August 4, 2025 1:06 pm
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छत्तीसगढ़

पहाड़ी कोरवा महिलाएं बनी पीएम आवास निर्माण में सहायक, आवास के साथ रोजगार भी

सरगुजा: आदिवासी बाहुल्य समाज आगे बढ़ रहा है. PVTG (Particularly Vulnearble Tribal Groups) यानि पहाड़ी कोरवा जनजाति के लोग जो जंगल, पहाड़ में पिछड़ेपन का जीवन व्यतीत करना ही पसंद करते थे, उनमें अब बदलाव आ रहा है. पहाड़ी कोरवा महिलाएं व्यवसाय कर रही हैं. ना सिर्फ व्यवसाय बल्कि अब ऐसा काम भी कर रही है जो कभी सिर्फ पुरुष किया करते थे. सरगुजा की पीवीटीजी महिलाएं पीएम आवास योजना के तहत मकान निर्माण कार्य में सहभागी बन रही हैं जिससे शासन इस साल पीएम आवास के घरों को पूरा करने के लक्ष्य के करीब है.

ये कहानी तब सामने आई जब पीएम जनमन योजना शुरू हुई. इस योजना के तहत पीवीटीजी बस्तियों और परिवारों तक शासन की हर योजना जल्द से जल्द पहुंचाने का लक्ष्य जिला प्रशासन का है. इसमें सबसे अहम काम था सड़क और आवास. प्रशासन ने इन परिवारों का पीएम आवास तो स्वीकृत करा दिया लेकिन जल्द से जल्द इतने आवास बनवा पाना भी एक चुनौती थी.

पीएम आवास निर्माण में कोरवा महिलाओं की भूमिका: 

प्रशासन ने इस चुनौती से निपटने एनआरएलएम (National Rural livelihood Mission) विभाग का सहयोग लिया. NRLM या राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन से जुड़ी महिला समूहों को गृह निर्माण के कार्य में लगाया गया. इसके लिए समूह को बैंकों से लोन दिलाया गया. लोन के पैसों से महिलाओं ने सेंट्रिंग प्लेट और मिक्सर मशीन खरीदी. पीएम आवास निर्माण कार्य के लिए इन सेंट्रिंग प्लेट्स और मिक्सर मशीन किराए पर देना शुरू किया. जिससे पहाड़ी कोरवा महिलाएं अब ना सिर्फ पैसे कमा रही है बल्कि पीवीटीजी बस्तियों में जल्द से जल्द पीएम आवास बनाने में भी सहायक साबित हो रही हैं.

सेंट्रिंग प्लेट्स और ढलाई के लिए मिक्चर मशीन का व्यवसाय: 

इस काम में एक ऐसी महिला सामने आई जो खुद पहाड़ी कोरवा परिवार से है. अंबिकापुर जनपद क्षेत्र के ग्राम रामनगर के बरपारा में रहने वाली पहाड़ी कोरवा महिला सुशीला ने अपने समूह के साथ मिलाकर सेंट्रिंग प्लेट खरीदी. सेंट्रिंग प्लेट को शटरिंग प्लेट या फॉर्मवर्क प्लेट भी कहा जाता है. यह स्टील से बनी एक प्लेट होती है जो भवन या मकान निर्माण के दौरान कंक्रीट के जमने के लिए सहारा देने या आकार देने के लिए उपयोग की जाती है. कंक्रीट के स्लैब, बीम, कॉलम बनाने के दौरान सहारा देती है.

अब नहीं जाना पड़ता शहर:

गांव में जहां जहां पीएम आवास के मकान बनाए जा रहे हैं, ये पहाड़ी कोरवा महिलाओं का समूह वहां कॉलम व छत की ढलाई के लिए किराए पर सेंट्रिंग प्लेट औऱ मिक्चर मशीन देती है. जिससे उन्हें अच्छी आमदनी हो जाती है. पहले कभी शायद ही अपने देखा होगा की कोई ग्रामीण महिला इस तरह के टेक्निकल काम रह रही हो. लेकिन सरगुजा में अब ये हो रहा है.

