August 3, 2025 11:37 pm
ब्रेकिंग
रात में हत्या की, नदी किनारे फेंका शव… मुजफ्फरपुर में महंत के मर्डर से सनसनी छत्तीसगढ़: कांवड़ यात्रा में शामिल हुए CM विष्णु देव साय, भगवान शिव का किया रुद्राभिषेक, प्रदेश की ख... बाढ़ से हाहाकार! UP में 12 की मौत, बिहार में कई गांवों से टूटा संपर्क, हिमाचल में 300 सड़कें बंद शहर के सभी 20 वार्डों में होगा विद्युत पोल विस्तार,उपमुख्यमंत्री ने दी 30 लाख की स्वीकृति - पत्थलगांव बस स्टेण्ड के समीप रखियो की दुकान सजधज कर तैयार सावन की पावन बेला में मुख्यमंत्री विष्णु देव साय ने किया भगवान शिव का रूद्राभिषेक, प्रदेशवासियों की ... *प्रधानमंत्री की विशेष पहल से बस्तर समेत प्रदेश भर में रेल सेवाओं का बढ़ा दायरा : मुख्यमंत्री श्री स... सनातन धर्म पर जमकर बरसे NCP नेता जितेंद्र आव्हाड, शिवाजी महाराज से लेकर अंबेडकर तक का किया जिक्र क्या साफ होने लगा है यमुना का पानी, दिल्ली सरकार ने क्या बताया? ‘मोदी-योगी’ को भी फंसाने की थी साजिश…मालेगांव केस में प्रज्ञा ठाकुर ने ATS पर लगाया गंभीर आरोप
उत्तरप्रदेश

31 मई को शिवलिंग, 5 जून को राम दरबार… राम मंदिर में प्राण प्रतिष्ठा के लिए क्यों मिले दो डेट, क्या है तिथि-मुहूर्तों का खेल?

अयोध्या में निर्माणाधीन राम मंदिर के पहले फ्लोर पर राम दरबार समेत आठ मंदिरों की प्राण प्रतिष्ठा कराई जा रही है. मंदिर प्रबंधन ने पहले इन सभी मंदिरों की प्राण प्रतिष्ठा एक साथ कराने का फैसला किया था. इसके लिए विद्वानों और आचार्यों के साथ काफी मंथन के बाद गंगा दशहरा की तिथि निर्धारित की गई. तय हुआ कि इसी तिथि को अभिजीत मुहूर्त में प्राण प्रतिष्ठा की जाएगी. लेकिन इसमें एक बड़ी अड़चन भूत भावन भगवान भोलेशंकर के शिवलिंग को लेकर आ गई. दरअसल गंगा दशहरा के दिन शिववास का कोई मुहूर्त ही नहीं था.

ऐसे में एक बार फिर विद्वानों की सभा बैठी और आम सहमति से तय किया गया कि पांच दिन पहले यानी 31 मई को ही शिववास करा दिया जाएगा. इसी फैसले के तहत 31 मई को परकोटे में विराजित शिवलिंग की प्राण प्रतिष्ठा की जाएगी. अब बड़ा सवाल यह कि प्राण प्रतिष्ठा के लिए दो तिथि क्यों? इसके जवाब में यही कहा जा सकता है कि यह सबकुछ तिथि और मुहूर्त की वजह से है. जहां तक राम मंदिर का सवाल है तो यहां तो इन्हीं तिथि और मुहूर्तों को लेकर कई-कई दिन तक बहस चल जाती है. इस प्रसंग में चर्चा में भी इसी विषय पर करेंगे.

100 से अधिक आचार्यों की राय से निकला मुहूर्त

जानकारी के मुताबिक राम मंदिर के प्रथम तल पर विराजित राम दरबार और परकोटे में मौजूद अन्य देवों के विग्रहों की प्राण प्रतिष्ठा के लिए कई दिनों से मंथन चल रहा था. 100 से अधिक आचार्यों से राय ली गई, शुरू में सबकी राय अलग अलग थी, हालांकि इनमें ज्यादातर विद्वानों ने गंगा दशहरा की तिथि को सर्वोत्तम बताया. इसमें भी अभिजीत मुहूर्त को प्राण प्रतिष्ठा के लिए श्रेष्ठ कहा था. चूंकि इसी तिथि पर भगवान कृष्ण की आभा से अच्छादित द्वापर युग का प्रारंभ हुआ था. इसलिए मुर्हूत पर सहमति तो बन गई, लेकिन अब नई अड़चन शिववास को लेकर थी.

पहले भी तिथि और मुहूर्त में उलझ चुका है मामला

दरअसल इन आठ मंदिरों में एक शिवलिंग भी था और गंगा दशहरा के मुहूर्त को शिववास के लिए उचित नहीं माना गया. कारण कि गंगा का अवतरण की तिथि भी यही है. ऐसे में आचार्यों ने पांच दिन पहले 31 मई को शिवलिंग की प्राण प्रतिष्ठा के लिए श्रेष्ठ बताया. राम मंदिर में तिथि और मुहूर्त को लेकर उलझन कोई पहली बार नहीं हुई है. इससे पहले राम मंदिर के प्राण प्रतिष्ठा के वक्त भी इसी तरह की उलझन थी. उस समय भी सभी विद्वानों की राय के बाद 22 जनवरी यानी पौष शुक्ल द्वादशी की तिथि निर्धारित हुई. दरअसल इसी तिथि को समुंद्र मंथन के समय भगवान नारायण का कूर्मावतार हुआ था.

Related Articles

Back to top button