वॉशिंगटन सुंदर हिंदू हैं, तो उनका नाम ये क्यों रखा गया?

इंग्लैंड के खिलाफ टेस्ट सीरीज में वॉशिंगटन सुंदर अपनी बल्लेबाजी और गेंदबाजी दोनों को लेकर छाए हुए हैं. वो टीम इंडिया के लिए ऑलराउंड खेल दिखा रहे हैं. लेकिन, उनके इस खेल की हम बाद में चर्चा करेंगे. पहले बात उस नाम की, जो उनके हिंदू होने के बावजूद उन्हें मिला है? बाएं हाथ के ऑलराउंडर सुंदर को वो नाम क्यों और कैसे मिला? उसके पीछे एक दिलचस्प कहानी है. लेकिन, उस कहानी का जिक्र करें उससे पहले ये जान लीजिए कि हम यहां उन्हें मिले किस नाम की बात कर रहे हैं?
वॉशिंगटन सुंदर के नाम का दिलचस्प किस्सा
हम बात कर रहे हैं वॉशिंगटन नाम की. उनके हिंदू होते हुए वॉशिंगटन नाम थोड़ा अटपटा तो लगता है. ये नाम थोड़ा क्रिश्चियन वाला लगता है. लेकिन, भारतीय ऑलराउंडर को ये जो नाम मिला है, उसके पीछे दिलचस्प किस्सा है. और, इससे शानदार कहानी किसी नाम के रखे जाने के पीछे शायद ही हो सकती है. तो क्या थी वॉशिंगटन नाम के पीछे की कहानी, आइए जानते हैं.
एम. सुंदर, जो कि वॉशिंगटन सुंदर के पिता थे, वो क्रिकेट खेलना चाहते थे. लेकिन, अच्छी क्रिकेट खेलने के बावजूद वो तमिलनाडु की मेन टीम में नहीं आ पाए. लेकिन, जब वो छोटे थे और स्टेडियम क्रिकेट खेलने जाते थे तो वहां एक आर्मी का रिटायर्ड ऑफिसर आता था. वो बच्चों को खेलता हुआ देखता था. उन्हीं बच्चों में एक एम. सुंदर भी थे, जिसके खेल से वो कुछ ज्यादा प्रभावित हुआ. ऐसे में उस रिटायर्ड ऑफिसर ने एम. सुंदर से कहा कि तुम खेलो. मैं तुम्हें पढ़ाऊंगा, किटबैग दूंगा, साइकिल से स्कूल छोड़ने-लाने जाऊंगा. ऐसा उस रिटायर्ड ऑफिसर ने इसलिए किया क्योंकि एम. सुंदर गरीब फैमिली से थे. उनके लिए पढ़ाई और क्रिकेट पर होने वाले खर्च को मेंटेन कर पाना मुश्किल था.
हिंदू होकर भी ऐसे पड़ गया नाम वॉशिंगटन
एम. सुंदर की मदद करने वाले उस रिटायर्ड ऑफिसर का नाम था- पी.डी. वॉशिंगटन, जिनका 1999 में निधन हो जाता है. 1999 में ही एम. सुंदर की पत्नी एक लड़के को जन्म देती हैं, जिसके कान में जाकर एम. सुंदर कहते हैं- श्रीनिवासन. लेकिन, फिर थोड़ी देर बाद उन्हें लगता है कि इसका नाम श्रीनिवासन नहीं होना चाहिए. बल्कि, लड़के का नाम उस इंसान के नाम पर होना चाहिए, जिसने उन्हें बैक किया. उनका साथ तब दिया जब कोई नहीं दे रहा था. और, वो अपने लड़के का नाम रखते हैं – वॉशिंगटन सुंदर.