August 5, 2025 12:33 pm
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उत्तरप्रदेश

वृंदावन मंदिर से पहले कहां रहते थे बांके बिहारी, 7 बार बदली जगह… क्या फिर बदलेगा स्थान?

उत्तर प्रदेश सरकार ने वृंदावन के बांके बिहारी मंदिर के लिए अध्यादेश जारी कर ट्रस्ट बनाया. अब इस ट्रस्ट का विरोध तेज होने लगा है. सेवायतों ने चेतावनी दी है कि वो वो बांके बिहारी मंदिर के विग्रह को कहीं और लेकर चले जाएंगे. अभी वृंदावन के मंदिर में जो बांके बिहारी जी का विग्रह है वो साल 1864 में स्थापित किया गया था. सबसे पहले बांके बिहारी जी निधि वन में थे.

मान्याओं के अनुसार, निधि वन से औरंगजेब के हमलों से बांके बिहारी जी को बचाने के लिए उनको राजस्थान के करौली और फिर भरतपुर ले जाया गया. बताया जाता है कि साल 1864 से पहले बांके बिहारी जी अगल-अलग समय में सात जगह पर विराजे थे. वहीं इलाहाबाद हाईकोर्ट सेवायत की ओर से पैरवी कर रहे वकील ने कहा कि सर्वोच्च अदालत की छुट्टियां खत्म हो जाने के बाद सरकार की ओर से जारी किए गए अध्यादेश को चुनौती दी जाएगी.

बिहारी मंदिर के मैनेजमेंट कमेटी के पूर्व अध्यक्ष ने क्या कहा?

वकील ने कहा कि बांके बिहारी जी को नए मंदिर में शिफ्ट करने का प्लान भी सर्वोच्च अदालत में दाखिल करेंगे. उन्होंने इसे सेवायतों और बांके बिहारी जी के हक का हनन बताया. सेवायत बांके बिहारी जी के कॉरिडोर से संबंधित जनहित याचिका के विरोध में नए मंदिर के निर्माण का प्रस्ताव दे चुका है. वहीं बांके बिहारी मंदिर के मैनेजमेंट कमेटी के पूर्व अध्यक्ष गौरव गोस्वामी ने कहा कि ये निजी मंदिर है. बांके बिहारी जी को दूसरे स्थान पर ले जाएंगे.

SC से की जाएगी ये डिमांड

उन्होंने कहा कि नए मंदिर का निर्माण करेंगे. सर्वोच्च अदालत से मंदिर के लिए ब्रज इलाके में 10-15 भूमि दिलाने की डिमांड करेंगे. भूमि की कीमत दी जाएगी. अगर ब्रज इलाके में भूमि नहीं मिलती तो ऐसे स्थिति में ब्रज के बाहर मंदिर का निर्माण करेंगे. पूरी प्लान सर्वोच्च अदालत में दाखिल करेंगे. बता दें कि मंदिर परिसर में साल 2022 में ज्यादा भीड़ के चलते दो व्यक्तियों का दम घुट गया था और उनकी मौत हो गई थी.

मंदिर में हो चुके हैं हादसे

पिछले साल भी बांके बिहारी मंदिर परिसर में एक व्यक्ति की मौत हो गई थी. साल 2022 में हुई घटना के बाद मांग उठाई गई थी कि मंदिर के लिए कॉरिडोर बनाया जाए और बेहतर व्यवस्थाएं की जाएं. इसके बाद यूपी सरकार ने एक प्रस्ताव तैयार किया, जिसमें कहा गया कि 502 करोड़ की लागत से बांके बिहारी मंदिर में कॉरिडोर बनाया जाएगा. सर्वोच्च अदालत ने भी इसे मंजूरी दे दी. इसके बाद प्रदेश सरकार ने मंदिर के लिए ट्रस्ट बनाने के लिए अध्यादेश जारी किया था.

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