August 3, 2025 8:35 pm
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टेक्नोलॉजी

एक सवाल का जवाब देने के लिए कितना पानी पीता है ChatGPT? आधी जनता नहीं जानती जवाब

आपने कभी सोचा है कि जब आप ChatGPT से एक सवाल पूछते हैं, तो उसके पीछे कितनी पावर और सोर्सेस का इस्तेमाल होता है? अमेरिका की एक रिपोर्ट ने इस सवाल का जवाब दिया है और नतीजे चौंकाने वाले हैं. टेक्नोलॉजी जैसे कि AI- ChatGPT को काम करने के लिए केवल बिजली नहीं, बल्कि पानी की भी जरूरत होती है. यहां हम आपको बताएंगे कि आखिर ऐसा क्यों होता है, और ये हमारे पर्यावरण के लिए क्या संकेत देता है.

कितना पानी पीता है ChatGPT?

Washington Post और University of California, Riverside की रिपोर्ट के मुताबिक, जब आप ChatGPT से एक सवाल पूछते हैं तो उस सवाल का जवाब तैयार करने में उसमें लगभग 500 मिलीलीटर पानी खर्च हो जाता है. इसका मतलब चैटजीपीटी एक सवाल का जवाब तैयार करने में आधा लीटर पानी पी जाता है. हालांकि ये पानी सीधा मशीन नहीं पीती, बल्कि AI को ठंडा रखने के लिए इस्तेमाल होता है.

पानी की जरूरत क्यों पड़ती है?

AI मॉडल्स जैसे ChatGPT को बड़े कंप्यूटर सर्वर पर चलाया जाता है, जिन्हें डेटा सेंटर्स कहा जाता है. ये सर्वर लगातार प्रोसेसिंग करते रहते हैं और इस दौरान बहुत गर्मी जेनरेट होती है. इस गर्मी को कम करने के लिए इन डेटा सेंटर्स को ठंडा रखना जरूरी होता है और इसके लिए पानी का इस्तेमाल किया जाता है.

दो तरह के सिस्टम होता है पहला Evaporative Cooling Systems भाप बेस्ड कूलिंग सिस्टम है. दूसरे Air Conditioning Units एसी बेस्ड सिस्टम होते हैं. इस प्रोसेस में हर सवाल का जवाब तैयार करने के लिए लगभग आधा लीटर पानी खर्च हो जाता है.

कितनी बिजली खर्च करता है AI?

पानी के साथ-साथ AI को चलाने में पानी ही नहीं बिजली की भी जरूरत होती है. एक रिपोर्ट के मुताबिक, OpenAI का ChatGPT जितना ज्यादा इस्तेमाल होता है, उतना ही ज्यादा बिजली की मांग बढ़ती है. अगर करोड़ों लोग डेली ChatGPT का इस्तेमाल करें, तो पूरे शहर जितनी बिजली की जरूरत पड़ सकती है. इससे पर्यावरण पर भारी दबाव पड़ सकता है, खासकर उन देशों में जहां बिजली कोयले या दूसरे सोर्सेस से बनाई जाती है.

AI का पर्यावरण पर असर

AI की बढ़ती पॉपुलैरिटी एक तरफ टेक्नोलॉजी में क्रांति ला रही है, वहीं दूसरी तरफ पर्यावरण के लिए खतरा भी बनती जा रही है. कई ऐसे एरिया हैं जहां पहले ही पानी की कमी है, वहां डेटा सेंटर्स की वजह से जल संकट और बढ़ सकता है. AI सिस्टम्स को चालू रखने के लिए लगातार बिजली की जरूरत है, जो एनर्जी सोर्सेस पर दबाव डालती है. अगर बिजली रिन्यूएबल सोर्स से न ली जाए, तो कार्बन एमिशन बढ़ता है.

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