लोन लेकर शुरू किया काम: 

सुशीला बताती हैं कि वह साल 2013 में समूह से जुड़ी. इस समय गांव की 10 महिलाएं समूह से जुड़ी हुई है. पहले वे कई अलग अलग तरह के काम करती थी. लेकिन जब से गांव में पीएम आवास बनना शुरू हुआ तो 90 हजार का लोन लेकर सेंट्रिंग प्लेट का व्यवसाय कर रही है. सुशीला बताती है कि गांव में पीएम आवास निर्माण के लिए सेंट्रिंग प्लेट अब शहर से किराए पर नहीं लाना पड़ता है. गांव में सबके निर्माण में ये महिलाओं सेंट्रिंग प्लेट देती है साथ ही राजमिस्त्री का काम भी करती है. इससे एक घर से लगभग 8 से 9 हजार रुपये की कमाई हो जाती है.

आवास में ढलाई का काम मिलता है. एक घर में लगभग 8 हजार रुपये मिलता था. पहले सेंट्रिंग प्लेट के लिए लोगों को शहर से मंगाना पड़ता था, भटकना पड़ता था. समूह में 10 महिलाएं हैं. जो पैसा मिलता है वो सब बराबर बांट लेते हैं-सुशीला, पहाड़ी कोरवा और स्व सहायता समूह की महिला, ग्राम रामनगर

पहले तो झोपड़ी थी, अब पक्का घर बन रहा है. पहले शहर से सेंट्रिंग प्लेट लाते थे. अब गांव की महिलाओं से सेंट्रिंग प्लेट मिल जाती है -कृष्ण, पहाड़ी कोरवा ग्रामीण

सरगुजा में पीएम आवास योजना ग्रामीण: जिला पंचायत सीईओ विनय अग्रवाल ने बताया “सरगुजा जिले में पीएम आवास योजना ग्रामीण के अंतर्गत से 31772 आवास और 2565 जनमन आवास, विशेष पिछड़ी जनजाति के हितग्राहियों के लिए स्वीकृत किए गए हैं. जिनमें निर्माण कार्य लगातार चल रहा है. चूंकि लक्ष्य काफी बड़ा था, इसलिए स्व सहायता समूह की महिलाओं से सेंट्रिंग प्लेट और मिक्चर मशीन के व्यवसाय से जोड़ा, जिससे आवास निर्माण में प्रगति आई.

महिलाओं की मदद से पीएम आवास निर्माण में तेजी: विनय अग्रवाल ने बताया कि सरगुजा में 387 ग्राम पंचायतों में लगभग 413 स्व सहायता समूह की महिलाएं 782 सेंट्रिंग प्लेट्स को किराये में देने का व्यवसाय कर आमदनी कर रही है. इसी कड़ी में 9-समूह की महिलाएं मिक्चर मशीन, जो ढलाई के समय मिक्सिंग में काम आता है, वह कर रही है और आय कमा रही है. स्व सहायता महिलाओं की सहभागिता से आवास निर्माण में काफी तेजी आई है. उम्मीद है कि साल 2025 का लक्ष्य जल्द ही पूरा हो जाएगा.

सुशीला पहाड़ी कोरवा महिला है जो ग्राम पंचायत रामनगर की है. सुशीला ने राजमिस्त्री का काम करके और सेंट्रिंग प्लेट किराए पर देकर हर घर के पीछे 8 से 9 हजार की आमदनी कमा रही है. अब तक वह लगभग 1 लाख रुपये कमा चुकी है -विनय अग्रवाल, सीईओ, जिला पंचायत

लोन लेकर पीएम आवास को और बनाया बेहतर: जिला पंचायत सचिव ने बताया कि उदयपुर ब्लॉक के बफोई गांव में 16 पीवीटीजी परिवारों के लिए एक कॉलोनी का निर्माण कराया गया है. उनके लिए सड़क, पानी बिजली, आयुष्मान कार्ड की सुविधा दी जा रही है. जिला पंचायत सीईओ ने ये भी बताया कि जिले में लगभग 6004 ऐसे आवास है जिनके लिए स्व सहायता समूह की दीदियों ने अपने समूह से लोन लेकर आवास को और बेहतर बनाया है, जो काफी सराहनीय है.

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