नन गिरफ्तारी मामले में सीपीआई का आरोप, हिंदुत्व की पॉलिटिक्स में आदिवासियों को कर रहे बर्बाद, संविधान का हो रहा उल्लंघन

दुर्ग : छत्तीसगढ़ में ननों की गिरफ्तारी का मामला तूल पकड़ता जा रहा है.मंगलवार को कांग्रेस के डेलीगेशन के मुलाकात करने के बाद जब सीपीआई का डेलीगेशन जेल में ननों से मुलाकात करने पहुंचा तो उन्हें रोक दिया गया.जिस पर सीपीआई नेता वृंदा करात ने आपत्ति जाहिर की. वृंदा करात ने सीएम विष्णुदेव साय पर सवाल उठाए. उन्होंने कहा कि ननों की सार्वजनिक बेइज्जती हुई है. कोई भी औरत ये बर्दाश्त नहीं कर सकती.इसलिए हम उनके साथ एकजुटता प्रकट करने के लिए आए हैं. हम आदिवासियों और महिलाओं के साथ एकजुटता दिखाने के लिए आए हैं. कोई भी ये बदार्श्त नहीं कर सकता कि महिलाओं के साथ ऐसी हरकत हो.
क्या दूसरे राज्यों में नौकरी करना गुनाह है : वृंदा करात ने कहा कि ये पूरा झूठा मामला है.कौन होते हैं बजरंग दल वाले जो ये कह रहे हैं कि धर्मांतरण का मामला है. ये कनवर्शन का मामला नहीं है.बजरंग दल के पास कोई कानून है,कोई संविधान उन्होंने पढ़ा है. लड़कियां खुद अपने आप नौकरी के लिए जा रही थी.यहां छत्तीसगढ़ की सरकार उनकी नौकरी नहीं दे पा रही है. आप कौन होते हो किसी को नौकरी करने से रोकने वाले. दो नन जिन्होंने आगरा में अपना हॉस्पिटल बनाया है,उस हॉस्पिटल में रोजगार देने के लिए लड़कियों को अपने साथ ले जाने के लिए आई थी.
मुख्यमंत्री को शर्म आनी चाहिए : वृंदा करात ने सीएम विष्णुदेव साय पर हमला करते हुए कहा कि मुख्यमंत्री कैसे बोल सकते हैं,मुख्यमंत्री बताएं कि कहां पर सबूत है कहां पर बयान है. मुख्यमंत्री को शर्म आनी चाहिए.मुख्यमंत्री का काम होता है लॉ इन ऑर्डर मेंटेन करना.लेकिन महिलाओं को साथ अभद्रता की गई,लड़के को पीटा गया सिर्फ इसलिए क्योंकि वो गरीब आदिवासी है. एक गरीब आदिवासी को सार्वजनिक तौर पर पीटने का अधिकार आपको किसने दिया.वो आदमी जेल में नहीं है जिन्होंने आदिवासी को पीटा.
सीएम को संविधान का अता पता है,फिर भी वो संविधान का उल्लंघन करने दे रहे हैं.हिंदुत्व के नाम को लेकर आदिवासियों को बर्बाद कर रहे हैं.सेंसस के कॉलम में किसी भी आदिवासी के धर्म को मानने के लिए तैयार नहीं है.ये काहे का सीएम है.हेमंत सोरेन ने डिमांड किया,लेकिन ये क्यों चुप है.हेमंत सोरेन सिर्फ इसलिए चुप है क्योंकि ये हिंदुत्व की पॉलिटिक्स कर रहे हैं,आदिवासियों का कतई कुछ नहीं मान रहे हैं – वृंदा करात,नेता सीपीआई
वामपंथी डेलिगेशन को रोकने की साजिश : वहीं वामपंथी पार्टी की राष्ट्रीय सचिव आईनी राजा ने जेल प्रबंधन पर आरोप लगाए कि उन्हें जान बूझकर ननों से मिलने नहीं दिया गया. आईनी की मानेतो उन्होंने दुर्ग आने से पहले जेल प्रबंधन को मेल भेजा था.लेकिन जब वो यहां पर पहुंचे तो उन्हें ये कहा गया कि उन्हें सूचना नहीं मिली.वहीं जब उन्होंने जेल को भेजे गए मेल की कॉपी दिखाई तो जेल प्रबंधन ने कहा कि जेल मैनुअल के हिसाब से आज मुलाकात का समय खत्म हो गया है इसलिए कल आईए. आईनी ने आरोप लगाया कि जब कांग्रेस के डेलिगेशन को मिलने दिया जा सकता है तो सीपीआई के डेलिगेशन को क्यों नहीं.ये लोग जान बूझकर बहाना बना रहे है,इनके ऊपर किसी का दबाव है कि वामपंथी डेलिगेशन को मिलने ना दे.क्योंकि सच्चाई पता लग जाएगी तो गड़बड़ हो जाएगी.
मुख्यमंत्री ने कहा कि धर्मांतरण की कोशिश की जा रही है.तो क्या कोई जांच एजेंसी सीएम के बयान के बाद जांच करेगी. जांच एजेंसी तो सीएम का मैसेज जान चुकी है कि ननों को ऐसा सेक्शन लगाकर अंदर डाल दो.इनको डरा दो जो भी प्रताड़ित कर सकते हो करो.छत्तीसगढ़ के अंदर सबसे कमजोर माइनॉरिटी ईसाई ही है,इसलिए सब उसके पीछे पड़ा है-आईनी राजा, राष्ट्रीय सचिव, सीपीआई
बघेल के शासन में भी ईसाई हुए प्रताड़ित: आईनी राजा ने कहा कि जिन लड़कियों को ले जाया जा रहा है.केरल में भी प्रवासी मजदूर है लेकिन क्या वो लेटर लेकर आ रहे हैं.जबकि इन लड़कियों के पास उनके माता पिता का लेटर है कि वो अपनी मर्जी से जा रहे हैं.संविधान के अनुसार आपको समझना होगा कि कनवर्शन गुनाह नहीं है.लेकिन ये लोग आरोप लगा रहे हैं कि फोर्सफुल कनवर्शन किया जा रहा है. कांग्रेस यहां पर आई और क्या बोलकर गई मुझे नहीं पता,लेकिन कांग्रेस यानी बघेल के शासन में ही कई आदिवासियों और मिशनरियों का घर तोड़ा गया था. बघेल के ही शासन काल में हो रहा था. आज बीजेपी के आने के बाद और भी ज्यादा संविधान का उल्लंघन हो रहा है. आज हम यहां है इस बात का विरोध करने के लिए आए हैं.
क्या है पूरा मामला : 25 जुलाई को दुर्ग रेलवे स्टेशन पर धर्मांतरण और मानव तस्करी को लेकर हंगामा हुआ. बजरंग दल के कार्यकर्ताओं ने 2 नन के साथ एक युवक और 3 आदिवासी युवतियों को घेरकर रोका. बजरंग दल ने आरोप लगाए थे कि युवतियों को बहला-फुसलाकर उत्तर प्रदेश के आगरा ले जाया जा रहा था. जहां उनके धर्मांतरण की योजना थी. बजरंग दल के हंगामे के बाद दो नन और एक युवक को जीआरपी ने गिरफ्तार किया था.जहां से उन्हें जेल भेज दिया गया.