August 6, 2025 12:28 am
ब्रेकिंग
सावन का अंतिम सोमवार सुबह 4 बजे विशेष पूजा के बाद भस्म आरती कर किया जलाभिषेक दुधारू-गर्भवती गायों की एक ही रात में चोरी,गौपालक चिंतित,तस्करी की आशंका उत्तराखंड में तबाही के बाद कई जिलों में रेड अलर्ट! इन इलाकों में बाढ़ की चेतावनी पूर्व गवर्नर सत्यपाल मलिक का निधन, 3 महीने से RML अस्पताल में थे भर्ती यहां मंदिर था, यहां दुकानें थीं… उंगली दिखाकर बताया मलबे में दबा गांव, महाप्रलय की ‘आंखों देखी’ जशपुर पुलिस ने फिर पकड़ा अवैध अंग्रेजी शराब का बड़ा जखीरा,एक ट्रक से ,51लाख रु कीमत का,734 कार्टून म... हरि जायसवाल तीसरी बार बने छत्तीसगढ़ मीडिया एसोसिएशन के जशपुर जिला अध्यक्ष किसी पर लगा दाग तो कोई गया सलाखों के पीछे, वो राजनेता जो ‘बदनाम’ होने के बाद निकले पाक साफ गोंडा में चलती एंबुलेंस से सड़क पर फेंका शव, Video वायरल… पुलिस ने बताई पूरी सच्चाई मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय की संवेदनशील पहल से संभव हुआ अंतिम दर्शन, मुंबई से गृह ग्राम हाथीबेड पहुंच...
उत्तरप्रदेश

कांवड़ रूट के ढाबों पर QR कोड का मामला, SC का योगी सरकार को नोटिस

कांवड़ यात्रा के दौरान उत्तर प्रदेश सरकार के क्यूआर कोड आदेश के खिलाफ दायर याचिका पर सुप्रीम कोर्ट 22 जुलाई को सुनवाई करेगा. कोर्ट ने दायर याचिका पर उत्तर प्रदेश सरकार सहित अन्य को नोटिस जारी कर जवाब मांगा है. यह याचिका दुकानों पर QR कोड लगाने के आदेश के खिलाफ है. इन QR कोड को स्कैन करके दुकान मालिकों के नाम पता चल सकते हैं.

सुप्रीम कोर्ट अब अगले मंगलवार को यानी 22 जुलाई को मामले पर सुनवाई करेगा. साथ ही साथ अन्य सभी याचिकाओं और आवेदनों को समबद्ध करने का निर्देश दिया है.

याचिकाकर्ताओं का कहना है कि यूपी सरकार का यह आदेश पिछले साल सुप्रीम कोर्ट के आदेश का उल्लंघन है. पिछले साल सुप्रीम कोर्ट ने उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड सरकार को ऐसा ही आदेश लागू करने से रोक दिया था. उस आदेश में कहा गया था कि दुकानदारों को सिर्फ यह बताना होगा कि वे क्या खाना बेच रहे हैं. उन्हें अपना और अपने कर्मचारियों का नाम बताने की जरूरत नहीं है.

पिछले साल क्या बोला था सुप्रीम कोर्ट?

सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि खाद्य विक्रेताओं को केवल यह बताना होगा कि वे किस प्रकार का भोजन परोस रहे हैं. 22 जुलाई को पारित अपने आदेश में सुप्रीम कोर्ट ने कहा था, ‘हम इन निर्देशों के क्रियान्वयन पर रोक लगाने के लिए एक अंतरिम आदेश पारित करना उचित समझते हैं. दूसरे शब्दों में, खाद्य विक्रेताओं (ढाबा मालिकों, रेस्टोरेंट, खाद्य और सब्जी विक्रेताओं, फेरीवालों आदि सहित) को यह प्रदर्शित करना आवश्यक हो सकता है कि वे कांवड़ियों को किस प्रकार का भोजन परोस रहे हैं, लेकिन उन्हें अपने-अपने प्रतिष्ठानों के मालिकों और कर्मचारियों का नाम-पहचान प्रदर्शित करने के लिए बाध्य नहीं किया जाना चाहिए.’

यूपी सरकार के नए आदेश को चुनौती देते हुए दिल्ली विश्वविद्यालय के प्रोफेसर अपूर्वानंद झा और कार्यकर्ता आकार पटेल की ओर से सुप्रीम कोर्ट में दायर याचिका में कहा गया है कि यह आदेश सुप्रीम कोर्ट के पिछले साल के आदेश का उल्लंघन है, क्योंकि इसका उद्देश्य वही भेदभावपूर्ण प्रोफाइलिंग हासिल करना है जिसे कोर्ट ने रोक दिया था.

प्याज लहसुन भी नहीं खाते हैं श्रद्धालु

इस समय हिंदू कैलेंडर का श्रावण मास है, जिसमें शिवलिंगों का जलाभिषेक करने के लिए बड़ी संख्या में भक्त गंगा से पवित्र जल लेकर आते हैं. इस दौरान उन्हें रास्ते में जलपान करने के लिए रुकना पड़ता है. कांवड़ रूट पर पड़ने वाले ढाबों पर नाम प्रदर्शित करवाने के साथ साथ QR कोड पर भी नाम डिस्प्ले करवाने के लिए विवाद है. यूपी सरकार ने आदेश दिया है कि सभी ढाबा मालिकों को इसका ध्यान रखना है. इसी आदेश के खिलाफ मामला सुप्रीम कोर्ट पहुंचा हैत. दरअसल, श्रावण मास में कई श्रद्धालु मांसाहार का त्याग करते हैं. साथ ही साथ कई लोग तो प्याज और लहसुन युक्त भोजन भी नहीं खाते हैं.

Related Articles

Back to top button