June 9, 2025 2:54 am
ब्रेकिंग
कौन हैं मैतेई नेता कानन सिंह, जिसकी गिरफ्तारी के बाद जल उठा मणिपुर जयमाला की प्रथा नहीं… सुनते ही भड़के बाराती, लड़की वालों का पीट-पीटकर किया ये हाल तमिलनाडु के लोग DMK सरकार के भ्रष्टाचार से हैं तंग… अमित शाह का स्टालिन सरकार पर हमला केंद्र का शासन होने के बावजूद मणिपुर में क्यों बहाल नहीं हो रही शांति? प्रियंका गांधी का बड़ा हमला मंगलुरु में बजरंग दल के पूर्व सदस्य सुहास शेट्टी की हत्या की NIA करेगी जांच, MHA ने जारी किया आदेश कानपुर के इस गांव में 34 परिवारों ने क्यों लगाए मकान बिक्री के पोस्टर? मंत्री तक पहुंची बात, फिर जो ... बरेली: IVRI के डॉक्टरों ने कर दिया कमाल, देसी तकनीक से कुत्ते का किया हिप रिप्लेसमेंट; पुलिस का डॉग ... हिंदू से लेकर मुस्लिम तक… 20 शादियां कीं, जो मिला उसी से विवाह, कहानी लुटेरी दुल्हन की जो साथ लेकर च... ‘गांव वालों कूद जाऊंगा…’ 100 फीट ऊंचे टावर पर चढ़ा युवक, 3 घंटे तक काटा बवाल, पुलिस भी पहुंची दिल्ली में झुग्गियों पर बुलडोजर चलने पर संजय सिंह बिफरे, रेखा सरकार पर बोला हमला
देश

मैसूर की राजमाता ने तिरुमाला मंदिर में दान किए 100 किलो के चांदी के दीपक, क्या है 300 साल पुरानी परंपरा?

कर्नाटक के मैसूर की राजमाता ने तिरुमाला तिरुपति मंदिर में 100 किलोग्राम चांदी के दीपक दान करके 300 साल पुरानी परंपरा को पुनर्जीवित किया है. अब से तिरुमाला मंदिर को इसी चांदी के दीपक से रोशन किया जाएगा. भक्ति और शाही विरासत के प्रतीक के रूप में, मैसूर की राजमाता प्रमोदा देवी वाडियार ने तिरुमाला मंदिर में भगवान वेंकटेश्वर को दो बड़े चांदी के दीपक दान किए. तिरुमाला तिरुपति देवस्थानम (टीटीडी) के अध्यक्ष बी.आर. नायडू ने यह दान स्वीकार किया.

लगभग 100 किलोग्राम वजन वाले इन चांदी के दीपकों का उपयोग अखंड दीपकों के रूप में किया जाएगा. मंदिर के गर्भगृह में दिन-रात जलने वाले अखंड दीपक ईश्वर की शाश्वत उपस्थिति का प्रतीक माने जाते हैं. बताया जा रहा है कि मैसूर की राजमाता के इस दान से मंदिर में 300 साल पुरानी परंपरा पुनर्जीवित हो गई. मंदिर और मैसूर पैलेस के ऐतिहासिक अभिलेखों के अनुसार, यहां के तत्कालीन महाराजा ने 18वीं शताब्दी में तिरुमाला मंदिर में इसी प्रकार के चांदी के दीपक दान किए थे.

सांस्कृतिक संबंध होंगे मजबूत

राजमाता प्रमोदा देवी वाडियार की ओर से मदिंर को दिया गया यह दान आस्था के काम में एक गहरी आध्यात्मिक परंपरा की निरंतरता बनाए रखेगा. साथ ही मैसूर राजपरिवार और तिरुमाला के बीच सांस्कृतिक संबंधों को मजबूत करेगा. प्रमोदा देवी वाडियार कला, संस्कृति और धार्मिक संस्थाओं की संरक्षक हैं. प्रमोदा देवी वाडियारने मैसूर राजवंश द्वारा स्थापित परंपराओं को संरक्षित करने के लिए अपनी प्रतिबद्धता दोहराई है. उनके दान की मंदिर अधिकारियों और भक्तों द्वारा सराहना की जा रही है.

अधिकारियों ने कहा कि इस तरह के उच्च मूल्य वाले दान न केवल दुर्लभ हैं, बल्कि इनका ऐतिहासिक महत्व भी बहुत है. मंदिर के एक वरिष्ठ पुजारी, जो दीप सौंपे जाने के समय मौजूद थे, ने कहा, कि ये अखंड सिर्फ चांदी से बने दीपक नहीं हैं, ये हमारी विरासत और भक्ति का एक महत्वपूर्ण हिस्सा हैं.

Related Articles

Back to top button