नक्सलियों के इलाज कराने को लेकर बैठक, एसएसपी ने डॉक्टर्स को जानकारी की साझा, बताया कैसे करें संदिग्ध की पहचान

दुर्ग : दुर्ग एसएसपी ने जिले के सरकारी और निजी अस्पतालों के मेडिको लीगल केसेस देखने वाले डॉक्टर्स की अहम बैठक ली.जिसका मुख्य आपराधिक गतिविधियों में शामिल शख्स और नक्सलियों का अस्पताल में आकर इलाज कराने के दौरान उनकी पहचान करना था. इसके लिए सेक्टर 6 पुलिस कंट्रोल रूम में नए कानूनों की जानकारी देने के लिए पुलिस कंट्रोल रुम में दुर्ग एसएसपी विजय अग्रवाल ने डॉक्टरों की बैठक ली. इस दौरान एसएसपी ने डॉक्टरों को कानून के बारे में जानकारी साझा की.
मेडिको लीगल केस में समस्या और निदान : एसएसपी ने बताया कि आपराधिक प्रकरणों में एमएलसीकर्ता, उपचार करने वाले डाक्टर का साक्ष्य की दृष्टि से महत्व, अभियोजन साक्ष्य के रुप में डॉक्टर्स की क्या भूमिका है. साथ ही साथ मेडिको लीगल प्रकरण और पोस्टमार्टम से संबंधित प्रकरणों में पुलिस जांच विवेचना में किस तरह की व्यवहारिक समस्या आती है और इसके निदान के लिए क्या किया जाए इस पर भी बात हुई.एसएसपी के मुताबिक पुलिस और चिकित्सा विभाग के बीच समन्वय जरूरी है.
पुलिस की जांच में मेडिकल का योगदान : वहीं इस कार्यशाला के बारे में पुलिस प्रवक्ता पद्मश्री तंवर ने बताया कि दुर्ग जिले के सभी सरकारी अस्पतालों, निजी अस्पताल और यहां जो भी मेडिकल संस्थान हैं.उन सभी जगहों के डॉक्टरों की कार्यशाला रखी गई थी. जिसका मुख्य उद्देश्य भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता और भारतीय न्याय संहिता में जो नए प्रावधान है और मेडिकल परीक्षण की रिपोर्ट, मेडिकल जांच और पोस्टमार्टम की प्रक्रिया को लेकर जो भी कानूनी प्रावधान हैं,उस पर चर्चा हुई.
दुर्ग एसएसपी महोदय ने एक निर्देश दिया गया है कि ऐसा कोई भी पेशेंट जो चाहे सरकारी अस्पताल में भर्ती हो या निजी अस्पताल में, जिनकी हिस्ट्री अगर संदेह लग रही है.किसी को कोई डाउट हो रहा है कि वो किसी इनलीगल एक्टिविटी में शामिल हो सकता है,तो इसकी सूचना तत्काल पुलिस तक पहुंचाई जानी चाहिए- पद्मश्री तंवर, एएसपी
इस कार्यशाला के बारे में सेक्टर- 9 हॉस्पिटल के डॉ उदय कुमार ने बताया कि दुर्ग एसएसपी ने कुछ दिनों पहले ये आब्जर्व किया था कि हमारे जिले में कुछ नक्सलियों ने इलाज कराया और वो चले गए.जिस हॉस्पिटल में नक्सलियों ने इलाज कराया. उन्होंने इसकी जानकारी पुलिस को नहीं दी.जिसे लेकर सरकारी और निजी अस्पतालों के मेडिको लीगल देखने वाले डॉक्टर्स की बैठक हुई.
आप किस तरह से आपराधिक गतिविधियों में शामिल लोगों की पहचान कर सकते हैं.साथ ही साथ नक्सलियों की बोली,उनका पहनावा और शरीर की कद काठी भी आपको उनकी पहचान करने में मदद देगी.ऐसे किसी भी शख्स पर यदि संदेह हो तो आप इसकी जानकारी पुलिस तक पहुंचाएं.भिलाई दुर्ग जो कि एजुकेशनल हब के नाम से जाना जाता है,कहीं ये नक्सली हब ना बन जाए- डॉ उदय कुमार, सेक्टर 9 हॉस्पिटल
आपको बता दें कि दुर्ग जिला राजनांदगांव से लगा हुआ है.साथ ही साथ नारायणपुर कांकेर से भी कई संदिग्ध रेल मार्ग से अपना इलाज कराने के लिए जिले में आते हैं.ऐसे में उनकी जख्मों की पहचान करके ये जानना बेहद जरुरी हो जाता है कि वो शख्स आम इंसान है या फिर नक्सली.एसएसपी ने नक्सलियों के इलाज करवाने की जानकारी मिलने के बाद डॉक्टर्स को आगाह किया है कि आने वाले समय में यदि उन्हें किसी भी तरह का संदेह हो तो पुलिस तक सूचना जरुर पहुंचाएं.