक हैं. ये सबसे ऊंची डिग्री मानी जाती है. इन प्रवक्ताओं में से 4 दिल्ली के कॉलेजों और यूनिवर्सिटी में पढ़ाते हैं और 4 बिहार के अलग-अलग विश्वविद्यालय और कॉलेजों में कार्यरत हैं. एक खास बात ये भी है कि इन प्रवक्ताओं में एक मुस्लिम समुदाय से आते हैं. इसके अलावा ओबीसी और दलित समाज से हैं.

माना जा रहा है कि इमेज करेक्शन करने के लिए आरजेडी प्रोफेसरों को प्रवक्ता बनाकर नया तरीका अपनाया हैय इससे पार्टी की बात लोगों तक मजबूती और सलीके से पहुंचेगी. प्रोफेसर अपनी बातों को अच्छी तरह से रखना जानते हैं और तार्किक तरीके से बात रखते हैं. आरजेडी की छवि को बदलने में अहम रोल अदा कर सकते हैं.

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