अतिथि देवो भवः का क्या होगा! पर्यटकों के खिलाफ कई देशों में बढ़ रहा स्थानीय लोगों का गुस्सा, आखिर क्यों?

भारत में अतिथि देवो भवः यानी अतिथि को भगवान का रूप माना जाता है और यहां पर शुरुआत से ही अतिथियों का स्वागत करने की परंपरा रही है. गुजरते वक्त के साथ लोग एक जगह से दूसरी जगह जाने लगे और फिर यह दायरा बढ़ते हुए विदेश यात्रा में बदल गया. किसी भी देश या किसी भी राज्य में अतिथियों यानी सैलानियों का आना वहां की आय का बड़ा स्रोत माना जाता है. सरकारें सैलानियों को लुभाने के लिए ढेरों योजनाएं भी चलाती हैं, लेकिन इसके उलट मेजबान लोगों को अतिथियों का आना रास नहीं आ रहा है. आखिर क्यों?
दुनिया के कई ऐसे शहर हैं जहां के स्थानीय लोग तेजी से बढ़ते विदेशी सैलानियों से परेशान हो गए हैं. सैलानियों को लेकर विरोध का नया सुर उत्तरी अमेरिकी महाद्वीप में पड़ने वाले मैक्सिको में उठा है. राजधानी मैक्सिको सिटी के लोग सैलानियों की बढ़ती संख्या से बेहद परेशान है. शनिवार को सैकड़ों की संख्या में लोग जेंट्रीफिकेशन (जेंट्रीफिकेशन उस प्रोसेस को कहा जाता है जिसके तहत किसी क्षेत्र का चरित्र अमीर निवासियों (जेंट्री) और निवेश के जरिए बदल दिया जाता है. एक तरह से किसी मकान या क्षेत्र का पूरी तरह से कायाकल्प कर दिया जाता है.) और मास टूरिज्म के खिलाफ शुरू में शांतिपूर्ण तरीके से विरोध प्रदर्शन में शामिल हुए, लेकिन कुछ ही देर में यह प्रदर्शन तब हिंसक हो गया जब कुछ लोगों ने दुकानों के सामने तोड़फोड़ और विदेशी सैलानियों को परेशान करना शुरू कर दिया.