April 25, 2025 12:16 am
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उत्तराखंड

800 कैंटीन, 500 रुपये में रुकने का इंतजाम… केदारनाथ धाम के रास्तों पर मिलेंगी ये सुविधाएं

उत्तराखंड के केदारनाथ धाम की यात्रा बहुत महत्वपूर्ण और पवित्र मानी जाती है. केदारनाथ धाम की यात्रा हर साल गर्मियों से शुरू होती है. इस साल केदारनाथ धाम के कपाट 2 मई को सुबह 6 बजकर 20 मिनट पर खोल दिए जाएंगे. इसके बाद तीर्थयात्रियों को सुबह 7 बजे से केदारनाथ मंदिर में दर्शन मिलने लगेंगे.

हर साल तीर्थयात्री केदारनाथ धाम दर्शन करने के लिए आते हैं. इस बार केदरनाथ धाम समेत पैदल मार्गों पर बने पड़ावों पर रोज 11 हजार तीर्थयात्री रुक सकेंगे. यात्रियों के ठहरने के लिए तीर्थ पुरोहितों के घर, गढ़वाल मंडल विकास निगम के हॉल और पक्के कॉटेज उपलब्ध हैं. यहीं नहीं गढ़वाल मंडल विकास निगम पड़ावों पर तीर्थयात्रियों के लिए अस्थाई कॉटेज की व्यवस्थाएं करा रहा है.

रुकने के साथ-साथ भोजन की भी व्यवस्था

वहीं स्थानीय युवा पड़वों पर अस्थाई टेंट लगा रहे हैं. सभी सुविधाएं यात्रियों को शुक्ल लेकर उपलब्ध कराई जाएंगी. प्रसाशन ने स्थानीय युवाओं को इजाजत दी है कि वो 1200 अस्थाई टेंट लगा सकते हैं. इसमें 1000 टेंट केदारपुरी और 200 टेंट की व्यवस्था पड़ावों पर की जा रही है. हर टेंट में कम से कम चार यात्री रह सकेंगे. प्रसाशन ने केदार घाटी के युवाओं को धाम और पैदल मार्ग के पड़ावों पर कैंटीन लगाने की इजाजत भी दी है. ये कैंटिन अस्थाई रहेंगी और इन कैंटीनों से तीर्थ यात्री चाय-नाश्ता यहां तक की भोजन भी कर सकते हैं.

इतना लगेगा किराया

तीर्थयात्री अगर यहां तीर्थ पुरोहितों के घर और लॉज में ठरहना चाहेंगे तो उनको 1000 रुपये किराया देना होगा. वहीं गढ़वाल मंडल विकास निगम को कॉटेज में ठरहने के लिए 500 और पूरे कॉटेज के 8400 देने होंगे. अस्थाई टेंटों में प्रति बेड तीर्थयात्रियों को 500 रुपये किराया देना होगा.

केदारनाथ धाम की यात्रा बहुत चुनौतीपूर्ण

बता दें कि चारधाम यात्रा में सबसे चुनौतीपूर्ण यात्रा केदारनाथ धाम की मानी जाती है. केदारनाथ पहुंचने के लिए तीर्थयात्री गौरीकुंड से केदारपुरी तक 16 किलोमीटर की खड़ी चढ़ाई चढ़ते हैं. तब जाकर कहीं तीर्थयात्रियों को बाबा केदारनाथ के दर्शन मिल पाते हैं. 16 किलोमीटर का ये सफर तय करने में पांच से सात घंटों का वक्त लग जाता है. ऐसे तीर्थयात्रियों के लिए केदारनाथ धाम और पड़वों में ठहरने की व्यवस्था करना जरूरी है.

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