एक गुरुजी के भरोसे पूरा स्कूल, नक्सलगढ़ के पोटकपल्ली की कितनी बदली तस्वीर

सुकमा: जिला मुख्यालय से मिनपाट होते हुए एक कच्ची सड़क पोटकपल्ली तक जाती है. जिला मुख्यालय से पोटकपल्ली की दूरी करीब 100 किलोमीटर है. सालों तक इस एरिया में विकास का काम नहीं हो पाया. नक्सलियों की मौजूदगी के चलते शिक्षा, सड़क और स्वास्थ्य के क्षेत्र में यह इलाका पिछड़ गया. पहले विकास का काम शुरु होते ही नक्सली उसे रोक देते थे. लेकिन अब इलाके में तेजी से विकास का काम चल रहा है. कच्ची सड़क को पक्की सड़क में तब्दील करने की योजना है.
पोटकपल्ली प्राथमिक शाला एक शिक्षक के भरोसे:
लोन वर्राटू और पूर्ना नारकोम योजना के तहत इलाके में विकास का काम तेजी से किया जा रहा है. सुरक्षा कैंपों के खुलने के बाद से शिक्षा, स्वास्थ्य और सड़क का काम तेजी से किया जा रहा है. सरकार की कोशिश है कि बच्चों को नक्सल प्रभावित इलाकों में बेहतर शिक्षा मिले. स्कूलों में टीचर तो रखे हैं लेकिन वो समय पर या तो स्कूल नहीं आते या फिर बिना सूचना दिए छुट्टी पर रहते हैं. नतीजा ये होता है कि बच्चों की पढ़ाई लिखाई प्रभावित होती है. पोटकपल्ली प्राथमिक शाला में कक्षा पांचवी तक की पढ़ाई होती है. प्राथमिक शाला में कुल 26 बच्चे पढ़ते हैं.
स्कूल में टीचर की कमी है. सिर्फ टीचर ही स्कूल में पढ़ाने के लिए आते हैं. जो टीचर हैं वो भी कभी आते हैं कभी नहीं आते हैं. शिक्षक के स्कूल नहीं आने से बच्चों की पढ़ाई लिखाई पर असर पड़ता है. हम चाहते हैं स्कूल में शिक्षकों की संख्या बढ़ाई जाए: स्थानीय निवासी, पोटकपल्ली
शिक्षकों की संख्या बढ़ाए जाने की मांग: पोटकपल्ली के प्राथमिक शाला की तस्वीर भी कुछ ऐसी ही है. यहां एक शिक्षक के भरोसे स्कूल चल रहा है. गांव वालों का कहना है कि छात्र तो समय पर स्कूल पहुंच जाते हैं लेकिन शिक्षक कभी भी समय नहीं आते. कई बार तो शिक्षक पूरे दिन गायब ही रहते हैं. गांव वालों की मांग है कि उनके बच्चों को पढ़ाने के लिए समय पर शिक्षक आने चाहिए. स्कूल एक शिक्षक के भरोसे चल रहा है उसकी भी कमी को दूर किया जाना चाहिए.
यहां पदस्थ शिक्षक को हाल ही में सुकमा जिला मुख्यालय के स्कूल में भेज दिया गया है. दूसरे शिक्षक को यहां पढ़ाने के लिए कहा गया है. जिस शिक्षक को यहां पढ़ाने के लिए कहा गया है वो सलातोंग गांव में चल रहे दो दिवसीय प्रशिक्षण शिविर में शामिल होकर लौटे हैं: श्रीनिवास राव, बीईओ
पोटकपल्ली और इसके आस पास के इलाके की कहानी भी एक जैसी ही है. सुविधाओं के अभाव में विकास नजर नहीं आता है. मंंत्री आते हैं और चले जाते हैं लेकिन यहां की तस्वीर कभी नहीं बदलती. हम चाहते हैं कि यहां पर बुनियादी सुविधाओं का विकास हो: दुर्गेश राय, स्थानीय कांग्रेस नेता
मिनपा से पोटकपल्ली का रास्ता मुश्किलों भरा: जिला मुख्यालय से 100 किमी की दूरी पर पोटकपल्ली है. यहां आने के लिए मिनपा होते हुए आना पड़ता है. कच्ची सड़क और दुर्गम रास्तों के चलते यहां पहुंचना काफी मुश्कल भरा होता है. स्थानीय लोग कहते हैं कि अगर मरीज को अस्पताल लेकर जाना है तो बड़ी मुश्किलों का सामना करना पड़ता है. हालाकि कुछ जगहों पर सड़क बनाने का काम भी जारी है. शासन की कोशिश है कि जल्द से जल्द बस्तर के दुर्गम इलाकों को सड़कों से जोड़ा जाए.