भारतीय शिक्षा, राष्ट्र सेवा और संस्कृति से जुड़ा बिर्रा में नवाचार्य वर्ग

जांजगीर/ चापा–/ विद्या भारती अखिल भारतीय शिक्षा संस्थान के मार्गदर्शन में ग्राम भारती सरस्वती शिक्षा विकास समिति, जिला जांजगीर-चांपा द्वारा आयोजित अप्रशिक्षित नवीन आचार्य एवं दीदियों के लिए दस दिवसीय नवाचार्य प्रशिक्षण वर्ग का समापन समारोह 14 जून 2025 को सायं 6 बजे सरस्वती शिशु मंदिर, बिर्रा में सादगी, गरिमा और राष्ट्रभाव से ओतप्रोत वातावरण में संपन्न हुआ। प्रशिक्षण में जिलेभर के 22 विद्यालयों से 7 आचार्य और 45 दीदियाँ सहभागिता के लिए पहुँची थीं। यह आयोजन शिक्षकों के वैचारिक, नैतिक एवं शारीरिक प्रशिक्षण का समग्र मंच बना।
कार्यक्रम का शुभारंभ भारत माता एवं मां सरस्वती के चित्र पर पूजन एवं दीप प्रज्वलन से हुआ। इसके उपरांत प्रशिक्षुओं ने अभ्यास वर्ग में अर्जित अनुशासन और प्रतिभा का प्रदर्शन करते हुए सूर्यनमस्कार, संगठन खेल, समूह गायन, शारीरिक व्यायाम एवं सांस्कृतिक प्रस्तुति दी। आयोजन में भारतीय शिक्षण परंपरा को केंद्र में रखते हुए राष्ट्रीय चरित्र निर्माण की दृष्टि से विभिन्न विषयों पर प्रशिक्षकों ने मार्गदर्शन दिया।
समारोह में मुख्य वक्ता के रूप में उपस्थित प्रांतीय सचिव, वनांचल शिक्षा सेवा न्यास, माननीय श्री चंद्र किशोर श्रीवास्तव ने अपने उद्बोधन में कहा कि शिक्षक समाज का निर्माण करता है और यदि शिक्षक के जीवन में मूल्य होंगे, तो उसकी कक्षा स्वयं एक संस्कारशाला बन जाती है। उन्होंने कहा कि शिक्षक पाठ्यक्रम ही नहीं पढ़ाता, बल्कि भावी राष्ट्र का व्यक्तित्व गढ़ता है।
विशिष्ट अतिथि श्री घनश्याम तिवारी, सहायक नोडल अधिकारी, जिला सहकारी बैंक, ने कहा कि प्रशिक्षण एवं अभ्यास वर्ग न केवल कार्यपद्धति को सशक्त करते हैं, बल्कि शिक्षक वर्ग को परस्पर जोड़कर समन्वय एवं सहयोग की भावना भी बढ़ाते हैं। अध्यक्षता कर रहे जिला सचिव श्री देवप्रसाद तिवारी ने बताया कि ग्राम भारती द्वारा संचालित 59 विद्यालयों में अध्ययनरत 11,925 छात्र-छात्राओं के लिए यह प्रशिक्षण उनकी दिशा और दशा तय करने वाला अवसर है।
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के प्रचारक श्री लोमसराम साहू ने समापन समारोह में विशेष रूप से सहभागिता करते हुए बताया कि 7 जुलाई 1952 को राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ द्वारा शिशु मंदिरों की शुरुआत हुई थी। उन्होंने संघ द्वारा निर्धारित पंचप्रण (स्वदेशी, स्वाभिमान, स्वराज्य, संस्कृति और सेवा) की चर्चा करते हुए शिक्षकों से आह्वान किया कि वे शिक्षा को केवल नौकरी न मानें, बल्कि इसे राष्ट्र सेवा का माध्यम बनाएं।
प्रशिक्षण के सफल संचालन में श्री मनोज तिवारी (सेवानिवृत्त उच्च शिक्षक) वर्गाधिकारी के रूप में विशेष रूप से सक्रिय रहे। प्रमुख शिक्षकों में श्री हीराराम सूर्यवंशी (कोसमंदा), श्री मनीष सिंह (भैंसदा), श्री राकेश कुम्भज (कुकदा), श्री राम कुमार गढ़वाल (पाली), श्री अनिल प्रकाश बघेल (पंतोरा) एवं श्रीमति बसंती साहू (तेंदूभाठा) का विशेष योगदान रहा, जिन्होंने बौद्धिक, मंच, चिकित्सा एवं शारीरिक अभ्यास विषयों का दायित्व कुशलता से निभाया।
मंच संचालन श्री नवल किशोर तिवारी द्वारा किया गया एवं आभार ज्ञापन भी उन्हीं के द्वारा प्रस्तुत किया गया, जिसमें उन्होंने सभी अतिथियों, प्रशिक्षणकर्ताओं, आयोजन समिति एवं प्रतिभागी आचार्य-दीदियों के प्रति धन्यवाद व्यक्त किया। उन्होंने कहा कि यह वर्ग केवल शैक्षणिक नहीं, बल्कि सेवा, समर्पण और भारतीयता की भावना को सशक्त करने वाला रहा।
समापन सत्र में प्रशिक्षण प्राप्त सभी शिक्षकों को प्रमाण पत्र वितरित किए गए। भारत माता की आरती, राष्ट्रगीत ‘वंदे मातरम्’ और राष्ट्रीय गान ‘जन गण मन’ की सामूहिक प्रस्तुति के साथ समारोह का समापन हुआ। उपस्थित अभिभावकों, ग्रामवासियों और अतिथियों ने कार्यक्रम की गरिमा और अनुशासन की मुक्तकंठ से सराहना की।