पत्थलगांव के तिरसोठ क्षेत्र में हो रही रेलवे लाईन की ड्रोन सर्वे का ग्रामीणों ने किया विरोध
फिलहाल सर्वे का कार्य स्थगित, एक तरफ हो रहा विरोध तो दूसरी तरफ शोषल मीडिया में रेलवे लाईन के पक्ष में खड़े हो रहे लोग

पत्थलगांव–/ जशपुर जिले में कोरबा से लोहरदगा रेलवे लाईन की मांग वर्षो पुरानी है जिसके लिये जिले की जनता ने समय समय पर आवेदन के माध्यम से, नेता मंत्रियों से मुलाकात कर, सांसदों द्वारा लोकसभा राज्यसभा में कोरबा लोहरदगा रेलवे लाईन की मांग कर चुके और मांग करते आ रहे हैं, इसी दौड़ में जिले के निवासी व वरिष्ठ आदिवासी नेता विष्णुदेव साय के मुख्यमंत्री बनने के बाद लोगो मे आस जगी की अब इस क्षेत्र में रेलवे आ सकती है और अब – जब लोगो को इस क्षेत्र में रेलवे लाईन आती दिखाई दे रही है तो कुछ लोग इसके विरोध में उतर आये हैं और सरकार द्वारा रेलवे लाईन के लिये कराई जा रही सर्वे का विरोध में उतर आये हैं जिसके लिये बगीचा एवं बागबहार क्षेत्र से आये दो व्यक्ति रूपनारायण एक्का (बगीचा) और सुनील खलखो (बागबहार) द्वारा क्षेत्र के भोले भाले आदिवासियों को रेलवे के लिये जमीन नही देने के लिए बरगलाया जा रहा है और क्षेत्र के कुछ जाती विशेष के आदिवासी परिवारों द्वारा पांचवी अनुसूची की गाडलाइन का हवाला देते हुवे रेलवे लाईन सर्वे दल को सर्वे करने से रोक दिया गया है, जबकि उक्त दोनों नेताओं की भूमि इस रेलवे लाईन में कहि प्रभावित नही हो रही है। इस दौरान राजस्व प्रशासन, पुलिस प्रशासन भी मौके पर पहुचे परन्तु विरोधियों ने उनकी एक नही सुनी, जबकि अभी मात्र सर्वे हो रहा है कि रेलवे लाईन किस रूट में बिछाया जा सकता है इसके लिये किन किन लोगों की भूमि इसके अंतर्गत आयेगी। किन्तु यहा यह कहे तो कोई गलत नही होगा की जो लोग इस जिले का विकास नही चाहते ऐसे नेताओं के इसारो पर कुछ लोग विरोध में आ गये।
जबकि उक्त क्षेत्र के ही अनेक लोगो का मानना है कि रेलवे के आने से क्षेत्र का विकास होगा, रोजगार बढ़ेगा, भर्तियां होंगी तो क्षेत्र के लोगो को नोकरी मिलेगी, क्षेत्र के लोगो को तथा उनके आने वाली पीढ़ियों को आवागमन में सुविधा मिलेगी जो उन सभी के लिये और भी फायदेमंद होगी। “कहावत है कि कुछ पाने के लिये कुछ खोना पड़ता है’
पत्थलगांव अंतर्गत ग्राम पंचायत तीरसोठ में प्रस्तावित रेलवे लाइन के सर्वे कार्य का उपस्थित ग्रामीणों ने कड़ा विरोध करते हुए सर्वे कार्य को बंद करवा दिया। विरोध करने वालो का आरोप है कि सर्वे जिस जगह किया जा रहा है, वह इलाका पहले ही भारतमाला परियोजना के अंतर्गत सड़क निर्माण में लिया जा चुका है, जिससे उनकी जमीन पहले ही प्रभावित हो चुकी है। अब बची- खुची जमीन भी रेलवे में चली जाएगी तो उनका भविष्य संकट में पड़ जाएगा।
ग्रामीणों ने मांग की है कि पहले सर्वे क्षेत्र का स्पष्ट चिन्हांकन किया जाए और ग्राम सभा की अनुमति ली जाए। विरोध में शामिल लोगो का नेतृत्व कर रहे बगीचा से आये रूपनारायण एक्का और बागबहार से आये सुनील खलखो ने कहा कि यह आदिवासी पंचायत है, यहां केवल आदिवासियों की बात मानी जाएगी। उन्होंने राज्य और केंद्र सरकार के कानूनों को न मानने की बात कही और संविधान का हवाला देते हुए मुआवजा दर, सेटलमेंट की स्थिति और प्रभावितों को मिलने वाले लाभ की पूर्व जानकारी देने की मांग की।
प्रशासन की ओर से तहसीलदार प्रांजल मिश्रा, उमा मिश्रा, नायब तहसीलदार नीलम पिस्दा एवं थाना प्रभारी विनीत पांडे मौके पर पहुंचे और विरोध में उतरे ग्रामीणों को समझाने का प्रयास किया, परंतु उक्त ग्रामीणों ने विरोध जारी रखा। ग्रामीणों का आरोप है कि भारतमाला परियोजना में भी ड्रोन से सर्वे के बाद जमीन ले ली गई थी, इसलिए वे अब किसी भी तरह के ड्रोन सर्वे का विरोध कर रहे हैं।
रेलवे अधिकारी ने बताया कि अभी केवल सर्वे किया जा रहा है, उसके बाद ही जमीन चिन्हांकित कर रिपोर्ट भारत सरकार को भेजी जाएगी। मुआवजा तीन से चार गुना मिलने के साथ-साथ अन्य योजनाओं का लाभ भी प्रभावितों को मिलेगा। जानकारों के अनुसार, ग्रामीणों का विरोध फिलहाल जल्दबाजी है क्योंकि अधिग्रहण की गई जमीन की जानकारी अभी स्पष्ट नहीं है।
मंगलवार सुबह अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक अनिल सोनी और एसडीएम आकांक्षा त्रिपाठी के नेतृत्व में प्रशासनिक टीम मौके पर तैनात रही, लेकिन विरोध बरकरार है। खबर लिखे जाने तक सर्वे कार्य में अवरोध बना हुआ है।
उल्लेखनीय है कि यह सर्वे तीरसोठ, चंदरपुर, सूरजगढ़, बेलडेगी, लोकेर, बनगांव और डूमरबहार पंचायतों में किया जाना है।
*एक तरफ हो रहा विरोध तो दूसरी तरफ शोषल मीडिया में रेलवे लाईन के पक्ष में खड़े हो रहे लोग*
एक तरफ जहा रेलवे लाईन सर्वे का ग्राम तिरसोठ में कुछ लोगो द्वारा विरोध किया जा रहा है जिसमे दो बाहरी व्यक्ति की मुख्य भूमिका है वही यह मामला शोषल मीडिया वीडियो के साथ खूब ट्रेड हो रहा है और लोग जशपुर जिले में रेलवे लाईन के पक्ष में लिख रहे हैं और बोल रहे है कि बड़े मुद्दतो के बाद रेलवे लाईन का सर्वे हो रहा है और इसका विरोध किया जा रहा जो गलत है, रेलवे लाईन आना चाहिये, रेलवे के आने से सभी लोगो का फायदा है और क्षेत्र का विकास होगा।ऐसे ऐसे लोग भी है जो लिखते हैं कास उक्त लाईन में हमारी भूमि होती तो हम खुशी खुशी अपनी भूमि पहले देते और रेलवे लाईन लाने में अपनी सहभागिता निभाते जिसका फायदा हमारे आने वाली पीढ़ियों को मिलता।