सहकारिता के शिखर पुरुष श्री सतीश मराठे को दोहरी राष्ट्रीय जिम्मेदारी

रायपुर। सहकारिता क्षेत्र के एक वरिष्ठ, अनुभवी और राष्ट्रनिष्ठ व्यक्तित्व श्री सतीश मराठे को भारत सरकार द्वारा हाल ही में दो अत्यंत महत्वपूर्ण दायित्व सौंपे गए हैं। उन्हें सहकारी संस्था चुनाव प्राधिकरण (केंद्रीय सहकारी इलेक्शन अथॉरिटी) का सदस्य और त्रिभुवन सहकारी विश्वविद्यालय की गवर्निंग बॉडी का सदस्य नियुक्त किया गया है। यह नियुक्तियाँ उनके दशकों लंबे सहकारी योगदान की स्वीकृति हैं तथा समस्त सहकारी समाज के लिए गौरव का विषय हैं।
सहकार भारती छत्तीसगढ़ ने श्री मराठे जी को इस ऐतिहासिक अवसर पर हार्दिक शुभकामनाएँ एवं अभिनंदन प्रेषित किया है। संगठन ने विश्वास व्यक्त किया कि श्री मराठे के नेतृत्व में सहकारी संस्थाओं में लोकतांत्रिक प्रक्रिया, पारदर्शिता और संस्थागत विकास को नई दिशा मिलेगी। उनका अनुभव भारत के सहकारी आंदोलन को राष्ट्रीय पुनर्जागरण की ओर ले जाएगा।
वर्तमान में श्री सतीश मराठे भारतीय रिज़र्व बैंक के केंद्रीय निदेशक मंडल के सदस्य, राष्ट्रीय आवास बैंक के निदेशक, और ICAI के दिवाला पेशेवर संस्थान में स्वतंत्र निदेशक जैसे अति-महत्वपूर्ण दायित्वों का निर्वहन कर रहे हैं। वे राष्ट्रीय सहकारी प्रशिक्षण परिषद (NCCT) की कार्यकारी समिति के सदस्य हैं और लक्ष्मणराव इनामदार सहकारी अनुसंधान एवं विकास अकादमी (LINAC) के उपाध्यक्ष भी हैं।
उनकी सामाजिक प्रतिबद्धता भी उल्लेखनीय है। वे प्रगति प्रतिष्ठान, जव्हार (पालघर) — मूक-बधिर आदिवासी बच्चों के लिए आवासीय विद्यालय — के ट्रस्टी हैं और सिद्धार्थ विद्यालय, कल्याण के कार्याध्यक्ष हैं। इसके अतिरिक्त, वे भारत सरकार द्वारा गठित दो प्रमुख समितियों — तीन-स्तरीय अल्पकालिक सहकारी ऋण प्रणाली पर विशेषज्ञ समिति और नई सहकारी नीति के प्रारूप हेतु राष्ट्रीय समिति — के सदस्य हैं।
पूर्व में श्री मराठे जी अनेक राष्ट्रीय और राज्य स्तरीय संस्थाओं से जुड़े रहे हैं। वे राष्ट्रीय सहकारी विकास निगम (NCDC) के प्रबंधन मंडल के सदस्य, भारतीय बैंक संघ (IBA) के मानद सचिव, और महाराष्ट्र सरकार की शहरी सहकारी बैंकों पर गठित उच्चस्तरीय समिति के सदस्य रह चुके हैं। उन्होंने शहरी सहकारी बैंकिंग को स्थायित्व और पारदर्शिता प्रदान करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है।
उनकी सक्रियता केवल संस्थाओं तक सीमित नहीं रही। वे कई सहकारी बैंकों एवं संस्थाओं जैसे राजकोट नागरिक सह बैंक, ठाणे भारत सहकारी बैंक, और राष्ट्रीय युवा सहकारी संस्था के निदेशक रहे हैं। वित्त मंत्रियों के साथ प्री-बजट बैठकों में सहकारी क्षेत्र का प्रतिनिधित्व करने का उन्हें वर्षों का अनुभव है। वर्ष 2015 में उन्हें IFFCO द्वारा सहकारिता रत्न पुरस्कार से सम्मानित किया गया — यह पुरस्कार पाने वाले वे महाराष्ट्र से एकमात्र व्यक्ति हैं।
इस उपलब्धि पर श्री घनश्याम तिवारी, प्रदेश संयोजक, पैक्स प्रकोष्ठ, सहकार भारती छत्तीसगढ़ ने कहा कि “श्री सतीश मराठे जी का यह मनोनयन न केवल सहकारी व्यवस्था के लिए सम्मान है, बल्कि यह हम जैसे लाखों कार्यकर्ताओं के लिए प्रेरणा का स्रोत है। उनके नेतृत्व में सहकारी संस्थाएं सशक्त और आत्मनिर्भर बनेंगी।” वहीं श्री रामप्रकाश केशरवानी, प्रदेश कोषाध्यक्ष ने कहा, “श्री मराठे जी का जीवन सहकारिता के लिए पूर्ण समर्पण का आदर्श है। उनकी नियुक्ति सहकारी क्षेत्र में नीतिगत स्थायित्व का परिचायक है।”
सहकार भारती छत्तीसगढ़ ने आशा व्यक्त की है कि श्री सतीश मराठे के अनुभव और दृष्टिकोण से राष्ट्रीय सहकारी आंदोलन को एक नया आयाम मिलेगा। सहकारिता को विचारधारा, संस्कृति और सामाजिक संगठन के रूप में स्थापित करने की दिशा में उनका योगदान आने वाले वर्षों में देश को नई ऊर्जा और नेतृत्व देगा।