श्रीराम कथा के छठे दिन प्रभु श्री राम और केवट भैया की प्रसंग की भक्ति रस में डूबे नगरवासी
अंतरराष्ट्रीय कथावाचक पूज्य राजन जी महाराज के श्रीमुख से श्रीराम कथा का भक्त कर रहे रसपान

पत्थलगांव –/ धर्मनगरी पत्थलगांव की पावन धरा पर चल रहे नौ दिवसीय भगवान श्रीराम कथा का अंतरराष्ट्रीय कथा वाचक पूज्य राजन जी महाराज के श्रीमुख से नगरवासी व समस्त भक्तगण श्रोता भक्तिमय माहौल में कथा का रसपान कर रहे हैं। पूरा नगर भगवान प्रभु श्रीराम के भक्ति में लीन नजर आ रहा है। भगवान श्री राम कथा के आज छठवें दिन कथावाचक पण्डित राजन जी महाराज ने तुलसी दास जी द्वारा रचित प्रसंग को अपनी अवधि भाषा में इस प्रकार व्याख्या किया कि केवट भाई के द्वारा भगवान का चरण पखारने की जिद और प्रभु श्री राम की चुप्पी तथा भाई लक्ष्मण का रोक टोक के साथ माता सीता जी द्वारा नाव में बैठने का किराया के रूप में अंगूठी निकालकर प्रभु को देना प्रसंग की भक्ति भाव रूपी व्याख्या को सुनकर भक्त भाव विभोर हो गये।
09 दिनों तक बहने वाली श्री राम कथा का बयार में आज हजारों लोगों द्वारा छठवें दिवस का कथा का श्रवण करने नगर सहित दूर दूर से लोग शामिल रहे, वही बाबा हरिदास भक्त मण्डली के सदस्य राजेन्द्र अग्रवाल, जग्गी अग्रवाल, सुरेश अग्रवाल, श्यामलाल अग्रवाल, बजरंग अग्रवाल, बल्लू अग्रवाल, मनोज बिट्टू अग्रवाल, प्रतीक अग्रवाल आदि सदस्य पूरी तन्मयता के साथ, कथा श्रवण करने के साथ साथ भक्तो की सेवा में भी लगे हुए हैं।
भगवान श्री राम जी के अनन्य भक्त अंतरराष्ट्रीय कथा वाचक पंडित श्री राजन जी महाराज का 9 दिवसीय कथा छत्तीसगढ़ के जशपुर जिले के पत्थलगांव की पावन धरा पर श्रोताओं को श्री राम कथा का श्रवण करा रहे है।
श्री राम कथा के आयोजक बाबा हरिदास भक्त मण्डल समिति के सुरेश अग्रवाल के निवास में आज पत्रकारों का एक दल परम् पूज्य श्री राजन महाराज जी से मुलाकात कर दर्शन लाभ प्राप्त करते हुवे सात्विक चर्चा हुई।चर्चा के दौरान महाराज श्री से कुछ महत्वपूर्ण शास्त्र सम्मत विषयो पर चर्चा हुई चर्चा में महाराज श्री ने कहा कि आयोजक समिति के सदस्य सुरेश अग्रवाल को भगवान के ईक्षा निमित श्री राम कथा का आयोजन करने प्रेरणा मिली और आज प्रभु की ही इक्छा अनुसार सुरेश अग्रवाल एवं उनका परिवार इस पुण्य के भागीदारी बने हैं । महाराज श्री ने चर्चा के दौरान कहा कि मानव जीवन में इस परिवार ने राम कथा का श्रवण कर अपने मन को प्रभु श्री राम के प्रति समर्पित करने सौभाग्य प्राप्त किया है निश्चित ही इनके प्रति प्रभु की दृष्टि बनी रहेगी केवल धैर्य रखने की जरूत है, और मानव जीवन जीवन में मनुष्यों को सदैव धैर्यवान रहकर प्रभु की सेवा में समर्पित रहना चाहिये, प्रभु अवश्य ही भक्तो की समर्पण भाव का सहजता के साथ ख्याल रखेंगे।
कथा वाचक श्री राजन महाराज जी से चर्चा के दौरान कुछ विषयो को लेकर शास्त्र सम्मत मार्गदर्शन प्राप्त करने की इक्छा हुई जिसका बड़े ही विनम्र भाव से जानकारी दी जो इस प्रकार रहा।
*महाराज श्री जी भागवत कथा का श्रवण पितरों की शांति के लिये गया श्राद्ध करने से पहले श्रवण करना चाहिए या श्राद्ध करने के बाद भागवत कथा का श्रवण किया जाना चाहिए-*
# श्राद्ध कर्म से पूर्व भागवत कथा का श्रवण करने से मृत्यु का भय समाप्त होता है- पंडित जी
# गया जी श्राद्ध करने के बाद भागवत कथा का श्रवण करने से पितरों को मोक्ष की प्राप्ति होती है
विषय को शास्त्र के विधान अनुसार महाराज श्री ने कहा कि दोनों ही परिस्थिति में भागवत कथा का श्रवण किया जाता है किन्तु माना जाता है कि श्राद्ध व पिण्ड दान करने से पूर्व भागवत कथा का श्रवण करने से मृत्यु का भय समाप्त हो जाता है। इसलिये मृत्यु के भय को समाप्त करने के लिये भागवत कथा का श्रवण किया जाना चाहिए और यह भी कहा जाता है कि पितरों की शांति हेतु श्राद्ध, पिण्ड दान करने के पश्चात पितरों को मोक्ष प्राप्त होता है इस निमित मोक्ष हेतु भागवत कथा का श्रवण करना चाहिए।
महाराज जी कई बार यह देखने सुनने को मिला है कि युवक युवती के विवाह के दौरान अग्नि के समक्ष फेरा लेते समय कहि 4 फेरा लिया जाता है तो कही 7 फेरा लिया जाता है वास्तविक में विवाह के समय कितना फेरा होना चाहिए के उत्तर में महाराज श्री ने शास्त्र सम्मत उत्तर देते हुवे कहा कि शास्त्र के अनुसार अग्नि का चार ही फेरा होता है किन्तु कहि कहि अपने अनुसार लोग 5-7 फेरा भी कराते हैं किन्तु विवाह के समय अग्नि का 4 फेरा ही होना चाहिए।
चर्चा के दौरान ही मेरे मन मे एक जिज्ञासा हुई और मैने महाराज जी यह जानना चाहा कि क्या व्यास पीठ से कथा वाचको द्वारा किसी नेता मंत्री या पूंजी पतियों की महिमा का गुणगान करना उचित है या अनुचित सवाल के उत्तर में श्री राजन जी महाराज ने कहा कि कोई भी नेता मंत्री या आम नागरिक कोई भी जनहित में अच्छा कार्य कर रहा हो जिसका लाभ लोगो को मिल रहा हो तथा उनके कार्यशैलियो से और भी लोगो को प्रेरणा मिल सकती है ऐसा विषय के व्यक्ति चाहे कोई भी हो व्यास पीठ से बताया जा सकता है क्योंकि उनसे लोगो का भलाई जुड़ा हुवा है पर व्यास पीठ से किसी की चापलूसी उचित नही है।