May 1, 2025 8:23 pm
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धार्मिक

वैशाख अमावस्या को क्यों कहते हैं सतुवाई अमावस्या, जानें धार्मिक महत्व

 हिंदू धर्म शास्त्र में कुछ तिथियों को खास माना गया है, उसी में से एक तिथि है अमावस्या. जो हर महीने में एक बार आती है लेकिन वैशाख मास में पड़ने वाली अमावस्या को सतुवाई अमावस्या या दर्श अमावस्या भी कहते हैं. यह दिन पितरों को समर्पित है इस दिन आप अपने पितरों के निमित्त पूजा-पाठ, तर्पण और दिया जलाकर उन्हें प्रसन्न कर सकते हैं. साथ ही साथ इस दिन किए दान-पुण्य का महत्व कई ज्यादा है.

इसे क्यों कहते हैं सतुवाई अमावस्या

कहते हैं कि इस दिन पितरों को प्रसन्न करने के लिए खास दिन होता है और दान-धर्म से काम करने से पितरों का आर्शीवाद मिलता है.इनदिनों गर्मी की शुरूआत हो जाती है ऐसे में पितरों के तर्पण में सत्तू के पिंड चढ़ाए जाते हैं जो शरीर को ताजगी और ठंडक देते हैं यही कारण है कि इसे सतुवाई अमावस्या कहा जाता है.

कब है सतुवाई अमावस्या

हिन्दू पंचांग के अनुसार, वैशाख माह के कृष्ण पक्ष की अमावस्या की तिथि 27 अप्रैल की सुबह 4 बजकर 49 मिनट पर शुरू हो रही है और इस तिथि का समापन अगले दिन 28 अप्रैल की मध्यरात्रि 1 बजे हो रहा है. उदयातिथि के अनुसार अमावस्या 27 अप्रैल, रविवार को मनाई जाएगी.

पितरों का आर्शीवाद से होगा कल्याण

यह दिन खास होता है जब आप अपने पितृ दोष का निवारण कर सकते हैं लेकिन यह जरूरी नहीं कि आप पितृ दोष से पीड़ित हैं या आपकी कुंडली में पितृ दोष है तभी आप इस दिन अपने पितरों के निमित्त पूजा-पाठ, तर्पण या दिया दान करें. अपने पितरों को प्रसन्न करने के लिए इस दिन आप पूजा-पाठ तर्पण कर सकते हैं. उससे आपके पत्र प्रसन्न होंगे और आपके घर पर सुख समृद्धि का वास होगा.

इस दिन दान का खास महत्व

  • दर्श अमावस्या के इस खास दिन पर स्नान,दान, तर्पण पूजा का खास महत्व है, वहीं इस दिन पितरों के निमित्त आप दान भी कर सकते हैं.
  • इस दिन सुबह जल्दी उठकर स्नान आदि से निवृत हो जाए, उसके बाद अपने पितरों के निमित्त खीर, पूरी, मिष्ठान कुछ भी बनाकर दान कर सकते हैं.
  • यही भोग बाह्मणों को खिला सकते हैं, पशु या पक्षियों को भी खिला सकते हैं इससे आपके पितृ संतुष्ट होते हैं और आपको आशीष देते हैं.
  • पितरों के निमित्त आप वस्त्रों का, तेल का, लकड़ी का, कंबल, तेल जूते का दान कर सकते हैं.
  • अगर आप इस दिन गाय दान करेंगे तो आपके पितरों का आशीर्वाद आपको सदा सदा के लिए मिलेगा.

इस दिन किया ये दान करेगा कल्याण

वैसे तो इस दिन का कुछ भी किया दान महा दान होता है लेकिन जैसा कि इस अमावस्या का नाम है सतुवाई अमावस्या,तो इस दिन सत्तू (भूने चने का आटा) दान का खास विधान है क्योंकि गर्मी इनदिनों अपने पैर पसार चुकी होती है ऐसे में जरूरतमंदों को सत्तू दान करने से पुण्य मिलता है. सत्तू की तासीर ठंडी होती है और ये शरीर में ठंडक पहुंचाती है ऐसे में जिनको ये दान दिया जाता है वो गर्मी के प्रभाव से बचते हैं और शीतल होते हैं और यही शीतलता हमारे जीवन में भी आती हैं. इस दिन किया गया आपका ये काम आपको और आपके परिवार को सदा खुशहाल रखेगा और आपका कल्याण होगा.

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